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भोजपुरी एक्ट्रेस रानी चटर्जी ने 72 हूरें ट्रेलर देखने के बाद रिएक्ट करते हुए कहा है कि इस तरह की फिल्में जानबूझकर बनाई जा रही हैं ताकि आम लोगों के बीच टेंशन का माहौल बने. पेश है उनसे बातचीत के अंश..
'पैसे कमाने का जरिया बन गया है'
72 हूरें ट्रेलर देखने के बाद जो मुझे बात समझ आई कि लोगों ने यह समझ लिया है कि इस तरह की फिल्म लाकर, लोगों के इमोशन को इनकैश कर पैसे कमाने का रास्ता अख्तियार कर लिया है. इसके ट्रेलर में कुरान के बारे में जो दिखाया जा रहा है, वो गलत है. कुरान कभी नहीं सिखाता कि लोगों की जान लो. अगर डायरेक्टर व प्रोड्यूसर ने कुरान पढ़ी होती, तो शायद यह डायलॉग इस्तेमाल नहीं करते.
'कुरान के शब्दों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं'
अभी जैसे आदिपुरुष आई है, उसमें भी बहुत सी चीजों को गलत तरीके से पेश किया गया है. एक ऑडियंस के तौर पर चाहे वो मुस्लिम हो या हिंदू, उन्हें गलत ही लगा है. मुस्लिमों को भी आदिपुरुष अच्छी नहीं लगी है. इंडिया में रहकर हमने रामायण को जाना है, देखा है. हमारी टीवी पर यह सब दिखाया जाता है. उनकी जगह-जगह नाटक होते हैं. इसलिए गलत दिखाएंगे, तो बुरा लगेगा न.
रानी आगे कहती हैं, एक द केरल स्टोरी चल गई, तो लोगों ने उसे इनकैश करना शुरू कर दिया है. या तो पॉलिटिक्स या तो फिल्मों के जरिए ही ऐसी नफरती चीजें फैलाई जाती हैं. हम आम पब्लिक को इससे लेना देना नहीं है. आप पैसे कमाने की वजह से नई जनरेशन को ऐसी नफरती चीजें दिखाकर क्या हासिल करना चाहते हैं. कुरान में कहां लिखा है कि लोगों को मारो, मुझे आकर दिखा दें. यह गलत मेसेज जा रहा है. यह नफरत पैदा करने का एजेंडा है.
'मैं मुस्लिम हूं, तो क्या आतंकवादी हो गई'
रानी कहती हैं, मैं भी मुस्लिम हूं, लेकिन क्या मुझे और मेरे परिवार वालों को देखकर आप कहेंगे कि आतंकवादी है. केरला फाइल्स में दिखाया गया है कि लड़कियों को पकड़कर मुस्लिम बनाया जा रहा है. मैं बता दूं, साउथ में मुस्लिमों से ज्यादा लोगों को क्रिस्चियन बनाने में तुले हुए हैं. उसपर कोई बात क्यों नहीं करता है. आप एंटी मुस्लिम फिल्म बना रहे हैं, तो जाहिर है जैसा माहौल है, उसमें यह फिल्म चलेगी ही. लेकिन जो नफरत फैला जाएंगे, उसकी भरपाई कौन करेगा.