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नेताजी का चुनाव आयोग में दांव, मैं ही हूं राष्ट्रीय अध्यक्ष

मुलायम सिंह गुट की तरफ से चुनाव आयोग को जो कागजात सौंपे गए हैं उनमें यह दावा किया गया है कि वह अभी भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. मुलायम सिंह यादव का दावा है कि 1 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में जिस राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया वह अवैध था.

नेताजी का धोबी पछाड़ नेताजी का धोबी पछाड़
बालकृष्ण
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 09 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

समाजवादी पार्टी का झगड़ा लखनऊ से निकलकर दिल्ली पहुंच चुका है. सोमवार को मुलायम सिंह और अखिलेश यादव दोनों गुटों के लोगों ने चुनाव आयोग में जाकर अपने अपने कागजात जमा किए और साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोंका. मुलायम सिंह यादव अभी भी दावा कर रहे हैं कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. अखिलेश यादव का गुट सारे फसाद की जड़ अमर सिंह को मानता है तो मुलायम सिंह की नजरों में रामगोपाल यादव सबसे बड़े विलेन हैं. सोमवार को मुलायम सिंह ने बकायदा चिट्ठी लिखकर राज्यसभा चेयरमैन को सूचित कर दिया कि रामगोपाल यादव को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया है. रामगोपाल यादव समाजवादी पार्टी से राज्यसभा के सांसद हैं.

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मुलायम सिंह गुट की तरफ से चुनाव आयोग को जो कागजात सौंपे गए हैं उनमें यह दावा किया गया है कि वह अभी भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. मुलायम सिंह यादव का दावा है कि 1 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में जिस राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया वह अवैध था. क्योंकि पार्टी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने के लिए 30 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

ट्विटर पर घोषणा मान्य नहीं
मुलायम सिंह के मुताबिक पार्टी महासचिव के तौर पर रामगोपाल यादव राष्ट्रीय अधिवेशन में कोई प्रस्ताव ला ही नहीं सकते क्योंकि उन्हें पहले ही पार्टी से निकाला जा चुका था. उनको पार्टी में वापस लिए जाने की घोषणा सिर्फ ट्विटर पर की गई थी जिसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं है. यह भी दावा किया गया राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने का कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ इसीलिए अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता.

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मुलायम सिंह की तरफ से यह भी दावा किया गया है कि पार्टी संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अधिवेशन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नहीं हटा सकता. 1 जनवरी को हुए राष्ट्रीय अधिवेशन को अवैध ठहराने के लिए यह भी कहा गया है कि पहले इस अधिवेशन की अध्यक्षता करने के लिए रामगोविंद चौधरी का नाम पुकारा गया लेकिन बाद में किरणमय नंदा ने इसकी अध्यक्षता की.

एक ही राष्ट्रीय अधिवेशन के अध्यक्ष नहीं हो सकते इसीलिए यह गैरकानूनी है. मुलायम सिंह गुट ने यह भी कहा है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले नामांकन की प्रक्रिया होती है ताकि सबको मौका मिल सके इस प्रक्रिया को भी पूरा नहीं किया गया. सोमवार को ही अखिलेश यादव के गुट ने भी राष्ट्रीय अधिवेशन को सही साबित करने के लिए अपने कागजात चुनाव आयोग को सौंपे.

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