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अजान विवाद पर बोलीं अनुराधा पौडवाल, जगराते बंद हुए फ‍िर लाउडस्पीकर पर अजान क्यों नहीं? कानून सबके लिए समान

Anuradha Paudwal Azaan Loudspeaker Controversy: अनुराधा पौडवाल ने कहा कि हमारे जितने भी जगराते हुए, वह बंद हुए. यह हमारी संस्कृति थी न, लेकिन इसे बंद किया गया, क्योंकि 10 बजे के बाद लोगों को तकलीफ होती थी.

अनुराधा पौडवाल अनुराधा पौडवाल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST
  • अनुराधा पौडवाल ने दी सफाई
  • लाउडस्पीकर पर अजान पर दिया था बयान
  • आजतक से की खास बातचीत

Anuradha Paudwal Azaan Loudspeaker Controversy: प्लेबैक सिंगर सोनू निगम (Sonu Nigam) एक बार अजान कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं. अब अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) भी इसे लेकर चर्चा में हैं. दरअसल, एक इंटरव्यू में अनुराधा पौडवाल ने कहा था कि वह कई देश घूमी हैं. जिस तरह लाउडस्पीकर पर अजान भारत में होती है, उस तरह कहीं उन्होंने होती नहीं देखी. मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान होती है, जिसकी वजह से बाकी लोग भी स्पीकर चलाते हैं. मिडिल ईस्ट में तो लाउडस्पीकर पर अजान बैन है. 

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सिंगर ने रखा अपना पक्ष
हाल ही में आजतक चैनल संग बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारे जितने भी जगराते हुए, वह बंद हुए. यह हमारी संस्कृति थी न, लेकिन इसे बंद किया गया, क्योंकि 10 बजे के बाद लोगों को तकलीफ होती है. यहां पर मुद्दा यह नहीं कि कौन सा मजहब है. यहां तकलीफ लाउडस्पीकर है. अगर ये लोग बजाते हैं तो हम क्यों न बजाएं, ऐसे तो दुनिया एक मेला बन जाएगी. हर कोई भेड़चाल में चलने लगेगा. 

अनुराधा पौडवाल ने कहा कि यहां हमें शांति से रहने की जरूरत है. एक-दूसरे को तकलीफ न हो, यह देखना है. मेरा इतना ही कहना है कि अगर एक कानून बनता है कि 10 बजे के बाद लोगों को तेज आवाज से तकलीफ होती है. इतने लोगों की रोजी-रोटी जगराते में गाकर चलती थी, लेकिन उसे बंद किया गया. किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई. अगर एक कानून बनता है तो सबके लिए एक जैसा होना चाहिए. कर्नाटक सरकार ने बोला है कि कोई भी लाउडस्पीकर अगर चलाते हैं तो यह एक निर्धारित डेसिबल तक ही चला सकते हैं. मुझे लगता है कि यह एक अच्छी चीज है. 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद हो गए तो हमारी भी संस्कृति बंद हो गई. कानून सबके लिए एक जैसा हो. 

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अनुराधा पौडवाल ने दी सफाई
अनुराधा पौडवाल ने आखिर में कहा कि कानून हो तो सबके लिए एक जैसा होना चाहिए. एक सिंपल सी चीज है. अगर लाउडस्पीकर पर अजान हो रही है तो जगराते भी 10 बजे के बाद तक होने चाहिए. बतौर आर्टिस्ट में कहना चाहती हूं कि 10 साल पहले तक बहुत से जगराते हुआ करते थे, लेकिन जबसे यह 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद हुए, तबसे हमने एक भी जगराते नहीं किए हैं. जब हम बने हुए आर्टिस्ट्स के जगराते बंद हो गए तो छोटे-छोटे आर्टिस्ट कहां जाएंगे. वह तो उनकी रोजी-रोटी थी, लेकिन बंद हो गई. कानून होता है तो सबके लिए होना चाहिए. एक के जोर-जोर से बजे और दूसरे के लिए यह बंद ही हो जाए, यह गलत है. एक जगराते में 10-15 लोग शामिल होते थे, जब यह संस्कृति बंद हुई तो सोचिए कितने लोगों की रोजी-रोटी बंद हुई. 

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लाउडस्पीकर पर अजान के जोर-जोर से बजने को लेकर अनुराधा पौडवाल ने कहा कि 10 बजे के बाद डिस्टर्बेंस की वजह से बंद किया है. यही चीज हर जगह अप्लाई होनी चाहिए. मैं केवल एक खास धर्म की बात नहीं कर रही हूं. यहां धर्म को मत जोड़िए. हम हर चीज को धर्म से जोड़ देते हैं, यह धर्म की बात नहीं है. लॉजिकली देखा जाए तो डिस्टर्बेंस होता है तो यह आवाज भी बंद होनी चाहिए. इससे अगर डिस्टर्बेंस नहीं होता है तो फिर हमारे जगराते भी शुरू होने चाहिए. 

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इंटरव्यू में दिया था विवादित बयान
अनुराधा पौडवाल ने बेबाकी से इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा अगर देश में लोग लाउडस्पीकर पर यूं ही अजान चलाते रहेंगे तो लोग हनुमान चालीसा भी ऐसे ही चलाएंगे. इससे क्या फायदा होगा, विवाद बढ़ता जाएगा बस, ऐसा होना बेहद दुखद है. साल 2017 का ये मामला है, जब सोनू निगम के एक ट्वीट ने पूरे देश में खलबली मचा दी थी. उन्होंने ट्वीट कर लाउडस्पीकर पर अजान चलने पर आपत्ति जताई थी. सोनू ने लिखा था- मैं मुस्लिम नहीं हूं. फिर भी मुझे अजान की वजह से सुबह उठना पड़ता है. भारत में जबरन धर्म का थोपा जाना कब बंद होगा? सोनू के इस ट्वीट ने हंगामा खड़ा किया. उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया था. 

 

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