Advertisement

22 नवंबर को अखिलेश-शिवपाल होंगे एकजुट? आदित्य यादव ने बताई 'मिशन 2022' की रणनीति

क्या 22 नवंबर को अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव का गठबंधन होगा? अगर चाचा-भतीजा एकजुट नहीं होते हैं तो क्या होगी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) की रणनीति. इन मुद्दों पर आजतक डिजिटल से आदित्य यादव ने खास बातचीत की.

प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव
विशाल कसौधन
  • लखनऊ,
  • 17 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST
  • प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं आदित्य यादव
  • आजतक डिजिटल से बातचीत में बताई रणनीति

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियों ने अपनी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है. रथयात्राओं का दौर भी शुरू हो चुका है. समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव भी इन दिनों सामाजिक परिवर्तन यात्रा निकाल रहे हैं.

प्रसपा की सामाजिक परिवर्तन यात्रा का पहला चरण खत्म हो चुका है और रथ अगले चरण की यात्रा पर निकलने के लिए तैयार है. इस बीच शिवपाल सिंह यादव की कोशिश है कि उनका गठबंधन सपा के साथ हो जाए. इन सभी पॉलीटिकल डेवलपमेंट पर आजतक डिजिटल से प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने खास बातचीत की-

Advertisement

सवाल- इस वक्त प्रसपा को आप किस जगह खड़ा हुआ पाते हैं, जब आप जनता के बीच जा रहे हैं?
जवाब-
इस पार्टी का गठन किए हुए आज ढाई साल से अधिक का समय हो चुका है. इन ढाई सालों में हमने पूरे प्रदेश का दौरा किया है. इसके अलावा कई कार्यक्रम चलाए, जिनमें गांव-गांव पांव-पांव कार्यक्रम भी रहा. इस कार्यक्रम के जरिए हमारे कार्यकर्ता हर गांव-गांव तक पहुंचे और लोगों से जनसंवाद किया. अब चुनाव में महज 3 महीने बचे हैं, ऐसे में हम लोग लोगों से मिल रहे हैं और अपनी बात उन तक पहुंचा रहे हैं.

सवाल- प्रसपा किन मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जा रही है?
जवाब-
देखिए, इस सरकार में महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ा है, किसानों का उत्पीड़न बढ़ा है, अखिलेश यादव-शिवपाल यादव के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में महिलाओं को भी सम्मान मिला था और किसानों को भी, इस सरकार के मुखिया महिलाओं और किसानों के उत्पीड़न के मसले पर कुछ बोलते भी नहीं हैं, एनसीआरबी के आंकड़े गवाह है कि कैसे प्रदेश में क्राइम ग्राफ बढ़ा है, कानून-व्यवस्था के मसले पर प्रदेश सरकार पूरी तरह से विफल रही है.

Advertisement

सवाल- लखीमपुर कांड में यूपी सरकार के रोल को कैसे देखते हैं?
जवाब-
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी छोड़िए वह बिल्कुल बेबाक तरीके से कार्यक्रमों में जा रहे हैं, वह गाड़ी उनके नाम पर ही थी, सारे तथ्य उनके और उनके बेटे की तरफ इशारा करते हैं, उसके बावजूद प्रशासन और पुलिस इतनी बेबस और लाचार क्यों है, अगर ऐसा है तो कहीं न कहीं सरकार का हाथ है, सरकार ने ढील देने के लिए कहा है, इसी वजह से ढील दी जा रही है.

सवाल- आप लोग बार-बार कह रहे हैं कि सरकार हर मोर्चे पर फेल है, लेकिन विपक्ष भी एक प्लेटफॉर्म पर आने में अब तक विफल साबित हो रहा है, खास तौर पर प्रसपा और सपा, ऐसे में बीजेपी से आप कैसे टक्कर ले पाएंगे?
जवाब-
यह बहुत ही अच्छी और सच्ची बात है और इसको स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है, आज बीजेपी के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि विपक्ष थोड़ा सा बैकफुट पर चला गया है, अगर यही विपक्ष मजबूत होता तो देश के लोगों को मजबूती मिलती, आज एक विकल्प के तौर पर कोई नहीं दिखता है, हमारे नेता शिवपालजी कहते रहे हैं कि हमारी प्राथमिकता सपा है और उसके अलावा अन्य दल भी हैं, वो चाहते हैं कि विपक्ष का मजबूत फ्रंट बने. आज सबसे पहले विपक्ष को एक मजबूत मंच बनाना चाहिए, जिसके अंदर सभी बीजेपी विरोधी दल हों.

