
उत्तराखंड की राजनीति में परिवारवाद वाली पॉलिटिक्स पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को पूरा भरोसा है. हर चुनाव में किसी के बेटे को, किसी की बहू तो किसी के पति को मैदान में उतारा जाता है. ये एक ऐसा राज्य है जहां पर दोनों कांग्रेस और बीजेपी ने समान रूप से परिवारवाद को बढ़ावा दिया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी कई ऐसी सीटें हैं जहां पर परिवार के किसी सदस्य को ही उम्मीदवार बना दिया गया है.
शुरुआत अगर कांग्रेस से करें तो देश की सबसे पुरानी पार्टी ने फिर कई सीटों पर परिवारवाद को पूरा फोकस दिया है. हाल ही में बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं को पार्टी ने लैंसडाउन से प्रत्याशी घोषित कर दिया है. ये अलग बात है कि इस बार हरक सिंह रावत को अभी तक पार्टी ने किसी भी सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया है.
हरक सिंह रावत की बहू का मुकाबला इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दिलीप सिंह रावत से होने जा रहा है. वे खुद परिवारवाद का एक बड़ा उदाहरण हैं क्योंकि उनके पिता भारत सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़े और सक्रिय चेहरे रहे थे. वे पांच बार लैंसडाउन से विधायक रहे थे. अब बीजेपी ने उनके बेटे को टिकट देकर बड़ा दांव चल दिया है.
दो पूर्व मुख्यमंत्री की बेटियां भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने जा रही हैं. एक तरफ हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को कांग्रेस ने इस बार हरिद्वार ( ग्रामीण) सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने भी पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी को कोटद्वार से उम्मीदवार बना दिया है. ये वहीं सीट है जहां से 2012 के विधानसभा चुनाव में खुद बीसी खंडूरी हार गए थे. हरीश रावत भी 2017 के चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण वाली सीट गंवा बैठे थे. ऐसे में 2022 के चुनाव में दो बेटियां अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए तैयार हैं.
कांग्रेस ने इस बार नैनीताल की हल्द्वानी सीट पर भी बड़ा दांव चला है. दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश की परंपरागत सीट माने जाने वाली हल्द्वानी से पार्टी ने इस बार उनके बेटे सुमित हृदयेश को मौका दे दिया है. पिछले साल ही उनकी मां का निधन हो गया था. अब कांग्रेस को उम्मीद है कि इंदिरा हृदयेश की लोकप्रियता का फायदा चुनाव में उनके बेटे को भी मिल सकता है.
वैसे ऐसी लोकप्रियता का फायदा उठाने का काम बीजेपी भी खूब कर रही है. उदाहरण वो देहरादून कैंट सीट है जहां से इस बार पार्टी ने सविता कपूर को अपना उम्मीदवार बनाया है. अब जानकारी के लिए बता दें कि सविता बीजेपी के दिग्गज नेता हरबंस कपूर की पत्नी हैं. हरबंर रिकॉर्ड आठ बार देहरादून कैंट से विधायक रहे हैं. लेकिन अब उनका निधन हो चुका है और बीजेपी ने इस चुनाव में उनकी पत्नी को उतार दिया है.
भाजपा ने उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरव बहुगुणा को भी सितारगंज से टिकट दिया है. 2017 में भी सौरव ने इस सीट से बीजेपी को जीत दिलवा दी थी. वहीं कांग्रेस ने भी नैनीताल सीट से यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य को चुनावी मैदान में उतारा है.
इस बार काशीपुर सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है क्योंकि यहां से बीजेपी ने अपने वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा का टिकट काट दिया है, लेकिन उनकी जगह उनके बेटे त्रिलोक चीमा को मौका दे दिया है.