सुरेखा सीकरी का नाम आते ही, हमारे जेहन में उस दादी की इमेज ताजा हो जाती है, जो कभी गुस्सैल होती हैं, तो कभी अल्ट्रा मॉर्डन. बालिका वधू में जहां सुरेखा ने एक रूढ़ीवादी दादी का किरदार निभाया था, तो वहीं बधाई हो में सुरेखा को कूल दादी के रूप में देखना फैंस के लिए सुकून भरा था. शुक्रवार को सुरेखा ने आखिरी सांस लीं, कार्डियाक अरेस्ट की वजह से वे इस दुनिया से चल बसीं. सुरेखा अपने पीछे छोड़ गईं है उन फिल्मों का पिटारा, जिसे देखकर हम जिंदगीभर एंटरटेन होते रहेंगे.
दिल्ली शहर में जन्मी सुरेखा सीकरी बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेज थीं. सुरेखा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की है. पढ़ाई के दौरान ही एक्टिंग के प्रति अपना रूझान देखते हुए उन्होंने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया. सुरेखा 1971 बैच की पासआउट स्टूडेंट रही हैं. इसके बाद वे लगातार थियेटर में सक्रिय रहीं. वे एनएसडी रिपेट्री कंपनी के साथ दस साल तक जुड़ी रहीं. इसी बीच उन्होंने फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने की सोची. फिर सुरेखा दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो गई. जहां किस्सा कुर्सी का में उन्हें पहला ब्रेक मिला.
मुंबई आने के बाद सुरेखा ने पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म किस्सा कुर्सी का बतौर एक्ट्रेस डेब्यू किया था. इसके बाद सुरेखा कई हिंदी व मलायलम फिल्मों में सपोर्टिव किरदार निभाती रही हैं. सीरियल्स में भी सुरेखा सक्रिय रहीं. अपनी इस एक्टिंग करियर में वे तीन नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी हैं. सुरेखा की निजी जिंदगी का जिक्र करें, तो उन्होंने करीबी दोस्त हेमंत रेगे से शादी रचाई. हेमंत 2009 में ही चल बसे. इन दोनों को एक बेटा है, राहुल सीकरी.
सुरेखा सीकरी अपनी पहली फिल्म 1978 में आई फिल्म किस्सा कुर्सी में मीरा के किरदार में नजर आई थीं. इसके बाद उन्होंने तमस, परिणीति, नजर लिटिल बुड्ढा, सरदारी बेगम,सरफरोज, दिल्लगी, कॉटन मैरी, जुबैदा, देहम, काली सलवार जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय की छाप छोड़ी. बता दें, फिल्मों में आने से पहले सुरेखा पत्रकार व लेखक बनने की ख्वाहिश रखती थीं. स्कूल में भी सुरेखा पढ़ने में अव्वल थीं.
टीवी में भी बनाया मुकाम
सुरेखा सीकरी टीवी पर भी काफी एक्टिव रही हैं. केसर, बनेगी अपनी बात, सात फेरे जैसे कई टीवी शोज में दमदार भूमिका में नजर आ चुकी हैं.
लेकिन सुरेखा खुद मानती थीं कि बालिका वधू की कल्याणी देवी ऊर्फ दादी सा ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलवाई है.
टीवी में आखिरी बार शो एक था राजा एक थी रानी 2017 में सुरेखा, राणा जी की दादी का किरदार निभातीं नजर आई थीं.
वहीं फिल्मों में पिछले पांच साल से सुरेखा की डिमांड लगातार बनी हुई थी. वे बधाई हो, शीर कुरमा, घोष्ट स्टोरीज में अपनी छोटी लेकिन अहम भूमिका निभातीं दिखी थीं.
सुरेखा ने पहला नेशनल अवॉर्ड 1988 में आई फिल्म तमस में अपने दमदार सपोर्टिंग रोल के लिए जीता था. वहीं 1995 में आई फिल्म मम्मो के लिए भी उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग किरदार के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. 2018 में बधाई हो के लिए भी उन्होंने नेशनल अवॉर्ड लिया था. गजलों की शौकीन सुरेखा की ऊर्दू अल्फाज के लोग दीवाने थे. कुछ साल पहले ही सुरेखा पर एक वीडियो फिल्माया गया था, जिसमें वे मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग को शायराना अंदाज में पेश करतीं दिखी थीं.
सुरेखा ने अपनी एक्टिंग करियर में तीन नेशनल अवॉर्ड्स जीते हैं. सपोर्टिव रोल्स के लिए भी उन्हें कई अनगिनत अवॉर्ड्स ने नवाजा जा चुका है. सुरेखा अक्सर अपनी खुद्दारी के लिए लोगों के बीच पहचानी जाती रही हैं. एक वक्त था, जब सुरेखा के पास काम नहीं थे. ऐसे में कई लोग उनकी आर्थिक मदद के लिए सामने भी आए थे, जिसे सुरेखा ने नकारते हुए काम दिलवाने की बात कही थी.
पिछले कुछ समय से सुरेखा खासी बीमार चल रही थीं. ऐसे में 2018 को जब नेशनल अवॉर्ड के लिए उनके नाम की घोषणा हुई, तो वे बीमारी में भी अवॉर्ड लेने दिल्ली पहुंची थीं.
सुरेखा को बधाई हो के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. अवॉर्ड लेने वे व्हील चेयर पर सेरेमनी में पहुंची थीं. क्या आपको पता है, सुरेखा सीकरी नसीरुद्दीन शाह की रिश्ते में साली भी लगती हैं. दरअसल नसीरुद्दीन शाह ने सीकरी की बड़ी बहन मनारा ऊर्फ मुराद परवीन से पहली शादी की थी. नसीर और मुराद को एक बेटी भी हैं हिबा. हिबा ने ही बालिका वधू में सुरेखा सीकरी के जवानी का किरदार निभाया था.