
नैनीताल जिले की एक विधानसभा सीट है नैनीताल विधानसभा सीट. उत्तराखंड की कुल 70 में से एक सीट है नैनीताल. हिमालय की गोद में बसा नैनीताल विधानसभा क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. नैनीताल विधानसभा सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
नैनीताल विधानसभा सीट नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट के तहत आती है. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में इस सीट के लिए पहली दफे विधानसभा चुनाव हुए. 2002 के चुनाव में उत्तराखंड क्रांति दल के नारायण सिंह जंतवाल नैनीताल सीट से विधायक निर्वाचित हुए. 2007 के विधानसभा चुनाव में नैनीताल विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर खड़क सिंह बोहरा और 2012 में कांग्रेस की सरिता आर्य विजयी रहीं.
2017 का जनादेश
नैनीताल विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दलित नेता यशपाल आर्य के पुत्र संजीव आर्य को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. संजीव आर्या ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की. बीजेपी के टिकट पर संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से 2017 में विधायक निर्वाचित हुए थे.
सामाजिक ताना-बाना
नैनीताल विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है. नैनीताल विधानसभा सीट के तहत शहरी इलाके आते हैं तो साथ ही ग्रामीण इलाके भी. इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाताओं की तादाद अधिक है. यहां सामान्य बिरादरी के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
नैनीताल विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए संजीव आर्य अब अपने पिता यशपाल आर्य के साथ कांग्रेस में लौट चुके हैं. विधायक संजीव आर्य के बीजेपी से कांग्रेस में जाने के बाद इस सीट के समीकरण बदले हैं. बीजेपी के जो लोग कुछ दिन पहले तक विधानसभा क्षेत्र में विकास की गंगा बहाए जाने का दावा कर रहे थे, वे ही अब विधायक के विकास को दावों को खारिज कर रहे हैं.