
पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण ने कहा है कि मैंने भाजपा को नहीं, बल्कि पार्टी ने मुझे चुना है और ये बड़ी बात है. उन्होंने आजतक से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दलित विरोधी भी बताया. उन्होंने कहा कि मैं दलित था, इसलिए अखिलेश ने मुझे सीआरपीएफ का पहला दलित डीजी बनने से रोक दिया. कन्नौज से चुनाव लड़ने के सवाल पर असीम अरुण ने कहा कि मेरे अंदर लोक सेवा की क्षमता है, जिसे मैं प्रूफ कर सकता हूं. अब ये पार्टी का निर्णय होगा कि मुझे कहां और कैसे इस्तेमाल करना है. असीम ने कहा कि मैं अब राजनीति में आ चुका हूं और यहां भी मन से काम करुंगा.
दलितों के भाजपा के साथ आने पर असीम ने कहा कि दोनों के प्रयासों से सामाजिक परिवर्तन हुआ है. कुछ परिवर्तन होने हैं, जिसके लिए मैं काम करना चाहता हूं. भाजपा सबका साथ सबका विकास करने वाली पार्टी है. जो योजनाएं केंद्र सरकार की ओर से दी जाती हैं, उसे दलितों तक पहुंचाने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है. असीम ने कहा कि प्रदेश में दलितों की बड़ी संख्या है, सभी को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है.
असीम ने भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर पर कहा कि उन्हें देर से अक्ल आई है. वहीं हाल ही में भाजपा छोड़कर दूसरे दलों में जाने वाले नेताओं पर असीम ने कहा कि सभी को अपनी औकात पता चल जाएगी. बता दें कि कानपुर में पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात रहे आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने 8 जनवरी को नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद असीम अरुण ने सोशल मीडिया पर बताया है कि वो 15 जनवरी को आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे और सरकार ने उनका वीआरएस स्वीकार कर लिया है.
असीम अरुण कन्नौज के ही रहने वाले हैं. इस क्षेत्र में उन्होंने अपनी एक अलग ही पहचान बना रखी है. अब चुनावी मैदान में वे उसी पहचान और अनुभव का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं. वैसे असीम अरुण के पिता स्वर्गीय श्री राम अरुण उत्तर प्रदेश के दो बार डीजीपी रह चुके हैं.