
सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने आजतक से विशेष बातचीत में ओबीसी नेताओं के बीजेपी छोड़ने पर नुकसान का पूरा गणित समझाया है. उन्होंने कहा है कि जो नेता पार्टी छोड़कर सपा में गए हैं या सपा गठबंधन में जो पार्टी शामिल हुई है, उनके नेता बड़े हैं. समाज में उनकी पकड़ मजबूत है, वे सभी जमीनी नेता हैं, इसलिए विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान होना तय है.
ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि पिछली बार के चुनाव में भाजपा के ऐतिहासिक विजय में पिछड़ी जातियों का वोट मिला था. उस वक्त मैं भाजपा के साथ था, केशव प्रसाद मौर्य के चलते पिछड़ों ने भाजपा को वोट दिया था. पिछड़ी जातियों के वोटर्स का मानना था कि केशव प्रसाद मौर्य ही मुख्यमंत्री बनेंगे. केशव प्रसाद को मुख्यमंत्री नहीं बनाने के बाद से ही पिछड़ों की नाराजगी शुरू हो गई थी. इसके बाद थानों में पिछड़ों के साथ बदसलूकी होने लगी, शिक्षक भर्ती में पिछड़ों और दलितों का हक लूटा गया.
उन्होंने कहा कि जब मैं पिछड़ा कल्याण वर्ग का मंत्री था तब यूपी के 7 लाख सामान्य छात्रों को 700 करोड़ और पिछड़ा वर्ग के 25 लाख छात्रों के लिए भी 700 करोड़ का बजट दिया जाता था. मैंने उस वक्त मुख्यमंत्री से लेकर अमित शाह तक से बात की थी. उस वक्त जितने पिछड़े समाज से मंत्री थे, सभी से मैंने कहा कि मेरे कहने पर मुख्यमंत्री नहीं मान रहे हैं, आपलोग भी मेरी बातों से सहमति जताइए. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा जिसके बाद पिछड़ा वर्ग भाजपा से काफी नाराज हो गया.
बेरोजगारी और आरक्षण को लेकर परेशान थे छात्र
इनके अलावा कई और समस्याएं हैं. किसान भी परेशान है. छात्र भी बेरोजगारी और आरक्षण को लेकर परेशान थे. छात्र अपनी मांगों को लेकर पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास गए और फिर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास पहुंचे. दोनों जगह पुलिस ने उनकी पिटाई कर दी. इसके बाद वे स्वतंत्र देव सिंह के पास गए तो वहां भी उनकी पिटाई हो गई. इसके बाद पिछड़े दलितों में नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई कि आखिर हमारे साथ ही ऐसा क्यों?
भाजपा को जब सरकार बनानी थी तब दारा चौहान बड़े नेता दिख रहे थे, स्वामी प्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश राजभर बड़े नेता दिख रहे थे. अब जब हमलोगों ने पार्टी छोड़ दी है तो हमें छोटा नेता बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य बड़े नेता हैं, जमीनी नेता हैं, जनता के बीच उनकी पकड़ है. नुकसान भाजपा का होना तय है.
भाजपा गठबंधन से अलग होने की कहानी भी बताई
ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मेरी लड़ाई मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री से होने लगी जिसके बाद दो बार अमित शाह को लखनऊ आकर पंचायत भी करनी पड़ी. उस वक्त भाजपा में जितने पिछड़े समाज के नेता और मंत्री थे, उनसे मैंने कहा कि ये गलत हो रहा है. तो उन्होंने कहा कि आपकी अपनी पार्टी है, आप निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. हम आपकी बात को अपने पार्टी फोरम में रखेंगे. जब मैंने पार्टी छोड़ दी और पिछड़े समाज के नेताओं से पूछा कि आपलोग क्या करोगे? तो उन्होंने कहा कि अभी तो हम पार्टी छोड़ नहीं सकते हैं, क्योंकि हमें सीबीआई और ईडी के फर्जी केस में फंसा दिया जाएगा. इसके बाद मैं भाजपा के पिछड़े नेताओं से मिलता रहा. करीब 6 महीने पहले फिर पूछा कि क्या करना है, तब उन नेताओं ने कहा कि चुनाव आचार संहिता लगने दो फिर फैसला लेंगे.
राजभर ने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले मैं सभी से कहता था कि आचार संहिता लगने के दो-तीन दिन बाद भाजपा के कई बड़े नेता और मंत्री पार्टी छोड़ेंगे, उस वक्त कोई मेरी बात को मानने को तैयार नहीं था. इस बारे में मैं अमित शाह को भी बता चुका था कि पिछड़े नेताओं में नाराजगी है, इससे आपको आगे नुकसान होगा, इसे रोक लीजिए.
प्लास्टिक स्टूल पर बैठते हैं OBC नेता
राजभर ने कहा कि भाजपा के बड़े नेता सोफा पर बैठते हैं जबकि पिछड़े वर्ग के नेता प्लास्टिक के स्टूल पर बैठते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही पीएम मोदी दलितों का पैर धोने लगते हैं और उसके बाद दलित और पिछड़ों का हिस्सा लूट लिया जाता है. बाबा साहेब ने दलितों और पिछड़ों को आरक्षण दिया था जिसे पीए मोदी सामान्य में बांट रहे हैं. भाजपा के लोग संविधान को मानने को तैयार नहीं हैं. भाजपा के दिमाग में सिर्फ दो बातें होती हैं, हिंदु और मुसलमान. शिक्षा, बेरोजगारी, घरेलू बिजली बिल कैसे माफ हो, इन मुद्दों पर बात नहीं होती है.