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Uttarakhand: 'भिखारी समझकर दे दो वोट' कांग्रेस प्रत्याशी धनीलाल ऐसे मांग रहे समर्थन

70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी. धनीलाल की तरह ही यहां कई प्रत्याशी लुभावने तरीकों से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हैं.

धनीलाल शाह धनीलाल शाह
aajtak.in
  • देहरादून ,
  • 05 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST
  • घनसाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं धनीलाल
  • वोट न दे सको तो मरने के बाद अर्थी पर लकड़ी दे देना- धनीलाल

पांच राज्यों में जैसे-जैसे चुनावों की तारीख पास आते जा रही है, वोटर्स को रुझाने के लिए नेताओं की एक से बढ़कर एक हरकतें भी सामने आ रही हैं. ताजा मामला उत्तराखंड के Tehri Garhwal जिले में सामने आया है. यहां एक कांग्रेस प्रत्याशी लोगों से यह कहकर मतदान करने की अपील कर रहे हैं कि उन्हें भिखारी समझकर ही वोट दे दिए जाएं. उम्मीदवार का इस तरह वोट मांगना पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है.

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Tehri Garhwal की घनसाली विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमा रहे कांग्रेस प्रत्याशी धनीलाल शाह इस तरह ही अपने विधानसभा क्षेत्र में वोट मांग रहे हैं. भीख के रूप में वोट मांग रहे धनीलाल मतदाताओं से और भी काफी बातें कह रहे हैं. वे घर-घर जाकर लोगों से कह रहे हैं कि मुझे आपसे पूरी उम्मीद है कि इस बार आप मुझे विधानसभा जरूर भेजेंगे. अगर आप मुझे वोट नहीं दे सकते तो मेरे हारने के बाद अर्थी पर एक-एक लकड़ी जरूर डाल देना.
 
उत्तराखंड में कब होंगे चुनाव

उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होगा, जबकि वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.

राज्य में क्या हैं चुनावी समीकरण

70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है. यहां कांग्रेस, बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी, बसपा और छोटे-छोटे कई दल अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं. हालांकि, बीजेपी के लिए उत्तराखंड चुनाव सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण बना हुआ है, क्योंकि यहां 2 दशक से हर 5 साल में सत्ता बदलने की परंपरा चली आ रही है. ऐसे में कांग्रेस पूरी उम्मीद कर रही है कि वह सत्ता में वापस आए.

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बीजेपी उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के मिथक को तोड़ने में जुटी है.उत्तराखंड में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में, बीजेपी ने 57 सीटें जीतीं और प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई थी. जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को 11 सीटें ही मिल सकी थीं. तब त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 4 साल के बाद ही उन्हें हटाकर बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को सत्ता की कमान सौंपी. लेकिन कुछ ही महीनों में तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया.

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