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Agra North Assembly Seat: वैश्य समाज के बीच तीन दशक से बीजेपी का जलवा

आगरा उत्तर विधानसभा सीट पर सिर्फ वैश्यों का जलवा है. सन 1985 से अब तक इस सीट पर सिर्फ वैश्य प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की है. ये सीट अभी भाजपा के पास है.

North Agra Assembly Seat प्रोफाइल North Agra Assembly Seat प्रोफाइल
अरविंद शर्मा
  • आगरा,
  • 16 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST
  • वैश्य समाज के बीच तीन दशक से बीजेपी का जलवा
  • उम्मीदवार बदले, समीकरण बदले, जीती बीजेपी

आगरा उत्तर विधानसभा सीट पर सिर्फ वैश्यों का जलवा है. सन 1985 से अब तक इस सीट पर सिर्फ वैश्य प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की है. ये सीट अभी भाजपा के पास है. वैश्य जिसे चाहते हैं, उसे जिता देते हैं और जिसे चाहे हरा देते हैं. कुल मिलाकर विधायक वैश्यों के पाले में रहता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस सीट पर भाजपा ने तीन दशक से अपना एकाधिकार जमा रखा है. 1985 के विधानसभा चुनाव में यहां से सत्यप्रकाश विकल ने जीत का सिलसिला शुरू किया था. जो आज तक जारी है. सत्यप्रकाश विकल 1996 तक भाजपा विधानसभा सदस्य रहे. इसके बाद यहां 2002 के चुनाव में जगन प्रसाद गर्ग को टिकट थमाई गई. तब से लगातार जगन प्रसाद गर्ग विधायक हैं. इस सीट पर भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों ने प्रत्याशी बदले, लेकिन कोई पार्टी भाजपा से सीट नहीं छीन सकी. पार्टियां प्रत्याशी तो बदलती रहीं, लेकिन उनकी किस्मत नहीं बदल सकी. बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा का गढ़ माने जानी वाली इस सीट को कब्जाने की कोशिश की थी.  

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2007 के चुनाव में इस सीट से बीएसपी के सर्व प्रकाश उर्फ शौकी कपूर को टिकट थमाया था. इस चुनाव में शौकी कपूर बसपा के लिए सीट नहीं निकाल सके थे. इसके बाद 2012 के चुनाव में बसपा ने प्रत्याशी बदला, लेकिन वो भी भाजपा के प्रत्याशी को पटखनी नहीं दे सके. जगन प्रसाद गर्ग को इस चुनाव में 68 हजार से अधिक वोट मिले. 

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उत्तर विधानसभा क्षेत्र में न्यू आगरा, सिकंदरा, दयालबाग, बोदला, जगदीशपुरा, गढ़ी भदौरिया, बाग फरजना, कमला नगर और मदिया कटरा आदि क्षेत्र हैं. लोकसभा चुनाव 2014 में इस सीट पर करीब 2 लाख पांच हजार पुरुष मतदाता थे. एक लाख 67 हजार 88 हजार महिला मतदाता सहित कुल 3 लाख 72 हजार 109 मतदाता शामिल थे.

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उत्तर (पूर्ववर्ती आगरा पूर्वी) सीट से वैश्य प्रत्याशी ही चुनाव जीत सका है. यहां के वोटरों ने 1977 में चौंकाने वाला परिणाम दिया. जनता पार्टी की लहर के बाद भी कांग्रेस के गैर वैश्य प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे. वैश्य प्रत्याशी की करारी हार हुई थी.1962 के चुनाव में बालोजी अग्रवाल निर्दलीय जीते. आजादी के बाद पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ. तब कांग्रेस के प्रत्याशी बाबूलाल मित्तल ने जनसंघ प्रत्याशी राय बहादुर कन्हैया लाल को हराया था. इसके बाद कांग्रेस जीतती गई. वर्ष 1957 के चुनाव में कांग्रेस के आदिराम सिंघल विजयी रहे. उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी बालोजी अग्रवाल को हराया. बालोजी अग्रवाल ने हार नहीं मानी. वे जनता की सेवा में जुटे रहे. जनता ने इसका फल दिया. 1962 के चुनाव में बालोजी अग्रवाल निर्दलीय प्रत्याशी होते हुए भी जीत गए. 1967 में बालोजी अग्रवाल हार गए. कांग्रेस के आदिराम सिंघल भी हार गए. जनसंघ के प्रत्याशी रमाशंकर अग्रवाल को जीत मिली.

सन् 1969 में मध्यावधि चुनाव हुआ. पिछले दो चुनावों में हार चुकी कांग्रेस के दिन बहुरे. कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. प्रकाश नारायण गुप्ता ने जीत हासिल की. उनका मुकाबला आरपीआई प्रत्याशी से हुआ. 1974 में भी डॉ. प्रकाश नारायण गुप्ता जीते. उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी सत्यप्रकाश विकल को हराया. सबसे रोचक चुनाव 1977 का रहा. जनता लहर से प्रभावित होकर डॉ. प्रकाश नारायण गुप्ता ने कांग्रेस छोड़ दी. जनता पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. कांग्रेस के खिलाफ माहौल था. इसके बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सुरेंद्र कुमार सिंधू विजयी रहे. इसके साथ ही यह भ्रम टूट गया कि इस सीट से कोई गैर वैश्य प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सकता है.

