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UP Election 2022 : गंगा के तट पर बसे बिजनौर का क्या है चुनावी मूड, समझिये इस ग्राउंड रिपोर्ट में

मुरादाबाद से अलग होकर बिजनौर (Bijnor) जिला बना और इसका मुख्यालय नगीना था. बाद के वर्षों में मुख्यालय बिजनौर को बना दिया गया. बिजनौर शहर अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी जाना जाता है. इसकी विशेषता यह है कि यहां हिंदू मुस्लिम का सामाजिक ताना-बाना बना है, जिसमें 55% हिंदू हैं तो 45% मुसलमान, जबकि डेढ़ प्रतिशत आबादी सिखों की बताई जाती है, जो इस इलाके की सियासी गणित को बैलेंस करती है.

Bijnor Bijnor
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • बिजनौर,
  • 27 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST
  • मीरा कुमार और रामविलास भी लड़ चुके हैं चुनाव
  • बीजेपी का रहा है यहां की सीटों पर दबदबा

उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में किसकी नैया पार होगी, किसकी विजय होगी. महात्मा विदुर की धरती बिजनौर (Bijnor) वह जगह है, जहां कई पार्टियों के सियासी सूरमाओं ने अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की. मायावती ने अपने सियासी सफर की शुरुआत इसी बिजनौर से की थी तो मीरा कुमार और रामविलास पासवान भी यहां से मैदान में उतर चुके हैं. 

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कोई भी पार्टी इस इलाके को अपना गढ़ नहीं बना पाई. गंगा किनारे की इस उपजाऊ जमीन में विधानसभा की कुल 8 सीटें हैं, जिसमें 2017 में बीजेपी ने 8 में से 6 सीटें जीती थीं तो समाजवादी पार्टी की झोली में 2 सीटें गई थीं. इस बार गंगा किनारे बसे इस शहर के वोटरों का मिजाज समझिए इस रिपोर्ट में.

बिजनौर शहर गंगा और मालन नदी के बीच बसा है. इसकी प्राचीनता इसी बात से जानी जाती है कि इस शहर को महात्मा विदुर की भूमि के नाम से जाना जाता है. गंगा तट के किनारे बसा यह खूबसूरत ऐतिहासिक शहर बिजनौर है, जिसका अस्तित्व महाभारत काल से माना जाता है. यह शहर मुगलों नवाबों और अंग्रेजों के शासन का हिस्सा रहा. 

मुरादाबाद से अलग होकर बिजनौर जिला बना और इसका मुख्यालय नगीना था. बाद के वर्षों में मुख्यालय बिजनौर को बना दिया गया. बिजनौर शहर अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी जाना जाता है. इसकी विशेषता यह है कि यहां हिंदू मुस्लिम का सामाजिक ताना-बाना बना है, जिसमें 55% हिंदू हैं तो 45% मुसलमान, जबकि डेढ़ प्रतिशत आबादी सिखों की बताई जाती है, जो इस इलाके की सियासी गणित को बैलेंस करती है.

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चौपाल पर चर्चा में क्या बोले लोग

विदुर कुटी जो गंगा के तट से कुछ दूरी पर मौजूद है, यहां जनता के मंतव्य को जानने के लिए आज़तक की टीम ने चौपाल पर चर्चा की. इसमें पता चला कि यहां की जनता जानवरों से परेशान है तो इस इलाके के खादर क्षेत्र के गांवों में बाढ़ आने की बड़ी समस्या बनी रहती है. इसमें 20 से 25 गांव हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं.

सबसे ज्यादा की जाती है गन्ने की खेती

आज भी कई गांव गंगा के कटान के मुहाने पर खड़े हैं. किसी भी समय गंगा उन्हें अपने आगोश में ले लेती है. इसका अभी तक कोई भी स्थाई समाधान नहीं हो पाया है. इस इलाके में गन्ने की खेती सबसे ज्यादा होती है. शुगर मिल भी बहुत हैं. गन्ना किसानों ने बातचीत में बताया कि समय पर गन्ने का भुगतान नहीं होता है. जनता इस बार सरकार को बताएगी कि किसानों के लिए किस तरीके से काम करना चाहिए.

सरकार की घोषणा के बाद बन रहा है मेडिकल कॉलेज

बिजनौर में 9 शुगर मिल हैं. बिजनौर गन्ने और धान की खेती के लिए जाना जाता है. जनपद में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है. यहां सरकार की घोषणा के बाद मेडिकल कॉलेज का निर्माण जारी है. बिजनौर में मेरठ से नजीबाबाद के लिए फोरलेन एक्सप्रेस का काम जारी है. बिजनौर हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम के लिए भी जाना जाता है. हरिद्वार से नैनीताल के लिए बन रहा फोरलेन एक्सप्रेस वे बिजनौर के नगीना से नैनीताल के लिए शुरू हो चुका है.

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बिजनौर की 8 विधानसभा सीटों में 6 पर जीती थी बीजेपी

बिजनौर में इस बार सियासी मूड किसके पक्ष में है, गंगा किनारे के इस शहर की गलियों में हम पहुंचे, जहां लोगों से जानने की कोशिश की. साल 2017 में बिजनौर जिले की 8 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 6 सीटें जीती थीं और समाजवादी पार्टी की झोली में 2 सीटें गई थीं. बीजेपी को बंपर जीत हासिल हुई थी. बिजनौर के मशहूर बुल्ला चौक के लोगों ने कहा कि जब सबका साथ सबका विकास की बात हो रही है तो इस इलाके में वैसा विकास नहीं हुआ है, जैसा यह लोग चाहते हैं. इलाके के कुछ लोगों का यह कहना है कि समस्याएं बहुत हैं, इन समस्याओं का निदान अब तक नहीं हो सका है.

अधिकतर भारतीय जनता पार्टी का रहा सीट पर कब्जा

गंगा किनारे बसे बिजनौर विधानसभा की अगर राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से इस सीट पर अधिकतर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा है. इस सीट पर 1991 के बाद से 2017 तक के 7 बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) ने पांच बार अपना कब्जा जमाया है, जबकि बीएसपी (BSP) और सपा (SP) के विधायक इस सीट पर केवल एक बार ही काबिज़ हो सके हैं. 2017 में भी बीजेपी प्रत्याशी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में क्या परिणाम सामने आएंगे, यह समय ही बताएगा.

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