Advertisement

अक्षय कुमार बोले- सिर्फ मैंने ही देशभक्ति वाली फिल्में बनाने का ठेका ले रखा है, ऐसा नहीं है

अक्षय कुमार इस समय अपनी आगामी फिल्म 'पृथ्वीराज' के प्रमोशन्स में व्यस्त चल रहे हैं. एक इवेंट के दौरान एक्टर ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. साथ ही उन्होंने साउथ और नॉर्थ फिल्म इंडस्ट्री को लेकर भी कहा.

अक्षय कुमार अक्षय कुमार
नेहा वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:31 PM IST
  • अक्षय ने कई फिल्मों से जगाई देशभक्ति की भावना
  • 'पृथ्वीराज' होगी 3 जून को रिलीज

बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म पृथ्वीराज के प्रमोशन में व्यस्त हैं. इस मुलाकात में अक्षय अपना शूटिंग एक्स्पीरियंस समेत फिल्म से जुड़े विवाद और कई विषयों पर बातचीत करते हैं.

इतिहास से इतर इस फिल्म में हम पृथ्वीराज जी के बारे में और क्या जान पाएंगे?
जब डॉक्टर साहब (डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी) ने मुझसे आकर कहा कि वे फिल्म बनाना चाहते हैं. सबसे पहला सवाल जो मेरे जेहन में था कि हमने अपने इतिहास के किताबों में जो कुछ भी देखा और सुना था, उसके अनुसार मैं पृथ्वीराज चौहान की इमेज से कहीं भी मेल नहीं खाता था. फिर मुझे डॉक्टर साहब ने यह बताया कि पृथ्वीराज चौहान की असल तस्वीर आजतक किसी के पास नहीं है. किसी की कल्पना के आधार पर उनकी स्केच बनाई गई है. पृथ्वीराज तो 36 साल की उम्र में ही गुजर गए थे. उन्होंने करीबन 18 जंग लड़ा है और एक-एक लड़ाई 20 से 25 दिनों की होती थी. एक दिन में 10 से लेकर 11 घंटों तक लड़ते थे, तो इतिहास के किताबों में दिखाया जाने वाला पृथ्वीराज चौहान तो नहीं हो सकता है. जिस प्रकार का उनका बॉडी ऑफ वर्क रहा, उसके हिसाब से तो उन्हें एथलीट होना चाहिए था. डायरेक्टर की कल्पना के अनुसार वो एथलीट ही थें. वो जो पहनते थे, 20 से 25 किलो का वजन होता होगा, तलवार भी 20 किलो की रही होगी. यह तो कोई एथलीट ही कर सकता है. हालांकि मैं यहां किसी को चैलेंज नहीं कर रहा लेकिन यह लोगों के नजरिये की बात है.

Advertisement

आपको लगता है कि हमारा इतिहास टेक्स्टबुक कहीं न कहीं हमें कम जानकारी देता है. उसमें बदलाव की जरूरत है?
मैंने टॉयलेट एक प्रेमकथा और पैडमैन की थी, जिसे सरकार स्कूलों में बच्चों को दिखाती है. मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि मेरी फिल्म मेसेज देने काम करती है. मैं उसी हिसाब से कह रहा था कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान जो बनी है, लोगों को अपनी हिस्ट्री के बारे में जानना जरूरी है. हमें अपने कल्चर के बारे में पता होना चाहिए. हमें उनकी सोच के बारे में पढ़ना चाहिए, उनकी सोच तो इतनी आगे थी, हम आज भी कहीं पीछे ही हैं. यह बहुत दुख ही बात है. देखिए मैं इतिहास की किताबें बदलनी चाहिए या नहीं, मैं इस डिबेट में नहीं पड़ता हूं. अब हिस्ट्री बुक बदलनी चाहिए या नहीं, ये फैसला लेने वाला मैं कौन होता हूं. मेरी औकात नहीं है.

Advertisement

बॉलीवुड VS साउथ की डिबेट पर बोले अक्षय कुमार- देश को बांटना बंद करो, ये काम अंग्रेज करते थे

फिल्म का शूटिंग अनुभव कैसा रहा है?
मैंने अपने पूरे करियर में किसी भी फिल्म का ऐसा क्लाइमैक्स नहीं शूट किया है. इसमें मेटल पहनकर जो फाइट सीन्स किया है, वो काफी चैलेंजिंग था. इस तरह की फाइट्स भी कभी नहीं की थी. मैं अगर इस किरदार के बारे में बात करूं, तो मेरी मां मुझे बचपन में हिस्ट्री पढ़ाया करती थी. उस वक्त मैंने पृथ्वीराज चौहान जी के बारे में एक पैराग्राफ रट्टा मारकर पढ़ाई थी ताकि एग्जाम के वक्त फील इन द ब्लैंक्स में लिख सकूं कि उनका जन्म इस सदी में हुआ और मृत्यु ऐसे हुआ. मैंने कभी नहीं सोचा था कि जो इतिहास को पढ़ा है, उसे स्क्रीन पर निभाने का मौका मिलेगा. मैं काफी खुश था. काश मैं मां को पूरी फिल्म दिखा पाता.

