
इस अवॉर्ड सीजन में ग्लोबल लेवल पर इंडिया का नाम लगातार ऊंचा कर रही डायरेक्टर पायल कपाड़िया की फिल्म 'All We Imagine As Light' गोल्डन ग्लोब्स अवॉर्ड में चूक गई है. दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड शोज में से एक गोल्डन ग्लोब्स में इस फिल्म को दो नॉमिनेशन मिले थे. जहां फिल्म को 'बेस्ट नॉन इंग्लिश लैंग्वेज मोशन पिक्चर' कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था, वहीं इसके लिए पायल कपाड़िया को 'बेस्ट डायरेक्टर' कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था.
बहुत कड़ा था कॉम्पिटीशन
गोल्डन ग्लोब्स में 'All We Imagine As Light' और दूसरी फिल्मों को हराकर ये अवॉर्ड, डायरेक्टर जैक्स ऑडियार्ड की फ्रेंच फिल्म 'एमीलिया पेरेज' ने जीता. ये फिल्म इस साल लगातार क्रिटिक्स को इम्प्रेस कर रही थी, इसके अलावा 'बेस्ट नॉन इंग्लिश लैंग्वेज मोशन पिक्चर' कैटेगरी में ब्राजील की I'm Still Here, जर्मनी-फ्रांस-ईरान की जॉइंट प्रोडक्शन The Seed of The Sacred Fig और पोलैंड-स्वीडन-डेनमार्क की The Girl With The Needle शामिल थीं.
पायल कपाड़िया भी चूकीं
'All We Imagine As Light' के लिए डायरेक्टर पायल कपाड़िया को इंटरनेशनल मंच पर बहुत तारीफ मिली थी. मगर गोल्डन ग्लोब्स में वो बेस्ट डायरेक्टर कैटेगरी में उन्हें जीत नहीं मिली. होलोकॉस्ट ड्रामा 'द ब्रुटलिस्ट' डायरेक्ट करने वाले ब्रैडी कॉर्बेट को ये अवॉर्ड मिला. उनकी फिल्म ऑस्कर्स के लिए भी फेवरेट्स में से एक मानी जा रही है.
'All We Imagine As Light' से भारत को थीं उम्मीदें
पायल की फिल्म का प्रीमियर मई में कान्स फिल्म फेस्टिवल में हुआ था. इस प्रतिष्ठित फेस्टिवल में 'All We Imagine as Light' सीधा मेन कॉम्पिटीशन में शामिल थी. और इसने कान्स का दूसरा बेस्ट अवॉर्ड Grand Prix अपने नाम किया. ये फिल्म करीब 30 सालों में पहली भारतीय फिल्म थी जो कान्स के मेन कॉम्पिटीशन में पहुंची. ऑलमोस्ट 70 सालों में ये Grand Prix जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी.
कान्स में जीतने के बाद पायल कपाड़िया की फिल्म शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, गॉथम अवॉर्ड्स, न्यू यॉर्क फिल्म क्रिटिक्स सर्कल, लॉस एंजेलिस फिल्म क्रिटिक एसोसिएशन, सैन डिएगो फिल्म क्रिटिक्स सोसाइटी और टोरंटो फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन जैसे तमाम प्रतिष्ठित फिल्म कॉम्पिटीशन में अवॉर्ड्स जीत चुकी है.
भारत ने नहीं भेजा था ऑस्कर्स में
भारत की तरफ से ऑस्कर अवॉर्ड्स के लिए ऑफिशियली भेजी गई 'लापता लेडीज' हाल ही में, शॉर्टलिस्ट होने से चूक गई थी. जिसके बाद फिल्म लवर्स ने फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया पर सवाल उठाने शुरू किए थे कि उन्होंने 'All We Imagine as Light' को अपनी ऑफिशियल एंट्री क्यों नहीं बनाया, जो बड़े-बड़े इंटरनेशनल अवॉर्ड्स जीत रही है.
भारतीय डायरेक्टर और कास्ट वाली इस फिल्म को फ्रांस भी ऑस्कर के लिए अपनी ऑफिशियल एंट्री बनाने के लिए तैयार था. दरअसल, 'All We Imagine as Light' के प्रोड्यूसर थॉमस हाकिम और जुलियन ग्राफ ने इसे अपनी फ्रेंच कंपनी से प्रोड्यूस किया था. इस एक टेक्नीकल की वजह से फ्रांस ने इसे तीन अन्य फिल्मों के साथ अपनी ऑफिशियल एंट्री बनाने के लिए शॉर्टलिस्ट भी कर लिया था.
हालांकि, ये फिल्म फ्रांस के साथ-साथ भारत, इटली, नीदरलैंड्स की कंपनियों की को-प्रोडक्शन थी. फिल्म के इंडियन को-प्रोड्यूसर जीको मैत्रा ने वैरायटी के साथ इंटरव्यू में कहा था, 'फिल्म की थीम्स ग्लोबल हैं, लेकिन ये मुंबई की एक कहानी है और ये मुंबई की और भारत की महिलाओं की कहानी है. ये एक बड़ा सम्मान होगा अगर हम अपने देश को एकेडमी अवॉर्ड्स (ऑस्कर्स) में रिप्रेजेंट कर सकें.' इसलिए मेकर्स ने फिल्म को भारत की तरफ से चुने जाने के लिए सबमिट कर दिया, जिसके बाद फ्रांस इसे ऑस्कर में नहीं भेज सकता था. लेकिन फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भारत की तरफ से ऑस्कर की रेस के लिए 'All We Imagine as Light' की बजाय 'लापता लेडीज' को चुना.