
अपने मथुरा दौरे के एक दिन पहले अमित शाह ने दिल्ली में 253 जाट नेताओं और खाप पंचायतों के प्रमुखों से मुलाकात की जाटों के सभी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया. साथ-साथ जयंत चौधरी को बीजेपी की तरफ आने का न्योता भी दिया.
वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान कहते हैं कि अमित शाह ने जयंत चौधरी को जो न्योता दिया, दरअसल वह सपा और रालोद के गठबंधन में फूट डालने के लिए है और एक कन्फ़्यूज़न आरएलडी के समर्थकों में पैदा हो, इसलिए खुले तौर पर अमित शाह ने यह बातें कह दी. शरत प्रधान कहते हैं कि अमित शाह के इस न्योते का बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, ना ही जाट-मुस्लिम एकता टूटेगी. लेकिन बीजेपी और अमित शाह ने अपनी तरफ से जाटों के बीच में फूट डालने की एक बड़ी कोशिश जरूर की है.
वहीं मेरठ यूनिवर्सिटी राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा कहते हैं कि अमित शाह के जयंत पर दिये बयान का असर सकारात्मक होगा और जाट समाज बीजेपी की तरफ ज्यादा झुकेगा, क्योकि बीजेपी ने जाटों के नेता जयंत चौधरी के चौधराहट को स्वीकार किया है.
अब समझिए अपनी मीटिंग के एक दिन बाद जब अमित शाह मथुरा और वृंदावन आए तो उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत बांके बिहारी के दर्शन से की, लेकिन ब्रज वो इलाका है जहां पर जाट बिरादरी की तादाद भी काफी है. आगरा मथुरा ऐसे जिले हैं जहां जाटों की संख्या और उनका सियासी असर हमेशा रहा है. जयंत चौधरी खुद मथुरा के माठ सीट से चुनाव लड़कर जीत चुके हैं. एक साथ मथुरा से हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता और साथ-साथ जाटों को सियासी संदेश अमित शाह ने दिया. मतदाता संवाद के दौरान उन्होंने राष्ट्रवाद की बात की और कहा कि विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री को न देखें बल्कि यह राष्ट्र का चुनाव है इसलिए सिर्फ बीजेपी को देख कर वोट करें. जाटों के जयंत सबसे बड़े नेता हैं, इसे स्वीकार कर बीजेपी ने दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है. पवन कुमार शर्मा कहते हैं कि बेशक इस चुनाव में जयंत अखिलेश के साथ रहे लेकिन जाटों के बीच विमर्श तो शुरू हो ही जायेगा.
दरअसल, ब्रज के इलाके में आरएलडी का पहले से ही जनाधार रहा है. आगरा और मथुरा के कई सीटों पर जाट प्रभावी हैं और बीजेपी का समीकरण बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं. ऐसे में अमित शाह का ये दौरा जाटों को संदेश देने के लिहाज से भी अहम है.
एक दिन पहले ही जाटों के साथ मुलाकात में अमित शाह ने कहा था साढ़े 600 सालों से जाटों ने मुगलों से लड़ाई लड़ी है और बीजेपी बीजेपी आज भी वो लड़ाई लड़ रही है. हिंदुत्व के मुद्दे के साथ ही मथुरा से जाटों को संदेश.. और अगली यात्रा मुजफ्फरनगर की है जो जाट लैंड कहा जाता है. यानि अमित शाह इन दिनों जाटों को साधने की अपनी मुहिम पर हैं. समाजवादी पार्टी और आरएलडी दोनों ने अमित शाह के सियासी चाल को भांपकर शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस मुजफ्फरनगर में कर रहे हैं और अमित शाह ने अपनी मुजफ्फरनगर यात्रा एक दिन टाल दी है ताकि दोनों के मुजफ्फरनगर के इस कार्यक्रम के बाद अपनी बात कहे और अखिलेश को निशाने पर ले सकें.
अमित शाह का मुजफ्फरनगर दौरा भी जाट सियासत के हिसाब से बेहद अहम होगा और माना जा रहा है कि दिल्ली में मीटिंग और मथुरा में बांके बिहारी के दर्शन के बाद मुजफ्फरनगर में जाटों मनाने की कोशिश अमित शाह की तरफ से फिर दिखाई देगी.