
फिल्म आदिपुरुष को लेकर देशभर में विवाद देखने को मिल रहा है. फिल्म में राम, रावण और हनुमान के किरदारों की वेशभूषा से छेड़छाड़ के आरोप लगाए जा रहे हैं. विरोध में लगातार विरोध-प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. फिल्म के पोस्टर और कलाकारों के पुतले जलाए जा रहे हैं. कई हिंदू संगठनों ने फिल्म को हिंदू भावनाओं के खिलाफ बताया है. मांग की जा रही है कि फिल्म पर बैन लगाया जाए.
आज इस पूरे विवाद पर आजतक ने फिल्म निर्देशक ओम राउत और फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर से बातचीत की है. इस फिल्म के बनाने वालों का क्या पक्ष है, क्या सोचकर फिल्म के किरदारों के साथ छेड़छाड़ की है. फिल्म कब तक रिलीज होगी. पढ़िए पूरी बातचीत...
ओम राउत से सवाल और जवाब
- आपने तानाजी जैसी फिल्में बनाई हैं, जो दर्शकों ने बड़ी पसंद की थी. इस बार क्या गलत हुआ है, जो आरोप लगाए जा रहे हैं? राम, रावण, हनुमान के लुक के साथ छेड़छाड़ की है?
जवाब: मैं प्रभु राम का बहुत बड़ा भक्त हूं. इस फिल्म में मैंने कुछ गलत नहीं किया है. इतिहास की पवित्रता को ध्यान में रखकर ही काम किया है. जब बचपन में हमने रामानंद सागर की रामायण देखी थी तो बहुत प्रभावित हुआ था. उसके बाद बहुत पढ़ा और बहुत कुछ किया भी. उस रामायण में बहुत मॉर्डन टेक्नॉलोजी भी थी. एक तीर आता है, उसमें दस हो जाते और फिर 100 तीर बन जाते हैं. ये सब हमने पहले देखा नहीं था. हमारे लिए ये नया था. तब के जमाने में वो बहुत पॉपुलर हुआ. आप रावण की बात कर रहे हैं तो रावण एक दानव था. उसका एक क्रूर रोल था. बहुत बड़ी मूंछें करके उसको दिखाया गया था.
तो आपका रावण रामानंद सागर के रावण से अलग है?
जवाब: हमारा रावण आज के जमाने में डिमोनिक है. क्रूर रावण है. जिसने हमारी सीता मैया का हरण किया है, वो रावण क्रूर है. राक्षस है. आज के जमाने में राक्षस कैसे दिखता है, वही दिखाया गया है.
क्या बदलाव करने के लिए तैयार हैं?
जवाब: हमें सबके आशीर्वाद की जरूरत है. ये फिल्म नहीं है. ना ही हम इसे एक प्रोजेक्ट के तौर पर देख रहे हैं. हमारे लिए ये एक मिशन है. हमने जो आदिपुरुष फिल्म बनाई है, वो एक भक्ति का प्रतीक है. ये हमारे लिए श्रद्धा है और ये करने के लिए मुझे सबके आशीर्वाद की बहुत जरूरत है. जो-जो लोग बोल रहे हैं, वे हमारे सारे बड़े बुजुर्ग हैं. उनकी सब बातें सुन रहा हूं और नोट करते जा रहा हूं. सारी चीजें नोट कर रहे हैं. जब जनवरी 2023 में आप इस फिल्म को देखेंगे तो मैं किसी को बिल्कुल निराश नहीं करूंगा.
मनोज मुंतशिर से सवाल और जवाब
आपने बाहुबली के डायलॉग लिखे थे, अब इसमें भी डायलॉग लिखे हैं. इस फिल्म में विवाद कैसे हुआ?
जवाब: सिर्फ 1.35 मिनट का टीजर दुनिया के सामने आया है. मैं ये मानता हूं कि भगवान राम को लेकर लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं और लोगों के मन में राम के प्रति आस्था होनी भी चाहिए. राम का नाम आते ही आपका सिर श्रद्धा के साथ झुकना चाहिए. अगर आपको लगता है कि राम को लेकर सही नहीं हुआ है और आप आवाज उठाते हैं तो सही है. उठाना भी चाहिए. लेकिन, हम अपनी तरफ से सिर्फ इतना कहना चाहेंगे- इस फिल्म को बनाया किसने है? ओम राउत... इन्होंने फिल्म तानाजी बनाई. इनका परिचय और भी है.
इस फिल्म में एक सीन है. मां सीता का हरण हो रहा है. साधु के वेष में रावण आता है. ओम ने जिस तरह ये सीन दिखाया है, उसमें मां सीता को एक क्षण के लिए भी रावण स्पर्श नहीं करता है. सिर्फ माया से मां सीता का हरण करता है. मैंने ओम से पूछा और कहा- ये तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था. हमने इससे पहले देखा तो रावण को हाथ पकड़कर खींचकर ले जाते देखा. ओम राउत कुर्सी से खड़े होकर मुझे बोलते हैं कि वह मेरी मां हैं. कोई उन्हें स्पर्श नहीं कर सकता है. ये इप्रोच है. इतनी लंबी कहानी इसलिए सुनानी पड़ी, क्योंकि ये बताना चाहता हूं कि ये इप्रोच है मेकर का. मेरी एक लेखक के रूप में ये 70वीं फिल्म होगी. जिसमें मैंने गाने लिखे और इन्वॉल्व रहा. लेकिन ये कह सकता हूं कि 70 फिल्मों में मेरी ये पहली फिल्म है, जब मैं लिखता था तो ऑफिस के बाहर अपने जूते छोड़कर आता था. इस श्रद्धा भावना के साथ हमने ये फिल्म बनाई है.
हम राम, सीता, हनुमान को कलेंडर में एक रूप में देखते आए हैं. हमारे जेहन में जो छवि है, वो कलेंडर में देखने वाली है. उसके बाद रामानंद सागर का रामायण आ गया. हमने उसमें स्वरूप देखे. आपको क्या लगता है कि इतना बड़ा हिंदू वर्ग एक नई छवि को स्वीकार करेगा? उस छवि को जब आप चेंज करने की कोशिश करेंगे तो लोग स्वीकार कर पाएंगे?
जवाब: ये जो हिंदू वर्ग है, वो किस भावना के साथ जीया है. जब हम हिंदू कहते हैं तो अहम... वसुधैव कुटुंबकम... हमने सबको समावेश किया है. डिफरेंट पॉइंट्स को समझा है. मुझे जनमानस पर विश्वास है. मैं जानता हूं अच्छी तरह से. जिस दिन उनको हमारी नीयत, उद्देश्य, प्रयोजन समझ गए, वो सबसे पहले आकर हमारी फिल्म का समर्थन करेंगे. क्योंकि वो जानते हैं कि ये फिल्म एक मौका है- भगवान राम की कहानी नई पीढ़ी तक ले जाने के लिए.
लोग कह रहे हैं कि रावण को खिलजी जैसा दिखाया जा रहा है?
जवाब: हर तरफ से लोगों की टिप्पणियां आ रही हैं. इस पर मैं दो बातें करना चाहूंगा. आपने अभी सिर्फ 1.35 मिनट का टीचर देखा है. उसमें रावण ने त्रिपुंड लगाया है. जो देखा है, उतनी की बात कर रहा हूं. जब फिल्म आएगी तो सारी स्थिति समझ में आ जाएगी. मैं पूछना चाहता हूं कि कौन सा खिलजी तिलक या त्रिपुंड लगाता है? कौन सा खिलजी जनेऊ पहनता है? और कौन सा खिलजी रुद्राक्ष धारण करता है. हमारे रावण को इसी छोटे से टीचर में पहने देखा जा सकता है. दूसरी बात- हर युग की बुराई का अपना एक चेहरा होता है. रावण मेरे लिए बुराई का चेहरा है. अलाउद्दीन खिलजी इस दौर की बुराई का चेहरा है. अगर वो मिलता-जुलता भी है तो हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है. और अगर वो मिल भी गया तो इसमें कोई ऐतराज की बात नहीं है. खिलजी तो कोई नायक ही नहीं है. वो कोई हीरो नहीं है. वो बुरा है. अगर रावण का चेहरा उससे मिलता है. और अगर आप रावण से इसलिए ज्यादा नफरत करते हैं क्योंकि वो खिलजी जैसा दिखता है तो अच्छी बात है, बुराई नहीं.
लोगों को इसमें आपत्ति सिर्फ यही है कि वो नए लुक को स्वीकार नहीं कर पा रहे. दूसरी बात ये है कि दूसरे धर्मों में आप चित्र तक नहीं बना सकते. जिन्होंने बनाया है, उनके सिर तन से जुदा होने के मामले सामने आए. लोगों की जो शिकायत है, वो ये है कि हिंदू देवी-देवता के लुक एंड फील के साथ ऐसा बदलाव कर रहे हैं, जिसे स्वीकार करने में परेशानी हो रही है.
जवाब: जनता का हर तरह से मान-सम्मान है. मैं चाहता हूं कि हमारे सनातन धर्म की तुलना दूसरों से ना की जाए. धर्म तो सिर्फ सनातन ही है. दूसरा कोई धर्म इस दुनिया में बना ही नहीं है. बाकी सब रिलीजन या पंथ हैं. जो कोड से चलते हैं. उन कोड की इज्जत है मेरी नजर में. उन पर कोई छींटाकसी नहीं कर रहा हूं. लेकिन धर्म सिर्फ एक है. मैं नहीं चाहता हूं कि मेरा सनातन किसी और रिजम्बल करे. किसी और के जैसा हो. हम खुले हुए हैं. हम ओपन हैं. हमारे यहां हर विचारधारा का स्वागत है. हम सबकी सुनते हैं. हम आखिरी चीजों में डिफाइन करते हैं. हम श्री राम से इतनी श्रद्धा और प्रेम करते हैं, वो सिर काटते होंगे, हम सिर कटा सकते हैं.