
उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति में सतपाल महाराज एक बड़ा नाम हैं. सतपाल महाराज इस बार भी चौबट्टाखाल (Chaubattakhal) सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. वे 2017 में भी इसी सीट से विधायक चुने गए थे और बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. खास बात ये है कि सतपाल महाराज राजनेता के अलावा देश के एक बड़े आध्यात्मिक गुरु भी हैं. सतपाल महाराज सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं. सतपाल महाराज कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे, लेकिन 2014 में वे बीजेपी में शामिल हो गए थे.
कौन हैं सतपाल महाराज?
सतपाल महाराज का जन्म 21 सितंबर 1951 को कनखल हरिद्वार में हुआ. सतपाल महाराज के पिता हंस जी महाराज एक बड़े आध्यात्मिक गुरु थे. सतपाल महाराज का पिता से विरासत में आध्यात्मिक जीवन मिला. सतपाल महाराज ने सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी से पढ़ाई की है. सतपाल महाराज की शादी अमृता रावत से 1981 में हुई थी. अमृता रावत रामनगर सीट से विधायक रह चुकी हैं.
केंद्र में दो बार मंत्री रहे सतपाल महाराज
सतपाल महाराज के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस से इसकी शुरुआत की. उन्होंने 1989 में पौड़ी गढ़वाल सीट से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा. इसमें उन्हें हार मिली. हालांकि, बाद में वे तिवारी कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने 1996 में तिवारी कांग्रेस के टिकट से पौड़ी लोकसभा सीट से भुवन चंद्र खंडूरी को मात दी और पहली बार सांसद बने.
इसके बाद सतपाल महाराज 1996 में केंद्र की संयुक्त मोर्चा की देवगोड़ा सरकार में रेल राज्य मंत्री रहे. बाद में वे इंद्र कुमार गुजराल की केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री भी रहे. 2002 में उत्तराखंड में एनडी तिवारी की सरकार बनने के बाद उन्हें 20 सूत्रीय कार्यक्रम का अध्यक्ष बनाया गया.
तिवारी कांग्रेस से कांग्रेस में हुए शामिल
तिवारी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय होने के बाद सतपाल महाराज कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने 1998, 1999 और 2004 में पौड़ी सीट से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2009 में सतपाल महाराज पौड़ी से लोकसभा चुनाव जीते और रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष बनाए गए. हालांकि, इस बार की कांग्रेस सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया.
हरीश रावत के खिलाफ की बगावत
सतपाल महाराज ने 2014 में विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले का विरोध किया और कांग्रेस और संसद पद से इस्तीफा दे दिया. माना जाता है कि सतपाल महाराज कांग्रेस के खिलाफ जनता का रुख समझ गए थे. ऐसे में उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया.
सतपाल महाराज 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद 2017 विधानसभा चुनाव में सतपाल महाराज को चौबट्टा खाल विधानसभा सीट से टिकट मिला. इसमें उन्होंने जीत हासिल की. सतपाल महाराज को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. महाराज इस बार भी इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं.
उत्तराखंड के दूसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं सतपाल महाराज
70 सीटों वाले उत्तराखंड में 632 उम्मीदाव चुनाव लड़ रहे हैं. ADR ने इनमें से 626 उम्मीदवारों का एनालिसिस किया है. ADR के मुताबिक, सतपाल महाराज उत्तराखंड के दूसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. उनके पास 87 करोड़ की संपत्ति है. जबकि राज्य के सबसे अमीर उम्मीदवार अंतरिक्ष सैनी हैं. वे कांग्रेस के टिकट पर लक्सर हरिद्वार से चुनाव लड़ रहे हैं.