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कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी के कमल की कहानी

सन 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने ओमप्रकाश जिंदल को टिकट दिया. उनके मुख्य मुकाबले में थे भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश विकल. जिंदल की जीत हुई. 1985 में भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश विकल जीत गए. पराजित कांग्रेस प्रत्याशी सतीशचंद्र गुप्ता ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाया. उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी. चार साल बाद हाई कोर्ट ने सतीशचंद्र गुप्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें विधायक घोषित कर दिया गया.

1989 के चुनाव में भाजपा ने फिर से सत्यप्रकाश विकल को टिकट दिया. कांग्रेस से सतीशचंद्र गुप्ता थे. कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. 1991 में भाजपा ने फिर से सत्यप्रकाश विकल को मौका दिया. उन्होंने रिकॉर्ड 20 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस प्रत्याशी ओमप्रकाश जिंदल को हराया. इसके साथ ही आगरा पूर्वी सीट के बारे में कहा जाने लगा कि यह भाजपा का मजबूत दुर्ग है. 1993 में भाजपा की जीत बड़ी आसान हो गई. तब सपा ने रवि प्रकाश अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे. 1996 का चुनाव भी विकल के नाम रहा. कांग्रेस-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी बांके बिहारी अग्रवाल की हार हुई. कांग्रेस (तिवारी) की ओर से राम टंडन गैर वैश्य प्रत्याशी के रूप में थे. जनता ने उन्हें नकार दिया.

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2017 का जनादेश

सत्य प्रकाश  विकल के निधन के बाद 1998 में उपचुनाव हुआ. भाजपा ने एकदम नए जगन प्रसाद गर्ग को टिकट दिया. भाजपाइयों ने इसका बहुत विरोध किया था. आरएसएस के हस्तक्षेप के बाद सबको अपने मुंह पर ताला लगाना पड़ा और चुनाव में जुटना पड़ा. उनके मुकाबले में थे कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद अग्रवाल. सपा ने रवि प्रकाश अग्रवाल और बसपा ने रमेश कुशवाह को टिकट दिया. पांच हजार मतों से जगन गर्ग चुनाव जीत गए. गोविंद अग्रवाल के लिए पूरी पार्टी एकजुट थी. इसके बाद भी वे हार गए. इस बात का मलाल कांग्रेसियों को आज तक है.

2002 और 2007 में भाजपा के जगन प्रसाद गर्ग फिर चुनाव जीते. 2007 के चुनाव में बसपा ने भाजपा का पत्ता काट दिया. शहर की दो अन्य सीटों पर नीला झंडा फहरा दिया लेकिन आगरा पूर्वी का किला अभेद्य ही रहा. नए परिसीमन के कारण जातिगत आंकड़े बदले हैं. दलित मतदाताओं की संख्या उत्तर सीट पर बढ़ी है. यमुना पार इलाका निकल गया है. इसके बाद भी भाजपा ने यहां से चुनाव जीता. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार   जगन प्रसाद गर्ग ने एकतरफा जीत हासिल की थी. उन्होंने बसपा के इंजीनियर ज्ञानेंद्र गौतम को करारी शिकस्त दी थी.

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पिछले चुनावों के नतीजे

2017
  जगन प्रसाद गर्ग  भाजपा  विजेता  135,120  58.55%  86,320
इंजीनियर ज्ञानेंद्र गौतम  बसपा  दूसरे स्थान पर  48,800  21.15%  

2012
  जगन प्रसाद गर्ग  भाजपा  विजेता  68,401  35%  23,356
राजेश कुमार अग्रवाल  बसपा  दूसरे स्थान पर  45,045  23%  

2007
  जगन प्रसाद गर्ग  भाजपा  विजेता  31,200  35%  8,263
सर्वप्रकाश कपूर उर्फ शौकी भाई  बसपा  दूसरे स्थान पर  22,937  26%  

2002
  जगन प्रसाद गर्ग  भाजपा  विजेता  30,515  38%  12,749
गोविंद अग्रवाल  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  17,766  22%  

1996
  सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  विजेता  42,533  51%  19,254
बांके बिहारी अग्रवाल  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  23,279  28%  

1993
  सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  विजेता  48,055  50%  23,756
ओकप्रकाश जिंदल  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  24,299  25%  

1991
  सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  विजेता  46,337  56%  24,550
ओम प्रकाश जिंदल  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  21,787  26%  

1989
  सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  विजेता  39,626  54%  14,503
सतीश चंद गुप्ता  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  25,123  34%  

1985
  सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  विजेता  24,409  45%  145
सतीश चंद  कांग्रेस  दूसरे स्थान पर  24,264  45%  

1980
  ओकप्रकाश जिंदल  इंक (I)  विजेता  25,240  43%  4,346
सत्य प्रकाश विकल  भाजपा  दूसरे स्थान पर  20,894  36%  

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1977
  डॉ प्रकाश नारायण गुप्‍ता  कांग्रेस  विजेता  25,472  45%  556
डॉक्टर प्रकाश नारायण गुप्ता  जेएनपी  दूसरे स्थान पर  24,916  44%
 

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