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जब इंडस्ट्री छोड़ ओशो के पास चले गए विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन ने बहुत रोका था मगर...

ओशो के पास जाने के 5 साल बाद, विनोद खन्ना वापस एक्टिंग की तरफ जरूर लौटे. मगर तब उनके स्टारडम की चमक उतनी जोरदार नहीं थी जितनी शायद पहले रही. तबतक ये कहा जाने लगा कि उनकी गैर मौजूदगी का पूरा फायदा अमिताभ बच्चन ने उठाया है, जो तब इंडस्ट्री के नए सुपरस्टार बन चुके थे.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:00 AM IST

विनोद खन्ना, 70-80 के दशक में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे पॉपुलर और हैंडसम एक्टर्स में से एक थे. अपने करियर में कामयाबी और स्टारडम का बेह्तारें दौर देख रहे विनोद खन्ना ने 1982 में जब अचानक से एक्टिंग छोड़ने की बात कही तो लोग शॉक रह गए. बॉलीवुड छोड़कर विनोद खन्ना ने, यूएस में आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण में चले गए थे. 

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हालांकि वो 5 साल बाद वापस एक्टिंग की तरफ जरूर लौटे, मगर तब उनके स्टारडम की चमक उतनी जोरदार नहीं थी जितनी शायद पहले रही. तबतक ये कहा जाने लगा कि उनकी गैर मौजूदगी का पूरा फायदा अमिताभ बच्चन ने उठाया है, जो तब इंडस्ट्री के नए सुपरस्टार बन चुके थे. अब सीनियर फिल्म जर्नलिस्ट भावना सोमाया ने कहा है कि अमिताभ बच्चन ने विनोद खन्ना से बहुत रिक्वेस्ट की थी कि वो फिल्में न छोड़ें.

क्या अमिताभ की वजह से विनोद खन्ना का करियर पड़ा स्लो?
हिंदी रश यूट्यूब चैनल के साथ एक बातचीत में भावना ने कहा, 'विनोद खन्ना के करियर के लिए बच्चन जिम्मेदार नहीं थे, थे क्या? वो अकेले कुछ नहीं कर सकते थे. खन्ना बहुत गुड-लुकिंग एक्टर थे, टैलेंटेड थे, सेंसिटिव थे... वो बस खुद में ही खो गए. उन्होंने रजनीश (ओशो) को फॉलो करने का फैसला किया. उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर ये अनाउंस किया कि वो इंडस्ट्री छोड़ रहे हैं.' 

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भावना ने आगे कहा, 'बल्कि अमिताभ बच्चन ने तो उनसे विनती की थी कि वो इस फैसले के साथ आगे न बढ़ें. शशि कपूर ने भी उन्हें एक बार फिर से विचार करने को कहा. हर डायरेक्टर और एक्टर ने उन्हें कहा कि वो ना जाएं, ऐसा करना गलत होगा. लेकन उन्हें यकीन था कि वो इंडस्ट्री छोड़ना चाहते हैं और वो चले गए. वो लम्बे समय तक ओशो के साथ रहे और फिर वापस लौटे, उन्होंने फिर से अपना करियर रीस्टार्ट कर लिया था. मेरे हिसाब से उनका करियर ठीक ही था.' 

विनोद ने खुद को कहा था 'सेल्फिश' 
विनोद खन्ना ने एक बार सिम्मी ग्रेवाल से कहा था कि ओशो को जॉइन करने का उनका फैसला 'सेल्फिश' था. जब विनोद से पूछा गया कि क्या वो अपने उस फैसले को आज भी 'सेल्फिश फैसला' मानते हैं? तो उन्होंने कहा, 'बिल्कुल है! आप सेल्फिश नहीं हो तो ऐसा कुछ नहीं कर सकते. क्योंकि आपको खुद अपने लिए ही मुक्ति चाहिए होती है.' विनोद ने आगे कहा था, 'हर किसी को अकेले ही सफर करना होता है. आप अकेले आते हैं, आप अकेले जाते हैं. आपको अपना रास्ता तय करना होता है.' 

2020 में विनोद खन्ना के बेटे, जानेमाने एक्टर अक्षय खन्ना ने भी ओशो में अपने पिता के विश्वास को लेकर बात की थी. उन्होंने कहा था, '5 साल के बच्चे के तौर पर ये बात समझना बहुत मुश्किल था. मेरे डैड क्यों मेरे पास मौजूद नहीं हैं, इसपर मेरे विचारों से ओशो का कोई लेना देना नहीं था.' अक्षय ने आगे कहा था कि विनोद खन्ना को अंदर से किसी चीज ने तो इतना मूव किया ही था, जो उन्हें लगा कि इस तरह का फैसला लेना उनके लिए सही था.' 

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