Advertisement

ममता कुलकर्णी का ऐलान, 'महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं, साध्वी थी, वही बनकर रहूंगी...

बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि वो साध्वी का जीवन जीना जारी रखेंगी. बता दें, महाकुंभ में अपना पिंडदान कर उन्होेंने अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की थी. लेकिन उनके महामंडलेश्वर बनाए जाने पर खूब विवाद हुआ था.

ममता कुलकर्णी ममता कुलकर्णी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

ममता कुलकर्णी एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं. उन्होंने हाल ही में महाकुंभ में अपना पिंड दान किया था. इसके बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाया गया था. लेकिन इस पर खूब विवाद हुआ. अब उन्होंने ऐलान किया है कि वो इस पद से इस्तीफा दे रही हैं.

ममता ने दिया इस्तीफा

उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के पद को त्याग दिया है. ममता ने कहा, "मैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं. मैं बचपन से ही साध्वी रही हूं और आगे भी रहूंगी..."   

Advertisement

ममता को किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर खूब विवाद हुआ था. इस विवाद को तूल मिलता देख ममता ने ये फैसला लिया है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि वो साध्वी की तरह ही अपना जीवन जिएंगी.

जब ममता पर उठे सवाल

प्रयागराज महाकुंभ में ममता ने पूरी रीति से किन्नर अखाड़े में दीक्षा ली थी और फिर हाथों-हाथ उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया गया था. उन्होंने पिंडदान किया, संगम में स्नान किया, फिर उनका पट्टाभिषेक हुआ और वो महामंडलेश्वर बना दी गईं. ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनते ही कई तरह के सवाल उठने लगे थे. 

बाबा रामदेव से लेकर अखाड़े के ही कई संतों-लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी. ममता के लिए कहा गया था कि कल तक जो सांसारिक सुखों मे लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गए हैं और महामंडलेश्वर जैसी उपाधि ले रहे हैं. 

Advertisement

कड़ी परीक्षा के बाद बनीं थीं महामंडलेश्वर

हालांकि ममता बता चुकी थीं कि इस पद को उन्हें सौंपने से पहले उनकी कड़ी परीक्षा ली गई थी. ममता ने कहा था कि महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले 4 जगतगुरू ने मेरी परीक्षा ली. मुझसे कठिन सवाल किए. मेरे उत्तरों से वो समझ गए कि मैने कितनी तपस्या की है. मुझसे 2 दिनों से आग्रह कर रहे थे कि महामंडलेश्वर बनो तो मैने कहा मुझे लिबास की क्या आवश्यकता है. इस कपड़े को सम्मिलित करूंगी तब इसे धारण कर सकती हूं, क्या पुलिस वाला घर पर भी वर्दी पहनता है. 

आजतक से बातचीत में ममता ने महामंडलेश्वर पद मिलने पर कहा था- ये अवसर 144 सालों बाद आया है, इसी में मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया है. ये केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं. मैंने किन्नर अखाड़ा ही इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं है, ये स्वतंत्र अखाड़ा है. जीवन में सब चाहिए आपको. एंटरटेनमेंट भी चाहिए. हर चीज की जरूरत होनी चाहिए. ध्यान ऐसी चीज है, जो भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है. सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था फिर उनमें परिवर्तन आया.''

गौरतलब है कि ममता ने 1996 से ही आध्यात्म का रास्ता अपना लिया था, और भक्ति की राह पर चल पड़ी थीं. वो दावा करती हैं कि वो 12 साल से साध्वी का जीवन जी रही हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement