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गठबंधन के नखरे...सीटों की शर्त, ये है यूपी में BJP के सहयोगी दलों की डिमांड लिस्ट

बीजेपी यूपी में 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में जाति आधारित छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बड़ी जीत हासिल की थी. सूबे में उसी सफलता को 2022 के चुनाव एक बार फिर से दोहराने के लिए बीजेपी ने अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही. 

योगी आदित्यनाथ और अनुप्रिया पटेल योगी आदित्यनाथ और अनुप्रिया पटेल
कुबूल अहमद/कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 15 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST
  • बीजेपी का अपना दल (एस) -निषाद पार्टी से गठबंधन
  • संजय निषाद सूबे में 52 सीटों की डिमांड कर रहे हैं
  • अपना दल (एस) पिछली बार से ज्यादा सीटें मांग रही

उत्तर प्रदेश में चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का परचम फहराने के लिए बीजेपी फिर से अपने सियासी समीकरणों को मजबूत करने में जुट गई है. बीजेपी ने 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में जाति आधारित छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बड़ी जीत हासिल की थी. सूबे में उसी सफलता को एक बार फिर से दोहराने के लिए बीजेपी ने अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही. 

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बता दें कि यूपी के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले महीने लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस करके संजय निषाद की निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का औपचारिक ऐलान किया था. इस दौरान गठबंधन में शामिल निषाद पार्टी और अपना दल को कितनी सीटें मिलेंगी के सवाल पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, ' सहयोगी दलों को सीटें सम्मानजनक मिलेंगी और सही समय पर गठबंधन की सीटों की घोषणा होगी.'

अपना दल (एस) पिछली बार से ज्यादा मांग रही सीट

बीजेपी के अगुवाई वाले गठबंधन के सहयोगी दलों में अभी तक सीट बंटवारे को लेकर न तो कई सहमति बनी है और न ही कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है. ऐसे मे अपना दल (एस) और संजय निषाद दोनों ही पार्टियां बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है और अपनी सीटों की डिमांड रख रहे हैं है. अपना दल (एस) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने आजतक से कहा कि पिछली बार से ज्यादा सीटों पर इस बार चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि प्रदेश में पार्टी का सियासी आधार काफी बढ़ा है. 

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अपना दल (एस) नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई बैठक में 200 विधानसभा सीटों पर चुनावी तैयारी शुरू करने और वहां पर प्रभारी नियुक्त करने का फैसला किया गया है. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन में रहते हुए अपना दल (एस) महज 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें 9 पर उसे जीत मिली थी. ऐसे में अपना दल (एस) 200 सीटों पर चुनावी तैयारी कर आगाज कर बीजेपी पर दबाव बनाने का दांव चला है. 

निषाद पार्टी ने 52 सीटों की रखी डिमांड

वहीं, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी एकसाथ मिलकर उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है. यूपी की 52 विधानसभा सीटों पर निषाद पार्टी चुनाव लड़ेगी. बीजेपी के सामने संजय निषाद की सिर्फ 52 सीटों की मांग नहीं है बल्कि उनकी डिमांड लिस्ट काफी लंबी में है. संजय निषाद को एमएलसी बनाने का अपना वादा बीजेपी और योगी सरकार पूरा कर चुकी है. 

गवर्नर कोटे से विधान परिषद के लिए नामित कराने की लिस्ट में संजय निषाद का नाम भेजा जा चुका है. इसके अलावा 14 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने, मछुआरों को नदी-तालाब के पट्टे सहित कई मांगे रखी है, जिसे चुनाव से पहले बीजेपी से वो पूरा कराने चाहते हैं. हालांकि, बीजेपी संजय निषाद की डिमांड में से कितनी शर्तों को मानती है, यह देखने वाली बात होगा? 

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बीजेपी छोटी-छोटी जातियों को साधने में जुटी

दरअसल, बीजेपी यूपी में 15 साल के सियासी वनवास को खत्म करने के लिए 2017 के चुनाव में अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ हाथ मिलाया था. इस तरह बीजेपी पिछड़ी जातियों में प्रभावशाली माने जाने वाले पटेल व राजभर को साथ लेकर 325 सीटों के साथ प्रचंड जीत हासिल थी. सूबे में योगी सरकार में ओम प्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए और एनडीए से बाहर हो गए हैं. 

2022 के यूपी चुनाव से पहले बीजेपी अपने सियासी और जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी है, जिसके तहत अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई. अनुप्रिया को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया है. वहीं, राजभर की सियासी कमी की भरपाई के लिए बीजेपी ने संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ मिलकर 2022 के चुनाव लड़ने का फैसला किया है ताकि पूर्वांचल में सियासी समीकरण को मजबूत बनाया जा सके. इसके लिए संजय निषाद को एमएलसी भी बनाया, लेकिन अब जैसे-जैसे चुनावी तपिश बढ़ रही है, वैसे-वैसे सहयोगी दलों की डिमांड लिस्ट भी लंबी होती जा रही है. 

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