
आलिया भट्ट (Alia Bhatt) की फिल्म डार्लिंग्स (Darlings) की काफी दिनों से चर्चा हो रही थी. आखिरकार फिल्म 5 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म में आलिया भट्ट के अलावा शेफाली शाह और विजय वर्मा भी अहम किरदार में हैं. पता नहीं आप में से कितने लोग होंगे जिन्होंने आलिया की डार्लिंग्स देख ली है. पर जिन्होंने फिल्म देखी है, क्या वो डार्लिंग्स की उन खामियों को नोटिस कर पाये, जो हमने की है? नहीं किया है, तो चलिये हम ही बता देते हैं.
-कमजोर कहानी
आलिया भट्ट और शेफाली शाह स्टारर फिल्म की कहानी घरेलू हिंसा पर आधारित है. पर असल में घरेलू हिंसा के नाम पर दर्शकों के सामने एक कमजोर कहानी को पेश किया गया है. शुरुआत के 40 मिनट तक कहानी को इतना खींचा गया कि आलिया यानि बदरू पर होने वाले अत्याचार आपको काफी मामूली बात लगने लगते हैं. जो कि नहीं लगने चाहिये थे.
-असरदार नहीं थे पंच
फिल्म रिलीज होने से पहले बताया गया था कि डार्लिंग्स की कहानी डार्क कॉमेडी है. पर सच कहें, तो फिल्म देखते हुए कोई भी पंचलाइन ऐसी नहीं थी जिस पर आप हंस सकें. डार्क कॉमेडी कहकर डार्लिंग्स में घिसे-पिटे पुराने और वही सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले पंच दोहराये गये हैं. 2 घंटे 14 मिनट की फिल्म में आप इसी आस में बैठते हैं कि अब कोई कॉमेडी होगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है. बस हां फिल्म में उस सीन में थोड़ी सी हंसी जरूर आती है जब जुल्फी (रोशन मैथ्यू) पुलिस के सामने कहता है कि उसे बदरू नहीं, बल्कि खाला (शेफाली शाह) क्यूट लगती हैं. छोटे से रोल में रोशन मैथ्यू ने अच्छा काम किया है.
घरेलू हिंसा पर बनी डार्लिंग्स फुल ऑफ ट्रैजेडी है. डार्लिंग्स बदरू और उनकी अम्मी की लाइफ में हमेशा ट्रैजेडी ही होती रहती है. इस ट्रैजेडी में भी मेकर्स ने कॉमेडी परोसने की छोटी सी कोशिश की. पर उनसे ना हो पाया भैया. इसलिये कॉमेडी की आस में फिल्म को देखना गलत होगा.
-रियलिटी से अलग है फिल्म
इसमें कोई दोराय नहीं है कि डार्लिंग्स के जरिये समाज के गंभीर मुद्दे को दर्शकों के सामने रखने की कोशिश की गई है. पर फिल्म के कई सीन ऐसे थे, जो हकीकत से बिल्कुल मैच नहीं होते. यहां तक कि कई सीन्स को बार-बार दोहराया भी गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि बदरू, हमजा (विजय वर्मा) से अपनी बेज्जइती का बदला लेने के लिये उसे चेयर से बांध कर रखती हैं. कई दिनों तक हमजा को नींद के इजेक्शन दिये जाते हैं. पर क्या ये मुमकिन है कि कई दिनों तक कोई इंसान बिना टॉयलेट जाये जिंदा रह सकता है? वहीं अगर टॉयलेट जाने के लिये रस्सी खोली भी जाती है, तो फिर वो अपने बचाव में कुछ क्यों नहीं कर पाया. दूसरा मुद्दा ये है कि नींद की गोलियां और इंजेक्शन के ओवरडोज से इंसान की मौत हो सकती है, लेकिन फिल्म में हमजा को इतने इंजेक्शन दिये गये. फिर भी वो सही सलामत चेयर पर बैठा रहा.
विजय वर्मा और शेफाली शाह की दमदार एक्टिंग
आलिया भट्ट ने कम उम्र में अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है. आलिया कितनी बेहतरीन एक्ट्रेस शायद ये बताने वाली बात नहीं है. पर सच्चाई यही है कि डार्लिंग्स में आलिया भट्ट की एक्टिंग के आगे विजय वर्मा और शेफाली शाह ने बहुत अच्छा काम किया है. विजय वर्मा ने ग्रे शेड में खुद को ऐसे ढाला कि आप फिल्म खत्म होते-होते आप उन्हें सच में हमजा मान बैठते हैं. वहीं आलिया की अम्मी के रोल में शेफाली शाह की एक्टिंग के लिये कुछ भी कहना गुस्ताखी होगी.
डार्लिंग्स में आलिया भट्ट ने सिर्फ एक्टिंग नहीं की है, बल्कि वो फिल्म की प्रोड्यूसर भी हैं. बतौर प्रोड्यूसर आलिया ने अच्छा काम किया है. फिल्म का निर्देशन जसमीत के. रीन ने किया है. डार्लिंग्स एक अच्छी कोशिश के साथ बनाई गई है, लेकिन बस स्क्रीनप्ले और कहानी में थोड़ी सी कमी रह गई.