
उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार आखिरकार रविवार शाम कर लिया है. मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री और छह राज्य मंत्रियों के रूप में सात नए चेहरों को शामिल किया गया है. सात नए मंत्रियों में महिला चेहरे के तौर पर गाजीपुर से विधायक संगीता बिंद को शामिल कर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल में कमल रानी वरुण के निधन से पैदा हुई खाली सीट की भरपाई कर ली है.
सूबे में योगी मंत्रिमंडल के मंत्रियों की कुल संख्या 60 की हो गई है, जिसमें 24 कैबिनेट, नौ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 27 राज्यमंत्री हैं. हालांकि, योगी सरकार में आधी आबादी (महिलाओं) का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी के लिहाज से नहीं है. मौजूदा समय में चार महिला मंत्री शामिल हैं, जिनमें एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और तीन राज्य मंत्री हैं. सूबे में भले ही 24 कैबिनेट मंत्री हों, लेकिन इस फेहरिश्त में कोई भी महिला कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल नहीं हैं.
रीता बहुगुणा जोशी कैबिनेट मंत्री बनी थीं
बीजेपी 2017 में 15 साल के सियासी वनवास के बाद सूबे की सत्ता में लौटी थी तो योगी सरकार में पांच महिलाओं को मंत्री बनाया गया था. इनमें एक कैबिनेट मंत्री, दो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व दो राज्य मंत्री थीं. कैबिनेट मंत्री के रूप में डा. रीता बहुगुणा जोशी तो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर अनुपमा जायसवाल और स्वाति सिंह शामिल थीं. अर्चना पांडेय और गुलाब देवी को राज्य मंत्री बनाया गया था.
2019 के लोकसभा चुनाव में रीता बहुगुणा जोशी के सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने राज्य के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. योगी सरकार ने रीता बहगुणा की रिक्त हुई सीट पर भरपाई के लिए मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कानपुर के घाटमपुर क्षेत्र की विधायक कमल रानी वरुण को कैबिनेट के तौर पर शामिल किया था.
कमला रानी के निधन के बाद कोई कैबिनेट नहीं
योगी सरकार के 2019 में हुए मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में दो महिला मंत्रियों की छुट्टी भी कर दी गई थी, जिनमें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल और राज्य मंत्री अर्चना पांडेय शामिल थीं. हालांकि, मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में कानपुर की कल्याणपुर सीट की विधायक नीलिमा कटियार को राज्य मंत्री के तौर पर एंट्री दी थी, जिससे मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या चार हो गई थी.
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रही कमल रानी वरुण का निधन हो गया था, जिसके चलते राज्य सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या घटकर तीन रह गई थी. ऐसे में रविवार को योगी सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार में गाजीपुर सदर की विधायक डा. संगीता बलवंत को राज्य मंत्री बनाने के बाद योगी सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या चार हो गई है, लेकिन इनमें कोई भी कैबिनेट मंत्री नहीं है.
यूपी में महिला वोटरों की भूमिका
उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 14.40 करोड़ मतदाता हैं. इसमें 7.79 करोड़ पुरुष और 6.61 करोड़ महिला वोटर हैं. हालांकि, यह आंकड़ा 2019 के लोकसभा चुनाव का है, जो 2022 के चुनाव में बढ़ सकता है. इससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि सूबे में महिला वोटर कितनी अहम ताकत रखती हैं, लेकिन योगी सरकार में महज 6.6 फीसदी ही प्रतिनिधित्व उन्हें मिला हुआ है.
बता दें कि बिहार में एनडीए की सत्ता में वापसी का ट्रंप कार्ड साइलेंट वोटर साबित हुई थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जीत का श्रेय बीजेपी के साइलेंट वोटरों को दिया था. पीएम ने खुद बताया था कि ये साइलेंट वोटर कोई और नहीं बल्कि महिला वोटर हैं. ऐसे में यूपी में अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में महिला वोटर की भूमिका काफी निर्णायक रहने वाली है. सपा-बसपा से लेकर कांग्रेस तक महिलाओं को साधने में जुटी है तो बीजेपी भी महिलाओं को सियासी संदेश देने के लिए मशक्कत कर रही है.
बीजेपी ने 2017 के बाद यूपी में राज्यसभा चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व जरूर रखा है. 2018 में बीजेपी ने कांता कर्दम को राज्यसभा भेजा तो 2020 में जौनपुर की सीमा द्विवेदी औरैया की जुझारू नेता गीता शाक्य को उच्च सदन भेजा. इसके अलावा 2018 में बीजेपी ने सरोजनी अग्रवाल को विधान परिषद भेजा था. इतना ही नहीं बीजेपी ने प्रदेश संगठन में महिलाओं को खास तवज्जो दी है, लेकिन सरकार में प्रतिनिधत्व 6.6 फीसदी बहुत कम है.