
प्रयागराज में शनिवार का यूपी तक बैठक हुई. इसके 'फिर खिलेगा कमल' सेशन में प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शामिल हुए. उन्होंने बताया कि उनके पिता की चाय की दुकान थी और उसी से परिवार का पालन-पोषण होता था. उन्होंने बताया कि वो बचपन से ही आरएसएस में रहे हैं और संघ का काम करते-करते विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का काम भी किया. हालांकि, वो कहते हैं कि उन्हें कभी भी इस बात का अंदाजा नही था कि एक दिन उन्हें राजनीति में आना पड़ेगा.
योगी के सीएम बनने पर कोई कसक रह गई?
केशव प्रसाद मौर्य से जब पूछा गया कि 2017 के चुनाव की कमान आपके पास थी और मुख्यमंत्री बन गए योगी आदित्यनाथ, तो क्या कोई कसक रही? इस पर उन्होंने कहा, 'मेरे मन में कोई कसक नहीं है. मैं कार्यकर्ता हूं और पार्टी ने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी. कहां मैं चाय बेचने वाले परिवार का सदस्य था. कहां पार्टी ने मुझे विधानसभा-लोकसभा भेजा. जब सरकार बनी तो डिप्टी सीएम बना. चार-चार विभागों का उत्तरदायित्व रहा. पार्टी का जो आदेश होता है वो हमने पहले भी किया और आगे भी करेंगे.'
गंगा में बहती लाशों पर क्या बोले?
प्रयागराज और गंगा के घाटों में जलती लाशों पर उन्होंने कहा, '1989 में मैं प्रयागराज में आया था. ये सच है कि आपको लाशें जलती दिखाई दी होंगी. जिन जगहों की आप लोग बात करते हैं. आपको लाशें जलती दिख रही हैं. वो पहले भी यहां लोग शव लेकर आते थे. जमीन के अंदर दफनाते थे. जलाते भी थे.' उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ योगीजी के नेतृत्व में जितनी मजबूती से लड़ाई यूपी ने लड़ी. जब आप दूसरे प्रदेशों से इसकी तुलना करेंगे तो आप खुद पाएंगे कि यूपी ने कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी.
क्या सीएम योगी से रिश्तों में कोई खटास है?
इस पर उन्होंने कहा, 'अगर मेरे सीएम योगी से संपर्क अच्छे नहीं होते तो हम 4.5 साल साथ कैसे रहते. ये विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है.' उन्होंने कहा कि 2022 का चुनाव बीजेपी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने जा रही है. जब उनसे मुख्यमंत्री बदलने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजे आने के बाद विधायक दल की बैठक होगी और उसमें तय होगा कि कौन सीएम बनेगा.
जातीय जनगणना पर कही बड़ी बात
आजकल जातीय जनगणना का मुद्दा गरमाया हुआ है. बीजेपी के कई सहयोगी भी जातीय जनगणना कराने के पक्ष में हैं. इसे लेकर जब केशव प्रसाद मौर्य की राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, 'जातीय जनगणना के न मैं खिलाफ हूं और न पार्टी है. अगर कोई मांग कर रहा है तो मुझे लगता है कि जनगणना कराने में क्या जाता है.'
60% वोट हमारा है, 40% में बंटवारा है
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, जो जीत हमने 2014, 2017 और 2019 में हासिल की, वही 2022 में भी रहेगी और 300 से ज्यादा सीटें जीतेंगे. उन्होंने कहा कि वो ऐसा दावा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अलग-अलग नहीं मानते.
उन्होंने कहा, 'जब तक सिंगल इंजन की सरकार चलती थी. तब अखिलेश यादव मोदी सरकार की योजना आने नहीं देते थे. इसकी जनता ने उन्हें सजा दी. हमारे विरोधियों का लक्ष्य रहता है कुछ का साथ, कुछ का विकास. लेकिन हमारा रहता है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास भी.' उन्होंने 300 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करते हुए कहा, '60% वोट हमारा है. 40% में बंटवारा है. और उस 40% में भी हमारा है.'
उन्होंने दावा किया कि पहले यूपी में कोई काम बगैर पैसे के नहीं होते था, लेकिन उनकी सरकार ने बिना रुपये लिए 5 लाख लोगों को नौकरियां दी हैं.