शूटिंग के दौरान इस किरदार में अक्षय कुमार के हावी होने का डर था?
इतना नहीं सोचता हूं मैं, अब एक किरदार खेलने जा रहा हूं. ये सोचने लगा, तो फिर काम कैसे संभव हो पाएगा.

Ram Setu के पोस्टर का उड़ा मजाक, मशाल जलाने पर ट्रोल Akshay Kumar, पूछा- लॉजिक क्या है?

Advertisement

आपने अपनी फिल्मों से देशभक्ति की भावना जगाई है. मानते हैं बॉलीवुड इंडस्ट्री इससे कहीं दूर हो गया था?
एक पॉइंट आता है, जब हम अपनी चीजों को भूल जाते हैं. यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को देशभक्ति फिल्म बनानी चाहिए. मैं लक्ष्मी भी बनाता हूं, बच्चन पांडेय और हाउसफुल जैसी फिल्मों के साथ-साथ एयरलिफ्ट भी बनाता हूं. ऐसा नहीं है कि मैंने ही सिर्फ देशभक्ति की फिल्में बनाने का ठेका ले रखा है. मैं वैसी फिल्में बनाना चाहता हूं, जो मुझे अच्छी लगती है. कोई भी कहानी, चाहे वो देश भक्ति हो या समाजिक मुद्दा अगर अच्छी है, तो जरूर बनाऊंगा. जब आर्मी के जवान तेरी मिट्टी जैसे सॉन्ग पर रील्स बनाते हैं या बच्चे स्कूल में परफॉर्म करते हैं, तो यह सब देखकर बहुत अच्छा लगता है.

जब लोग आपके इस मंशा पर सवाल करते हैं, तो बुरा लगता है?
नहीं होता है, क्या फर्क करता है. यहां मुझे बस अपना काम करना है. मैं ये सब सोचता ही नहीं हूं.

आपने पृथ्वीराज चौहान के किस क्वालिटी को अपने जीवन में आत्मसात किया है?
बहुत सी क्वालिटी अपने में ढाली हैं. खासकर मैंने ये सीख लिया है कि अपने दुश्मनों की भी इज्जत करो. औरतों का सम्मान करना, समाज से उनके हक के लिए लड़ पड़ना ये सब क्वालिटी तो है हीं. हम दुश्मनों का सम्मान कर खुद को कमजोर नहीं करते हैं बल्कि एक डिग्निटी से भी यह खूबी है. यह बहुत बड़ी ताकत होती है. मैं समझता हूं, जो इंसान माफ करना जानता हो, उससे बड़ा इंसान आज कोई नहीं है.

Advertisement

एक और साउथ फिल्म के रीमेक में नजर आएंगे Akshay Kumar, Radhika Madan संग शुरू की शूटिंग

आपने अपने दुश्मनों को माफ कर दिया है?
जो मुझे टेंशन देता है, तो मैं बहुत शांत हो जाता हूं. मैं वहां से निकल जाता हूं. मैं वो रास्ता छोड़ देना पसंद करता हूं. यह क्वालिटी मेरे अंदर सही है या गलत लेकिन मैं खुद को ज्यादा इनवॉल्व नहीं करता हूं. मुझे कुछ गलत लगता है, तो मैं बस वहां से चला जाता है. मैं भूल जाता हूं. अब आप बताएं कौन लड़ेगा बैठकर. आपकी जिंदगी में इतने सारी दूसरी चीजें हैं, उसे करें. लोगों को एंग्स रखने की आदत होती है, लेकिन मैं वैसा नहीं हूं.

जब Akshay kumar ने भारी भरकम फीस के बावजूद ठुकराए तंबाकू ब्रांड के एड, कहा था- मैं गलत काम नहीं करूंगा

पृथ्वीराज फिल्म को भी कई तरह के विवादों का सामना करना पड़ा था. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
देखें, ऐसे में आप क्या कह सकते हैं. बात कर लो, उन्हें समझा लो. ये सब तो चलता रहता है.

बिग बजट फिल्मों को लेकर एक्टर पर दवाब बना रहता है. इससे कितना सहमत हैं?
बिलकुल दवाब तो होता ही है. आप चाहते हैं कि जितने बड़े बजट की फिल्म है, बॉक्स ऑफिस पर उतनी कमाई करे. डिजिटल प्लैटफॉर्म पर उसकी अच्छी सेल हो. इस तरह का प्रेशर स्टार लेता ही है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement