
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान भले ही न हुआ हो, पर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. तीन दशक से सूबे में सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस मुस्लिम मतों के सहारे राजनीतिक आधार मजबूत करने की कवायद में है. ऐसे में कांग्रेस की नजर योगी सरकार में गोकशी में फंसे बेगुनाह मुस्लिमों पर है. कांग्रेस गोकशी मामले में बरी हुए लोगों को सत्ता में आने पर मुआवजा देना का काम करेगी.
यूपी में योगी सरकार के आने के बाद बड़ी संख्या में गोकशी के मामले में लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं. हाल ही गोकशी को लेकर जिन लोगों पर मुकदमे दर्ज थे, उनमें से कई लोगों को हाईकोर्ट ने राहत दी है. हाईकोर्ट से मुकदमा खारिज होने के बाद ऐसे 48 से ज्यादा लोगों की सूची कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी ने तैयार किया है. कांग्रेस इसे लेकर चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है.
कांग्रेस ने हाल ही में लखनऊ में अल्पसंख्यक महासम्मेलन किया था, जिसमें मुसलमानों के जुड़े हुए 16 सूत्रीय संकल्प पत्र का ऐलान किया था. इनमें एक संकल्प यह भी शामिल किया गया कि यूपी गो-वध निवारण अधिनियम के तहत जिन बेगुनाहों पर मुकदमे लादे गए थे, जिन्हें हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. ऐसे बेगुनाह लोगों को कांग्रेस की यूपी में सरकार बनने पर मुआवजा देना का काम करेगी.
कांग्रेस ने तैयार की 48 लोगों की सूची
यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष शाहनवाज आलम का कहना है कि तकरीबन 48 ऐसे लोगों की सूची अल्पसंख्यक कांग्रेस ने तैयार की है, जिन पर योगी सरकार ने गोकशी के मामले में मुकदमा दर्ज कराते हुए एनएसए लगाया गया था. उन्हें हाईकोर्ट ने राहत दी है. हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि इस तरह का कोई केस नहीं बनता है और मामले को खारिज कर दिया है.
शाहनवाज आलम कहते हैं कि योगी सरकार ने राजनीतिक द्वेष की वजह से मुसलमानों को फंसाने का काम किया गया. ऐसे में उन परिवारों का लाखों रुपये खर्च हुआ. बेगुनाह होने के बाद भी लंबे समय तक जेल में रहे. उनके परिवारों को अदालतों के चक्कर लगाने और मुकदमा लड़ने में काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. यूपी के इन सभी लोगों की लिस्ट कांग्रेस ने बनाई है और सरकार बनने पर इन्हें मुआवजा दिया जाएगा.
बता दें कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को ऐसे ही नहीं उठाया बल्कि उसकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. कांग्रेस गोकशी के बहाने सपा के परंपरागत मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने का है. खासकर कांग्रेस की नजर यूपी में मुस्लिमों के कुरैशी समाज के वोटर पर है. कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी लगातार कुरैशी समुदाय को मुद्दों के लेकर मुखर है. बीजेपी के साथ-साथ सपा और बसपा को भी निशाना बनाया था.
यूपी में बंद किए गए थे अवैध बूचड़खाने
सूबे में योगी सरकार की सबसे पहली गाज मुस्लिम समुदाय के कुरैशी बिरादरी के गोश्त के करोबार पर गिरी थी. यूपी में तमाम अवैध स्लाटर हाउस बंद हो गए थे, जिसके चलते कुरैशी समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. साथ ही बड़ी संख्या में गोकशी मामले में कुरैशी बिरादरी की गिरफ्तारियां भी है. बीजेपी ही नहीं बल्कि सपा और बसपा सरकार में भी कुरैशी समाज का रोजगार बड़ा संकट रहा है. इन्हीं कारणों को देखते हुए कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है.
मुस्लिमों से यूपी में अंसारी के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाले समाज कुरैशी है. मुसलमानों के कुल आबादी में करीब 20 फीसदी कुरैशी समुदाय के लोग हैं, जो सूबे की करीब 40 विधानसभा सीटों को प्रभावित करते हैं. यूपी में तीस सीटें ऐसी हैं, जहां पर कुरैशी 20 से 50 हजार के बीच है. इसके अलावा बाकी 10 सीटों पर 10 हजार से 20 हजार के बीच है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ ,मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, हापुड़, गाजियाबाद, संभल ,बुलंदशहर, अलीगढ़ में कुरैशी समाज मुस्लिम वोटों के अंदर काफी अहमियत रखता है. ये बिरादरी अपने कारोबार यानी फ्रूट मंडी , दूध के जानवर और मीट, और चमड़ा का कारोबार बड़े पैमाने पर करती.
उत्तर प्रदेश की सियासत में कुरैशी बिरादरी को सियासी पहचान काफी देर से मिली. सपा और बसपा कुरैशी वोटों के सहारे पश्चिम यूपी की कई सीटों पर जीत दर्ज करती रही है. सहारनपुर से बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान और मेरठ लोकसभा सीट पर मामूली वोटों के हारने वाले हाजी याकूब कुरेशी इसी समुदाय से आते हैं. इसके अलावा मुरादाबाद से हाजी इकराम कुरैशी सपा से विधायक हैं तो अलीगढ़ में मेयर कुरेशी हैं. कुरैशी वोटों के सियासी आधार को देखते हुए कांग्रेस भी अब फ्रंट फुट पर खेल रही हैं.