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UP election 2022: ओमप्रकाश राजभर का दावा- 18 से 20 जनवरी के बीच और भाजपा नेता हमारे साथ आएंगे

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि चंद्रशेखर रावण की अखिलेश यादव से मैंने दो बार मुलाकात करा दी है. दोनों बार मैंने उनसे कहा कि एक साथ आने में ही सबका हित है. राजभर ने कहा कि आज फिर से वे चंद्रशेखर रावण से बात करेंगे. उनसे उनका निर्णय पूछेंगे.

ओमप्रकाश राजभर. -फाइल फोटो ओमप्रकाश राजभर. -फाइल फोटो
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 13 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST
  • राजभर ने डबल इंजन सरकार पर साधा निशाना
  • कहा- आज किसान भाजपा के लिए डंडा लेकर खड़ा है

सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि भाजपा के किसी नेता में आज वोट दिलाने की हैसियत नहीं है. जो नेता ऐसे हैं भी तो वे 18 से 20 जनवरी को हमारे साथ आ जाएंगे. उन्होंने दावा किया कि कुछ नेताओं ने अखिलेश यादव के साथ फोटो खिंचवा लिया लिया है, बस राजभवन में इस्तीफा भेजना बाकी है. 

वहीं, चंद्रशेखर रावण की अखिलेश यादव से मुलाकात पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बुधवार रात मेरे पास रावण के कुछ लोग बात करने आए थे. उसके बाद मैंने अखिलेश यादव से बात की. अखिलेश ने कहा कि पश्चिमी यूपी में आरएलडी चुनाव लड़ रही है. वे कहां से कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, ये सूची पहले तैयार कर ली जाए फिर आगे बात करेंगे. इसके बाद मैंने रावण के लोगों को अखिलेश यादव का संदेश और नंबर दोनों दे दिया और कहा कि आप बात कर लीजिए.

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ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि चंद्रशेखर रावण की अखिलेश यादव से मैंने दो बार मुलाकात करा दी है. दोनों बार मैंने उनसे कहा कि एक साथ आने में ही सबका हित है. राजभर ने कहा कि आज फिर से वे चंद्रशेखर रावण से बात करेंगे. उनसे उनका निर्णय पूछेंगे. 

डबल इंजन सरकार पर राजभर ने साधा निशाना

राजभर ने बातचीत के दौरान केंद्र और प्रदेश सरकार पर निशाना साधा और कहा कि डबल इंजन की हवा निकल गई है. किसान डंडा लेकर खड़ा है. 69 हजार शिक्षक भर्ती में जितना छात्रों को पुलिस से पिटवाया है, उतना छात्र घर में लाठी में तेल लगाकर चक्रवृद्धि ब्याज देने के लिए खड़े हैं. एक बार बाबू सिंह कुशवाहा बीजेपी में गए थे तो बड़ी दुर्गति हुई थी, बड़ा जलील करके भाजपा वालों ने निकाला था.

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राजभर ने कहा कि बाबू सिंह कुशवाहा मेरे साथ सपा के गठबंधन में नहीं है. वैसे बाबू सिंह कुशवाहा के भाजपा में जाने का सवाल नहीं है. एक बार जलील होकर लौट आए हैं लेकिन राजनीति में अपने स्वार्थ हैं. मैं तो बाबू सिंह कुशवाहा से कहूंगा कि जो संविधान को खत्म कर रहा है, आरक्षण खत्म कर रहा है, जो दलितों का हिस्सा लूट रहा है, वहां जाकर फिर से जितिन प्रसाद की तरह हो जाएंगे.

 

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