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कौन हैं स्वतंत्र देव सिंह, मुलायम को उनके ऑफर के क्या हैं मायने?

उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और मुलायम सिंह यादव की इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. माना जा रहा है कि इस भेंट के पीछे का कारण मंगलवार को लखनऊ में कल्याण सिंह के लिए होने वाली श्रद्धांजलि सभा में उन्हें आमंत्रित करना था, लेकिन मुलायम सिंह ने उन्हें सपा में शामिल होने का न्योता देकर सियासी चर्चा गर्म कर दी है.

मुलायम सिंह यादव और स्वतंत्रदेव सिंह मुलायम सिंह यादव और स्वतंत्रदेव सिंह
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST
  • मुलायम से सोमवार को मिले स्वतंत्र देव सिंह
  • स्वतंत्र देव सिंह बीजेपी के कुर्मी चेहरा माने जाते हैं
  • मुलायम ने स्वतंत्रदेव को सपा में आने का दिया न्योता

उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने जन्माष्टमी पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आवास पर जाकर उनके स्वास्थ्य का हाल जाना. इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने स्वतंत्र देव सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे दिया. स्वतंत्रदेव से कहा कि सपा में शामिल हो जाओ, तुम बहुत आगे तक जाओगे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं स्वतंत्रदेव और उनकी क्या सियासी ताकत है, जिसके चलते मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सपा में शामिल होने का न्योता दिया है. 

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स्वतंत्र देव सिंह और मुलायम सिंह यादव की इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. कहा जा रहा है कि इस भेंट के पीछे का कारण मंगलवार को लखनऊ में कल्याण सिंह के लिए होने वाली श्रद्धांजलि सभा में उन्हें आमंत्रित करना था. स्वतंत्र देव सिंह ने मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि सभा में आने का निमंत्रण दिया. इस निमंत्रण से भाजपा ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है. स्वतंत्रदेव सिंह ने एक तो कल्याण सिंह के निधन पर मुलायम को श्रद्धांजलि सभा में आने का निमंत्रण दिया है. ऐसे में अगर मुलायम सिंह नहीं आते हैं तो फिर बीजेपी को दोबारा समाजवादी पार्टी को घेरने का मौका मिलेगा.
 
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर मुलायम सिंह यादव भले ही शोक व्यक्त करने न जा पाए हों. ऐसे में स्वतंत्र देव का मुलायम सिंह से हुई मुलाकात के जरिए बीजेपी यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि वैचारिक मतभेद भले हों, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए, साथ ही सियासी शिष्टाचार बहुत जरूरी है. जन्माष्टमी पर मुलायम सिंह यादव के साथ इस भेंट की तस्वीर खुद स्वतंत्र देव सिंह ने ही ट्वीट की थी. 

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बता दें कि कल्याण सिंह के निधन पर मुलायम और अखिलेश के श्रद्धांजलि देने न पहुंचने पर पहला हमला स्वतंत्र देव सिंह ने ही बोला था. उन्होंने 24 अगस्त को ट्वीट कर कहा था, 'अखिलेश जी अपने आवास से मात्र एक किलोमीटर दूर माल एवेन्यू में स्वर्गीय कल्याण सिंह 'बाबूजी' को श्रद्धांजलि देने नहीं आ सके. कहीं मुस्लिम वोट बैंक के मोह ने उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता को श्रद्धांजलि देने से तो नहीं रोक लिया.' 

वहीं, स्वतंत्रदेव सिंह ने खुद मुलायम सिंह से मुलाकात के बहाने राजनीतिक शिष्टाचार का संदेश तो दिया ही, कल्याण सिंह मसले पर गेंद सपा के पाले में डाल दी है. ऐसे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रिट्वीट ने इसे सियासी मोड़ दे दिया और स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी में लाने की मुलायम सिंह यादव की चाहत से जोड़ दिया. अखिलेश ने सपा के डिजिटल मीडिया हेड मनीष जगन अग्रवाल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि नेताजी (मुलायम सिंह) ने स्वतंत्रदेव को सपा ज्वाइन करने का ऑफर दिया. साथ ही कहा गया है कि बीजेपी में पिछड़ों और दलितों की अनदेखी की वजह से शायद स्वतंत्र देव सिंह नाराज हैं.

कौन हैं स्वतंत्र देव सिंह? 

स्वतंत्रदेव सिंह आरएसएस की राजनीतिक प्रयोगशाला से निकले हुए नेता हैं और यूपी में बीजेपी का ओबीसी चेहरा हैं.स्वतंत्र देव सिंह का जन्म 13 फरवरी 1964 को मिर्जापुर में हुआ है. स्वतंत्र देव ने जालौन को कर्मभूमि बनाई और उनकी शादी झांसी में हुई. छात्र जीवन में ही राजनीति से जुड़े लेकिन कभी भी करिश्माई सफलता नहीं मिली.

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उन्होंने 1986 में उराई के डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके. इसके बाद 2012 में विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई और वहां भी करारी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 2004 में विधान परिषद के सदस्य बने और उन्होंने बीजेपी में कार्यकर्ता से लेकर संगठनकर्ता तक का सफर तय किया है.

स्वतंत्र देव सिंह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माना जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव तक यूपी में मोदी की सभी रैलियों को सफल बनाने का जिम्मा स्वतंत्र देव सिंह के पास था और उन्होंने अपनी संगठन क्षमता को साबित भी कर दिया. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के आने पर उन्हें मंत्री के पद से नवाजा गया और बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है.

स्वतंत्र देव सिंह सूबे में यादव के बाद ओबीसी की दूसरी सबसे बड़ी जाति कुर्मी समुदाय से आते हैं. मुलायम सिंह यादव ने एक समय कुर्मी समाज के बीच बेनीप्रसाद वर्मा के जरिए मजबूत पकड़ बनाई थी, लेकिन कुर्मी समुदाय फिलहाल बीजेपी का परंपरागत वोटर है. इसीलिए बीजेपी ने सूबे में पार्टी की कमान कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव को दे रखी है. 

स्वतंत्र देव सिंह का सियासी आधार

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यूपी में की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटें और 8 से 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर कुर्मी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं. यूपी में कुर्मी जाति की संत कबीर नगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, बस्ती और बाराबंकी, कानपुर, अकबरपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर जिलों में ज्यादा आबादी है. यहां की विधानसभा सीटों पर कुर्मी समुदाय या जीतने की स्थिति में है या फिर किसी को जिताने की स्थिति में. 

मौजूदा समय में यूपी में कुर्मी समाज के बीजेपी के 6 सांसद और 26 विधायक हैं. केंद्र की मोदी सरकार में यूपी के कोटे से मंत्री पंकज चौधरी इसी समुदाय से आते हैं. इसके अलावा यूपी में योगी सरकार में कुर्मी समुदाय के तीन मंत्री है, जिनमें मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, राज्यमंत्री जय कुमार सिंह 'जैकी' हैं. कुर्मी समुदाय पहले भी बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ा रहा है और उसे मजबूत बनाए रखने के लिए अपना दल (एस) के साथ भी बीजेपी ने गठबंधन कर रखा है और अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री भी बनाया है. 

कुर्मी वोटों पर सभी की निगाहें

उत्तर प्रदेश में कुर्मी-सैथवार मिलाकर 8 फीसदी वोट हैं, जिस पर बीजेपी अपनी पैनी निगाह रख रही है. पूर्वांचल से लेकर अवध, बुदेलखंड और रुहेलखंड के इलाके की सीटों पर कुर्मी, पटेल, वर्मा, गंगवार और कटियार मतदाता चुनावों में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. यूपी में रामस्वरुप वर्मा, सोनेलाल पटेल और बेनी प्रसाद वर्मा के बाद और इनके नहीं रहने पर प्रदेश में कुर्मी के बड़े नेता के तौर पर कोई खास बड़ा नेता किसी पार्टी के पास नहीं हैं. 

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सपा में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम जरूर कुर्मी समुदाय से हैं, लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के बराबर अपना सियासी कद कुर्मी समाज के बीच नहीं स्थापित कर सके हैं. इतना ही नहीं बेनीबाबू के बाद सपा में कोई दूसरा कुर्मी नेता खड़ा नहीं हो सका. यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव स्वतंत्रदेव सिंह को सपा में लाकर एक बेनीप्रसाद वर्मा की भरपाई भी करना चाहते हैं और कुर्मी समुदाय को संदेश भी देना चाहते हैं.

 

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