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Uttarakhand Election: पांच बार विधायक, हरीश रावत के बाद कांग्रेस में 'नंबर 2', ऐसा है Pritam Singh का सफर

उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस के लिए प्रीतम सिंह बड़ा चेहरा हैं. उनकी वजह से ही कांग्रेस चकराता विधानसभा सीट को अपने लिए सुरक्षित मानती है. इस बार भी प्रीतम सिंह को चकराता से उम्मीदवार बनाया गया है. कांग्रेस के नंबर 2 का राजनीतिक सफर जानिए....

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की प्रोफाइल नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की प्रोफाइल
सुधांशु माहेश्वरी
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST
  • चकराता से लगातार जीत रहे प्रीतम सिंह
  • विरासत में मिली राजनीति, पिता रहे बड़े नेता
  • हरीश रावत के बाद सीएम के दूसरे दावेदार

उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस ने दो बार अपनी सरकार बनाई है. कई नेताओं ने जमीन पर काम किया है, पार्टी को मजबूत करने का काम किया है. हरीश रावत की बात तो सभी करते हैं, लेकिन उत्तराखंड कांग्रेस में 'नंबर 2' की हैसियत रखते हैं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह. वहीं प्रीतम सिंह जिन्होंने अपनी रानजीति से कांग्रेस के लिए चकराता को एक 'सुरक्षित सीट' बना दिया है. वे यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीतते आ रहे हैं. 

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प्रीतम सिंह का निजी जीवन

प्रीतम सिंह के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 11 नवंबर 1958 को चकराता के ग्राम विरनाड में हुआ था. उनके पिता पूर्व मंत्री स्व. गुलाब सिंह खुद एक बड़े राजनेता रहे थे. वे चार बार मसूरी और चार बार चकराता से विधायक रहे थे. ऐसे में राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी जिसे उन्होंने अच्छे से संजोया भी और उसका विस्तार भी किया. प्रीतम सिंह कानून की भी अच्छी खासी समझ रखते हैं. उनकी शिक्षा भी इसी क्षेत्र की रही है. उन्होंने कानून की पढ़ाई देहरादून के डीएवी कॉलेज से पूरी की है. वे उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य भी रहे हैं.

राजनीतिक सफर

प्रीतम सिंह ने अपना राजनीतिक सफर 1988 में शुरू किया था, तब उन्हें चकराता का ब्लॉक प्रमुख बनाया गया था. लेकिन सिर्फ तीन साल के अंदर प्रीतम सिंह ने राजनीति की मुख्य धारा में कदम रख दिया और चुनावी मैदान में उनके उतरने का सिलसिला शुरू हो गया. अब तक अपने राजनीतिक जीवन में प्रीतम ने सात विधानसभा चुनाव लड़ लिए हैं, यहां उन्हें सिर्फ दो बार ही हार का सामना करना पड़ा है. एक बार 1991 और दूसरी बार 1996 में प्रीतम सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में विधानसभा में हार का कामना किया था. ऐसे में उनके साथ जुड़ी 'जीत की गारंटी' ने ही उन्हें कांग्रेस का और उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा नेता बना दिया है.

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काम कैसा रहा है?

उनका कद ऐसा रहा है कि वे दो बार कांग्रेस की सरकार के दौरान बैबिनेट मंत्री रहे हैं. लोगों के लिए काम भी इतना कर दिया कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरुस्कार भी मिल चुका है. उनकी कुछ योजनाएं और विकास कार्य ऐसे रहे हैं जिस वजह से लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई है. उदाहरण के लिए छह हाईस्कूलों और 14 जूनियर हाईस्कूलों का उच्चीकरण उन्होंने खुद करवाया है. 34 करोड़ की लागत से विधायक रहते हुए उन्होंने 100 बेड के राजकीय अस्पताल की आधारशिला रखी है. 

फिर चकराता से कांग्रेस उम्मीदवार

कहा जाता है कि प्रीतम सिंह कांग्रेस हाईकमान के भी गुडबुक्स में रहते हैं. उनसे उनका संपर्क लगातार रहता है. सीएम की पहली पसंद जरूर हरीश रावत कहे जाते हैं, लेकिन दूसरी पसंद के तौर पर रेस में सबसे आगे प्रीतम सिंह दिखाई पड़ते हैं. इस बार कांग्रेस ने उन्हें चकराता से ही अपना उम्मीदवार बनाया है. उन्हें पूरा विश्वास है कि वे पांचवीं बार भी यहां से जीत दर्ज कर विधायक बनेंगे. 


 

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