
यूपी के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है, लेकिन अमेठी सीट पर दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे के मुकाबले में खड़े हैं. एक तरफ से सपा ने इस सीट से अपने मौजूदा विधायक गायत्री प्रजापति को उतार रखा है, तो वहीं अमेठी के राजा संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ ही खम ठोंक रही हैं.
बसपा के साथ भी चाहते थे गठबंधन
इस बारे में पूछने पर कांग्रेस नेता संजय सिंह कहते हैं, अखिलेश ने गठबंधन पर जो कहा वह उनका पक्ष है, लेकिन कांग्रेस ने बहुत सोच समझकर सपा से गठजोड़ किया है. उन्होंने क्यों कहा उस पर तो मैं कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन हम तो बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का सपा के साथ बसपा संग भी महागठबंधन चाहते थे. बसपा नहीं तैयार हुई तो हमने सपा के साथ ही गठजोड़ किया. अब अखिलेश जो भी कहें, गलती कहें, मजबूरी कहें, लेकिन अब तो यूपी की जनता के बीच यह गठबंधन क्लिक हो चुका है. राहुल-अखिलेश का साथ यूपी को पसंद आया है.
सपाइयों से लड़ने की पुरानी प्रैक्टिस
वहीं अमेठी में सपा और कांग्रेस के आमने-सामने होने के सवाल पर संजय सिंह कहते हैं, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हमारी बात हुई थी कि अमेठी-रायबरेली की सीट पर सिर्फ कांग्रेस लड़ेगी, लेकिन अब सपा से गायत्री लड़ रहे हैं तो लड़ें... गठबंधन की बात तो चार दिन से हुई है, हम तो पांच साल से यहां समाजवादियों से लड़ रहे हैं, फिर लड़ लेंगे. हमारी यहां पुरानी प्रैक्टिस हैं.
'बीजेपी ने तमाशा खड़ा करने के लिए दिया पूर्व पत्नी को टिकट'
अमेठी सीट पर बीजेपी ने संजय की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह को टिकट दिया है. ऐसे में इस सीट पर दो सौतों के बीच की लड़ाई हो गई हैं. इस बारे में सवाल पूछे जाने पर संजय अपनी दूसरी पत्नी के पक्ष में ही पूरी तरह खड़े दिखते हैं. वह कहते हैं, गरिमा सिंह को 25 सालों से अमेठी ने नहीं देखा, वह अमेठी को जानती नहीं. उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं, बीजेपी से कभी उनका वास्ता नहीं रहा. बीजेपी के पास यहां कैंडिडेट ही नहीं. इसलिए मैं कहता हूं, बीजेपी का कोई चाल, चरित्र, चेहरा नहीं है. बीजेपी को उसूलों पर चलने वाला नहीं मिला, तो बस तमाशा खड़ा करने के लिए गरिमा को टिकट दे दिया.