Advertisement

सवाल- फिर विपक्ष एकजुट क्यों नहीं हो रहा है, आखिर सपा और प्रसपा की बात कहां अटक रही है?
जवाब-
आज सपा खुद ग्राउंड लेवल पर अपने कार्यकर्ताओं के बीच सर्वे कराए, फिर उनको पता लगेगा कि उनकी क्या मांग है, मैं तो लगातार बात करता रहता हूं, लोग कहते हैं कि जिस दिन सपा और प्रसपा एकजुट हो जाएगी, उस दिन एक मजबूत विपक्ष उभर कर सामने आएगा, जनता भी इसी चीज का इंतजार कर रही है कि एक बार फिर से चाचा-भतीजा साथ आएं. 

सवाल- अखिलेश यादव की लीडरशीप में चाचा शिवपाल यादव चलेंगे?
जवाब-
अखिलेश यादवजी की लीडरशीप बहुत अच्छी थी, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जो क्रांतिकारी विकास के काम हुए, वो उत्तर प्रदेश के लोगों ने पहले नहीं देखा था, अखिलेश यादवजी का चेहरा लीडरशीप के रूप में देखा जाता है, हमें कुछ ऐसे चेहरे चाहिए होंगे जो जमीन स्तर पर जाकर प्रशासन से लड़ सके और मजबूती से विपक्ष की बात रख सके, यह पिछली सरकार में शिवपालजी करते थे, जो आज दिखाई नहीं देता है. इसी कॉम्बिनेशन को आने वाले समय में कोई तोड़ नहीं पाएगा, इसी वजह से बीजेपी डरती है.

सवाल- प्रसपा की ओर से गठबंधन की पहल की जा रही है, लेकिन सपा की ओर से कोई कदम तो बढ़ाया नहीं जा रहा है?
जवाब-
देखिए राजनीति में समय का अहम रोल है, कभी समय लगता है और कभी तुरंत चीजें हो जाती हैं, अगर हम लोगों का गठबंधन हो जाता है तो उसके बाद प्रदेश के अंदर बड़ी अच्छी स्थिति होगी, लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता है तो हम 403 विधानसभा सीटों पर जाएंगे ही, हमारा सामाजिक परिवर्तन रथ सभी सीटों से गुजरेगा, हमारे नेता ने हमें अकेले चुनाव लड़ने या किसी भी समीकरण के लिए जमीन तैयार करने को कहा है और हम उसकी तैयारी कर रहे हैं.

Advertisement

सवाल- प्रसपा क्या कांग्रेस के साथ भी हाथ मिला सकती हैं, लखीमपुर कांड में प्रियंका काफी एक्टिव रही थीं?
जवाब-
चार दिन के काम से कुछ नहीं होता है, अभी भी कांग्रेस को लेकर लोगों के मन में शंका है, अभी जो तेजी दिख रही है लेकिन आने वाले समय में वह बरकरार रख पाएंगी या नहीं, कांग्रेस के अंदर एक और दिक्कत है कि उसके अंदर लीडर्स हैं वर्कर्स नहीं, कांग्रेस यकीनन बहुत मेहनत कर रही है लेकिन जो काम वह आज कर रहे हैं वो कम से कम 6 महीने पहले से शुरू किए होते तो आज एक मूवमेंट बनता, फिलहाल कांग्रेस को लेकर अंडर करंट नहीं है.

सवाल- प्रसपा बार-बार क्यों कहती है कि 2022 के सत्ता की चाभी उसके हाथ में है?
जवाब-
प्रदेश की ऐसी कोई सीट नहीं है, जहां पर शिवपालजी को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले लोग नहीं है, यह संख्या हजारों में नहीं लाखों में हैं, जब भी नेताजी ने शिवपालजी को जो भी जिम्मेदारी दी थी, उन्होंने निभाया और वह ग्राउंड पर गए, मैं मानता हूं कि जिस तरफ शिवपालजी होंगे, उसी तरफ सत्ता होगी और यह भी तय है कि 2022 के चुनाव में प्रसपा अच्छे परिणाम लाते हुए सत्ता में आने वाली है.

Advertisement

सवाल- 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है, क्या ऐसी संभावना है कि इस दिन चाचा-भतीजा एक होंगे और आप अपने भाई (अखिलेश यादव) से गले मिलेंगे?
जवाब-
देखिए मैं घर का सबसे छोटा हूं, इसलिए जब भी होगा तो मैं आशीर्वाद ही लूंगा, खैर 22 नवंबर अभी बहुत दूर है, मैं तो चाहूंगा कि इससे पहले गठबंधन पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यूपी की जनता चाहती है. 22 नवंबर से पहले ही शिवपालजी और अखिलेशजी गठबंधन कर लेते हैं तो इसका परिणाम बहुत अच्छा मिलेगा, पब्लिक के अंदर मैसेज जाना भी जरूरी है, दिसंबर में आचारसंहिता लग जाएगी ऐसे में 22 नवंबर देर हो जाएगा.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement