
कभी यूपी में राम मंदिर के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी ने इस बार अपने घोषणा पत्र में 'एंटी रोमियो स्क्वॉड का शिगूफा छोड़ा है.
वेलेंटाइन डे पर हंगामे से महिला सुरक्षा तक
आम तौर पर ये जुमला वेलेंटाइन डे के दिन हंगामा मचाने वाली भगवा ब्रिगेड की तस्वीर जेहन में लाता है. लेकिन इस दफा बीजेपी इसे महिला सुरक्षा के हथियार के तौर पर पेश कर रही है. घोषणा पत्र के बाकी वायदों की तरह ये मुद्दा भी चंद लम्हों तक सिमटा रहता. लेकिन राज्य में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार और स्कूल-कॉलेजों के बाहर मनचलों की बढ़ती भीड़ के चलते पार्टी को इसके सहारे महिला वोटरों का दिल जीतने की उम्मीद है.
एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए ध्रुवीकरण?
पश्चिमी यूपी में अमित शाह जब एंटी रोमियो दल का जिक्र छेड़ते हैं तो लोगों को मुजफ्फरनगर दंगों की याद हो आती है जो छेड़छाड़ के मामले के बाद ही भड़के थे. लिहाजा ये मसला उठाकर बीजेपी को चुनावी ध्रुवीकरण में मदद मिलती दिखती है. साथ ही बीजेपी हर परिवार के सरोकार से जुड़ी कमजोर नस को भी छूने की कोशिश करती दिखती है.
महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा
यूपी चुनाव में इस बार महिला सुरक्षा कितना बड़ा मुद्दा है, इसकी बानगी समाजवादी पार्टी के प्रचार में भी दिखती है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव महिला हेल्पलाइन और डायल 100 जैसी उपलब्धियों पर अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं चूकते. मायावती भी अपने संबोधनों में वोटरों को कानून व्यवस्था सुधारने का भरोसा दिलाती नहीं थकतीं.
क्या है एंटी रोमियो स्क्वॉड?
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में हर स्कूल और कॉलेज के पास पुलिस का एक ऐसा स्क्वॉड बनाने का वादा किया है जो सड़कछाप मजनुओं पर नजर रखेगी. इस स्क्वॉड में ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी होंगी. हालांकि बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई और सौगातों का वायदा किया है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा एंटी रोमियो स्क्वॉड की ही हो रही है.
वायदे से खुश आधी आबादी
लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज में ज्यादातर लड़कियां एंटी रोमियो स्क्वॉड के आइडिया का समर्थन करती हैं. सड़कछाप मनचलों से परेशान ये लड़कियां इसे एक बड़ा फैसला मानती हैं.
इसी तरह एके सेन महिला कॉलेज की छात्राएं और टीचर भी इस मुद्दे से इत्तेफाक रखते हैं. उनका मानना है कि पुरुषों की मानसिकता बदलने तक महिला सुरक्षा मुमकिन नहीं है.