
उत्तर प्रदेश चुनाव में सभी पार्टियां अपने अंदाज में जोरदार प्रचार कर रही हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी फिर अपनी पार्टी को मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं. इसी कड़ी में आज बुलंदशहर में वे अपने समर्थकों संग प्रचार कर रही थीं. लेकिन वहां पर उनकी मुलाकात हो गई सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आरएलडी चीफ जयंय चौधरी से.
दोनों अखिलेश और जयंत भी वहां पर प्रचार करने आए थे. लेकिन जैसे ही प्रियंका गांधी का काफिला उनके सामने आया, दोनों रुक गए और फिर एक दूसरे की ओर हाथ हिलाया. ये नजारा देख दोनों पार्टियों के समर्थक उत्साह में झूमने लगे. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. अखिलेश ने खुद सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर कर लिखा है कि एक दुआ-सलाम ~ तहज़ीब के नाम. प्रियंका गांधी ने भी जवाब में ट्वीट किया कर लिखा- हमारा भी राम-राम.
अब दोनों ही बड़े नेताओं का ये अंदाज चर्चा का विषय बन गया है. मायने इसलिए भी रखता है क्योंकि बिना किसी गठबंधन के भी कांग्रेस और सपा के बीच एक 'अंडरस्टैडिंग' चल रही है. ये वो पॉलिटिकल अंडरस्टैडिंग है जिस वजह से करहल सीट से कांग्रेस ने अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है और अखिलेश यादव को एक खुला मैदान दिया गया है. जसवंत नगर की सीट पर भी कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. वहां पर शिवपाल यादव को एक आसान जीत दिलवाने की कोशिश है. इसी तरह सपा की तरफ से भी अमेठी और रायबरेली से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया है. वहां पर कांग्रेस को सीधे बीजेपी से मुकाबला करने का मौका दिया गया है.
वैसे पहले कांग्रेस और सपा के बीच में गठबंधन की बात भी थी, लेकिन अखिलेश यादव इसके लिए तैयार नहीं थे. उनकी माने तो पिछला अनुभव ठीक नहीं रहा था, ऐसे में कांग्रेस को साथ नहीं लाना चाहते थे. अब साथ नहीं है लेकिन फिर भी एक अंडरस्टैडिंग है.
अब प्रियंका गांधी की बात करें तो वे आज बुलंदशहर में प्रचार करने आई थीं. वे उस पीड़ित परिवार से भी मिलीं जहां पर एक लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया था. जहां पर उसके शव को जबरन जलाया गया. प्रियंगा गांधी ने ये मुद्दा उठाया और सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लिखा कि एक बार फिर न्याय की आवाज को दबाने का प्रयास है. एक बार फिर उप्र सरकार के प्रशासन ने पीड़ित परिवार की मदद के बजाय, उन्हें परेशान किया. अन्याय की प्रतीक हाथरस घटना की तरह ही इसमें भी पुलिस ने FIR में बलात्कार का जिक्र नहीं किया और लड़की के शव को जबरन जला दिया.