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योगी आदित्यनाथ की Hindu Yuva Vahini खो रही अस्तित्व, धीरे-धीरे दूर हुए पदाधिकारी-कार्यकर्ता

2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था. इस संगठन का उद्देश्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने का था. 2007 में योगी आदित्यनाथ को 11 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था. हिंदू युवा वाहिनी का प्रभुत्व गोरखपुर समेत पूर्वांचल पर भी है.

योगी आदित्यनाथ ने 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था (फोटो- पीटीआई) योगी आदित्यनाथ ने 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था (फोटो- पीटीआई)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 01 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST
  • 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था
  • 2017 में योगी के सीएम बनने के बाद से अस्तित्व खो रही युवा वाहिनी

उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव हैं. योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर लगभग 5 साल पूरे कर चुके हैं. उन्हें भाजपा ने एक बार फिर चेहरा बनाया है. भले ही योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ा हो, लेकिन उनकी हिंदू युवा वाहिनी जो कभी हिंदुत्व के मुद्दे के लिए जानी जाती थी, अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रही है. इसके ज्यादातर कार्यकर्ता और पदाधिकारी सपा में चले गए, ऐसे में हिंदू युवा वाहिनी की अब सुध लेने के लिए भी कोई बचा नहीं है.  

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2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था. इस संगठन का उद्देश्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने का था. 2007 में योगी आदित्यनाथ को 11 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था. हिंदू युवा वाहिनी का प्रभुत्व गोरखपुर समेत पूर्वांचल पर भी है.

सपा में गए कई पदाधिकारी

हिंदू युवा वाहिनी के अध्यक्ष रहे सुनील सिंह और उनके साथ सौरभ विश्वकर्मा, चंदन विश्वकर्मा ने 15 साल तक हिंदुत्व का झंडा हिंदू युवा वाहिनी के साथ उठाया. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान योगी आदित्यनाथ से मतभेद हो गया. इसके बाद उन्हें संगठन से बाहर निकाल दिया गया. अब ये तीनों सपा में शामिल हो गए.

हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व पदाधिकारियों के मुताबिक, 2017 में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से ही पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जाने लगा. धीरे-धीरे नजरअंदाज की वजह से जिला इकाई भंग हो गईं. इस वजह से सभी कार्यकर्ता और सदस्य अलग होकर समाजवादी पार्टी में जाने लगे. इसी क्रम में 2018 में पूर्वी उत्तर प्रदेश बलरामपुर, मऊ, आजमगढ़ इकाइयां भंग हो गईं. जबकि इन इलाकों में संगठन की बहुत मजबूत पैठ मानी जाती थी.

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माना जा रहा है की आरएसएस के निर्देश पर हिंदू युवा वाहिनी को भंग कर दिया गया. दरअसल, योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही इसके विस्तार और प्रचार को रोकने के लिए काम शुरू किया गया था. हिंदू संगठन के रूप में शिवसेना पहले ही राजनीतिक दल के रूप में भाजपा के लिए एक चैलेंज बना हुआ है ऐसे में एक और युवा वाहिनी को खड़ा कर पाना भाजपा के लिए मुसीबत बन जाता.

हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह के मुताबिक, हिंदू युवा वाहिनी अपना पूरा अस्तित्व खो चुकी है, क्योंकि हिंदुत्व के लिए भाजपा के सामने कोई और दल बढ़ नहीं पा रहा है. यही वजह है कि धीरे-धीरे करके सभी कार्यकर्ता उसका साथ छोड़ कर चले गए. साथ ही मुखमंत्री बनने के बाद सभी की उपेक्षा की गई और उसके बाद आज हिंदू युवा वाहिनी में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसको आगे बढ़ाया जा सके. 


 

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