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UP Election: BSP नेता ने मायावती को भेजा इस्तीफा, कहा- पार्टी पर एक ही परिवार का कब्जा

शेख उबैद अहमद ने कहा कि बीएसपी कांशीराम के कदम से भटक कर अब किसी और राह चल रही है. पार्टी दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के प्रति नकारात्मक रवैया अपना रही है, जिससे बीएसपी को काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, उनकी पत्नी कल्पना मिश्रा, बेटा कपिल मिश्रा सहित दामाद परेश मिश्रा पार्टी को चला रहे हैं.

अहमद ने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं लेकिन संगठन के लिए काम करना चाहते हैं. अहमद ने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं लेकिन संगठन के लिए काम करना चाहते हैं.
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 14 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:10 AM IST
  • शेख उबैद अहमद ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया पार्टी हितैषी
  • बसपा के पूर्व कॉर्डिनेटर रह चुके हैं शेख उबैद अहमद

बहुजन समाज पार्टी पर एक ही परिवार के कब्जा का आरोप लगाते हुए 20 साल से पार्टी से जुड़े शेख उबैद अहमद ने मायावती को अपना इस्तीफा भेज दिया. अहमद बीएसपी के पूर्व कोर्डिनेटर रह चुके हैं. उन्होंने बीएसपी सुप्रीमो को पत्र लिखकर सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे का कारण उन्होंने पार्टी को एक ही परिवार द्वारा चलाया जाना बताया है. उन्होंने लिखा है कि सिर्फ एक परिवार की वजह से पार्टी में अब कोई बड़ा नेता नहीं रहा है. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी हितैषी भी बताया है. उन्होंने मौर्य को अपना गुरु और आदर्श भी बताया. इस्तीफा के बाद चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं लेकिन संगठन के लिए काम करना चाहते हैं.

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शेख उबैद अहमद के मुताबिक, बीएसपी कांशीराम के कदम से भटक कर अब किसी और राह चल रही है. पार्टी दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के प्रति नकारात्मक रवैया अपना रही है, जिससे बीएसपी को काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, उनकी पत्नी कल्पना मिश्रा, बेटा कपिल मिश्रा सहित दामाद परेश मिश्रा पार्टी को चला रहे हैं. इसकी वजह से मुसलमानों और पिछड़ों से बात करने के लिए कोई चेहरा अब नहीं बचा है. इसके लिए किसी और को आगे भी नहीं किया जा रहा है.

शेख उबैद अहमद का इस्तीफा.

अहमद ने आरोप लगाया कि पहले भाईचारा कमेटियां काम करतीं थीं लेकिन अब नहीं, क्योंकि भाईचारा कमेटी सहित अन्य संगठन में एक परिवार के अलावा किसी दूसरे को जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है. ऐसे में पार्टी के साथ कोई खड़ा नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए पहले नसीमुद्दीन सिद्दीकी आवाज उठाते थे, स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़ों की बात उठाते थे, लेकिन अब कोई ऐसा नेता पार्टी में नहीं बचा है. पार्टी परिवार में सिमट कर रही गयी है. 

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