साल 2015 में फेमिना मिस इंडिया रनर अप रहीं दीक्षा सिंह अब राजनीति में कदम रखने जा रही हैं. दीक्षा सिंह जौनपुर जिले के बक्सा विकासखंड के वार्ड नंबर 26 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ेंगी. दीक्षा सिंह के चुनाव मैदान में उतरने का कारण है उनके पिता जितेंद्र सिंह की सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाना.
दीक्षा सिंह ने वार्ड संख्या 26 बक्शा से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए पर्चा खरीदने के साथ ही जमानत राशि जमा कर दी है. इस समय खुद दीक्षा गांव-गांव जाकर प्रचार में लग गई हैं.
इस सीट से दीक्षा सिंह के पिता जितेंद्र सिंह काफी दिनों से जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रहे थे. 1 वर्ष से अधिक समय से उन्होंने क्षेत्र में घूम-घूम कर अपना प्रचार प्रसार किया लेकिन ऐन वक्त पर यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई.
जिसके बाद जितेंद्र सिंह की बेटी दीक्षा सिंह चुनाव मैदान में उतर गई. दीक्षा सिंह का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता स्व. राम चन्द्र सिंह की बहू शालिनी सिंह से होगा. शालिनी सिंह ग्रेजुएट हैं.
शालिनी के पति सिद्धार्थ सिंह इस समय RSS के सहयोगी संगठन सक्षम से जुड़े हैं. जौनपुर में पंचायत चुनाव के प्रथम चरण 15 अप्रैल को चुनाव होना है 3 और 4 अप्रैल को नामांकन पत्र दाखिल होना है.
जिले के बक्शा क्षेत्र के चितौड़ी गांव निवासी दीक्षा सिंह ने अपने गांव से कक्षा तीन तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह अपने पिता के साथ मुंबई और फिर गोवा चली गईं.
गोवा से ही दीक्षा ने ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा और फेमिना मिस इंडिया-2015 में हिस्सा लिया. इस प्रतियोगिता में दीक्षा सिंह रनर अप रहीं.
पिता का है ट्रांसपोर्ट का कारोबार
दीक्षा के पिता जितेंद्र सिंह का गोवा व राजस्थान में ट्रांसपोर्ट का कारोबार है. जबकि उनकी मां हाउस वाइफ हैं. अभी फरवरी 2021 में दीक्षा के एलबम "रब्बा मेहर करें" ने खूब सफलता बटोरी. दीक्षा ने बालीवुड की "इश्क तेरा" फिल्म की स्क्रिप्ट राइटिंग भी की है. इसके अलावा पैंटीन, पैराशूट ऑइल, स्नैप डील से लेकर बड़ी कंपनियों के विज्ञापन में काम किया है.
उनकी हाल ही में बड़े बैनर की वेब सीरीज चूत्ज़पा ( Chutzpa) आ रही है. दीक्षा सिंह ने बताया कि वह कॉलेज के समय से ही प्रतियोगिताओं व राजनीतिक डिबेट में प्रतिभाग करती रही हैं, और वह हमेशा गांव में समय-समय पर आती रहीं. गांव आने पर देखा कि आज भी गोवा, मुंबई की तर्ज पर जिला विकास से कोसों दूर है. वह पंचायत चुनाव में कुछ बदलाव की सोच से आई हैं.
क्रेडिट: राजकुमार सिंह