
यूपी के बाराबंकी में रामनगर विधानसभा का टिकट पाने के लिए समाजवादी पार्टी के दो दिग्गज नेता आमने-सामने थे. दोनों अपनी-अपनी दावेदारी का ऐसा ताल ठोक रहे थे कि अगर किसी एक को भी टिकट न मिलता तो पार्टी में टूट हो जाता. लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करते हुए इन दोनों को रामनगर सीट न देकर फरीद महफूज किदवाई को टिकट दे दिया है.
बाराबंकी जिले की 6 विधानसभा सीटों पर सपा के टिकट बांटने के नए समीकरण ने भाजपा को टिकट बंटवारे में उलझा दिया है. बताया जा रहा है कि भाजपा अब टिकट बंटवारे को लेकर नई रणनीति बनाने में जुट गई है. कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा को सपा प्रत्याशियों की सूची जारी होने का इंतजार था. अब सपा की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद भाजपा में टिकट बंटवारे को लेकर बड़े फेरबदल के आसार हैं.
दरअसल, बाराबंकी की हॉट सीट माने जाने वाली रामनगर विधानसभा सीट पर दो पूर्व मंत्रियों ने दावेदारी की थी. दोनों को टिकट न मिलने पर पार्टी में फूट के आसार थे लेकिन अखिलेश यादव ने दोनों में से किसी भी पूर्व मंत्री को टिकट न देकर किसी और को टिकट देकर सियासती झगड़े को खत्म कर दिया है. रामनगर सीट से दावेदारी कर रहे कुर्मी वोटों के सरबराह रहे बेनी बाबू के पुत्र राकेश वर्मा को कुर्सी विधानसभा से और क्षत्रिय-ठाकुरों के बड़े नेता पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को दरियाबाद से टिकट देकर बाराबंकी समेत आसपास के जिलों में सपा को मजबूत कर दिया है.
गुरुवार को समाजवादी पार्टी के 4 उम्मीदवारों की सूची जारी हुई. इसमें पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवई को रामनगर से, अरविंद सिंह गोप को दरियाबाद से, स्व बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को कुर्सी विधानसभा से और सदर सीट से धर्मराज उर्फ सुरेश यादव को टिकट दिया गया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के पुत्र व पूर्व मंत्री राकेश कुमार वर्मा मसौली से विधायक रह चुके हैं. अरविंद सिंह गोप दो बार हैदरगढ़ व एक बार रामनगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वहीं फरीद रामनगर, कुर्सी और मसौली से कई बार विधायक बन कर कई बार मंत्री बन चुके हैं.
वही 2 बार लगातार विधायक रहे धर्मराज उर्फ सुरेश यादव पर पार्टी ने भरोसा करते हुए तीसरी बार टिकट दिया है, लेकिन बाराबंकी सदर सीट का इतिहास रहा है कोई भी नेता लगातार 3 बार विधायक नहीं बना है. आपको बता दें कि रामनगर सीट से अरविंद गोप व राकेश की दावेदारी के चलते इस सीट की जिले में चर्चा थी. दोनों पूर्व मंत्रियों के समर्थक इस सीट के टिकट को जनपद का नेता तय करने वाला बता रहे थे. इस बीच सपा नेतृत्व ने दोनों के बजाय तीसरे को इस सीट से मौका देकर बीच का रास्ता चुना है.