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UP: पहले चरण की इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों ने ही बिगाड़ा था एक-दूसरे का खेल, BJP को हुआ फायदा

यूपी के पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें से 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी पिछले चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर भी कमल खिलाने में कामयाब रही थी, जिसकी मुख्य वजह यह थी कि एक-एक सीट पर कई मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे थे. ऐसे में मुस्लिम वोटों के बिखराव का फायदा बीजेपी को मिला था.

मुस्लिम वोटर मुस्लिम वोटर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST
  • यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी का कब्जा है
  • यूपी में सबसे कम मुस्लिम प्रतिनिधित्व 2017 में
  • मुस्लिम बहुल सीट पर क्यों हारे मुस्लिम कैंडिडेट?

उत्तर प्रदेश के पहले चरण की 10 जिले की 58 विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी को चुनाव है. UP Election के पहले चरण में बीजेपी के लिए जितना ज्यादा चुनौती है, उससे कम मुस्लिम के लिए सियासी चैलेंज नहीं है. बीजेपी ने पिछले चुनाव में 58 में से 54 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पहले चरण की आधा दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम नेताओं का खेल मुस्लिमों ने ही बिगाड़ दिया था. ऐसे में मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बीजेपी 'कमल' खिलाने में कामयाब रही थी.

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2017 यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में क्लीन स्वीप किया था, जिसमें मुस्लिम बहुल सीटों पर विपक्षी दलों का सफाया कर दिया था. पश्चिमी यूपी की मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा, बसपा, आरएलडी सहित कई पार्टियों से मुस्लिम प्रत्याशियों के उतरने का सियासी फायदा बीजेपी को मिला था. मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से लेकर मेरठ दक्षिण, लोनी, सिवालखास सहित करीब सात सीटें हैं, जहां पर एक से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट्स के चुनावी मैदान में उतरने के चलते मुस्लिम विधायक नहीं बन सके थे. 

मीरापुर: 193 वोटों के चलते विधायक नहीं बन सके
मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर लिकायत अली महज 193 वोटों से हार गए थे. 2017 में मीरापुर सीट पर कुल 14 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, जिनमें 6 मुस्लिम कैंडिडेट किस्मत आजमाने उतरे थे. सपा के लियाकत अली और बीजेपी के अवतार सिंह भड़ाना में कड़ा मुकाबला हुआ था, जिनमें बीजेपी को 69035 वोट मिले तो सपा को 68842 वोट मिले था. लियाकत अली 193 वोटों से इसीलिए हार गए थे, क्योंकि बसपा के नवाजिश आलम ने 39689 वोट, इमराना को 462 वोट, मो. मूसा 450, नवाब अली 305, मो,जिशान को 292 और अंजुम कमाल को 165 वोट मिले थे. मुस्लिम वोटों के बिखरने के चलते लियाकत अली विधानसभा नहीं पहुंच सके थे. 

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मेरठ दक्षिण: मुस्लिम वोटों के बिखराव में खिला कमल
मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर भी कई मुस्लिम प्रत्याशी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. मुस्लिम बहुल मेरठ दक्षिण सीट पर बीजेपी के सोमेंद्र सिंह तोमर को 113225    वोट मिले थे. वहीं, बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब कुरैशी को 77830 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के मोहम्मद आजाद सैफी को 69117 वोट मिले थे. बसपा और कांग्रेसे के मुस्लिम कैंडिडेट के वोट मिला ले तो बीजेपी से कहीं ज्यादा पहुंच रहा है. ऐसे में साफ जाहिर है कि मुस्लिम वोटों के बंटना का सियासी फायदा बीजेपी को मिला था.

 
लोनी: तीन मुस्लिम कैंडिडेट्स ने बिगाड़ा खेल
गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते बीजेपी मुस्लिम बहुल सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी. बीजेपी के नंदकिशोर गुर्जर को 113088 वोट मिले थे जबकि बसपा के जाकिर अली को 70275 वोट तो सपा के राशिद मलिक को 42302 और निर्दलीय नसीम को 880 मिले थे. ऐसे में सपा और बसपा के वोटों को मिला लें तो बीजेपी से ज्यादा हो रहा है. ऐसे में अगर मुस्लिम वोट एकजुट होकर पड़ता तो बीजेपी के लिए यहां जीतना आसान नहीं था.

 
थाना भवन: मुस्लिम वोटों के बंटने में खिला कमल
शामली जिले की थानाभवन विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है. बीजेपी महज यहां पर इसलिए कमल खिलाने में कामयाब रही थी, क्योंकि बसपा से लेकर आरएलडी सहित तमाम मुस्लिम नेता निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरे थे. बीजेपी के सुरेश राणा को 90995 वोट मिले थे. वहीं, बसपा के अब्दुल वारिस खान से 74178, रालोद के जावेद राव को 31275  वोट मिले थे. मोहम्मद नासिर को 561 वोट, राहत अली को 378 वोट और परवेज अली को 188 वोट मिले थे. ऐसे में सभी मुस्लिम प्रत्याशी वोटों को मिला देते हैं तो बीजेपी प्रत्याशी से कहीं ज्यादा पहुंचता है. इससे साफ जाहिर है कि मुस्लिम वोटों के बटने के चलते बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही.

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सिवालखास: दो मुस्लिमों की लड़ाई में बीजेपी जीती
मेरठ जिले की मुस्लिम बहुल सिवालखास विधानसभा सीट पर बीजेपी महज इसीलिए जीत गई थी, क्योंकि सपा और बसपा से मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे थे. बीजेपी के जितेंद्र पाल सिंह के 72842 वोट मिले थे. सपा के गुलाम मोहम्मद को 61421, बसपा के नदीम अहमद के 42524 वोट और निर्दलीय वसी मोहम्मद को 342 वोट मिले थे. ऐसे में सपा और बसपा मुस्लिम उम्मीदवारों के वोट जोड़ते हैं तो बीजेपी से कहीं ज्यादा होता है. यहां मुस्लिम वोटों के दो दलों के बीच बटने का फायदा बीजेपी को मिला और मुस्लिम विधायक बनने से महरूम रह गया.

 
बुलंदशहर: सपा-बसपा के मुस्लिम कार्ड के चलते बीजेपी 
मुस्लिम-जाट बहुल बुलंदशहर सीट पर बीजेपी 2017 के चुनाव में कमल खिलाने में कामयाब रही थी. वीरेंद्र सिंह सिरोही भाजपा के टिकट पर 111538 वोट हासिल किए थे. वहीं, बसपा से मो. अलीम खान को 88454, सपा के सुजात आलम    को 24119, निर्दलीय मो. मुस्तकीम को 881वोट मिले थे. यहां सपा और बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी के उतरने का सियासी फायदा बीजेपी को मिला और मुस्लिम विधायक नहीं बन सका.


अलीगढ़ शहर: कई मुस्लिम कैंडिडेट्स उतरने के कारण मिली हार
अलीगढ़ की शहर सीट पर बीजेपी का कब्जा है जबकि इससे पहले मुस्लिम विधायक चुने जाते रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के संजीव राजा 113752 वोट हासिल किए थे जबकि, सपा के जफर आलम को 98312, बसपा के मो. आरिफ को 25704 और पीस पार्टी के गुलजार अहमद को 292 मिले थे. अलीगढ़ सीट पर मुस्लिम प्रत्याशियों को मिले वोटों को जोड़ते हैं को बीजेपी से कहीं ज्यादा होता है. ऐसे में साफ है कि मुस्लिम वोटों के बटने का राजनीतिक लाभ बीजेपी को मिला और मुस्लिम विधायक नहीं बन सका. 

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