
गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों का निर्माण करने वाले अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) इन दिनों अपनी फिल्म दोबारा को लेकर चर्चा में हैं. फिल्म की लीड स्टार तापसी पन्नू हैं. वहीं प्रोड्यूसर एकता कपूर. दोबारा एक सस्पेंस-थ्रिलर से भरपूर फिल्म है, जो कि 19 अगस्त को थिएटर्स में रिलीज हो रही है. अनुराग बॉलीवुड में अपने बेहतरीन डायरेक्शन के लिये जाने जाते हैं. इसके अलावा वो अपने बेबाकपन के लिये भी मशहूर हैं. हाल ही में उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन के साथ ही उन्होंने दोबारा और आज की फिल्मों पर बात की है.
स्पैनिश फिल्म मिराज (2018) के हिंदी एडैप्टेशन दोबारा को आखिर आप खुद क्यों निर्देशित करना चाहते थे?
इसके जवाब में बात करते हुए उन्होंने कहा, सांड़ की आंख (2019) की शूटिंग के वक्त तापसी पन्नू इसकी स्क्रिप्ट लेके आई थीं. तब तक मिराज रिलीज नहीं हुई थी, तो मेरे लिए वह एक स्क्रिप्ट ही थी. पहले उन्होंने कोई डायरेक्टर सुझाने को कहा जो तापसी को लेकर वह फिल्म करे. पढ़ा तो लगा कि इसे मुझे करना चाहिए. ऐसा मिस्ट्री ड्रामा पहले किया नहीं था.
दोबारा बनाते वक्त आपके भीतर के राइटर को डायरेक्टर से अलग रख पाना क्या आसान था?
इस बारे में वो कहते हैं, बिल्कुल. मेरा फोकस हमेशा काम पर रहता है. लेखक की भूमिका में होने पर सिर्फ लिखता हूं. डायरेक्टर होने पर बस वही करता हूं. और एडिटिंग करते वक्त सिर्फ एडिटिंग पर ही ध्यान रहता है.
फिल्म डायरेक्शन के काम में आपको दो दशक से ज्यादा हो गए. कुछ काम तो अब आपके लिए आसान हो गए होंगे!
इस पर वो कहते हैं, फिल्म बनाते वक्त मैं खुद से भी डरा रहता हूं. मेरे ख्याल से तभी आप कोई फिल्म बना सकते हैं. अच्छी फिल्म बनाने को लेकर आश्वस्त डायरेक्टर शायद ही कभी अच्छी फिल्म बना पाते हैं. पर बतौर फिल्मकार पिछले कुछेक सालों में एक बात समझ में आ गई है. मुझे अपने चारों ओर ऐसे नौजवान रखने होंगे जिनमें एक भूख हो और मुझे बस अच्छी तरह से सुनना होगा कि वे चाहते क्या हैं?
आज कल फिल्म इंडस्ट्री में कई फिल्म मेकर्स अपनी किस्मत आजमाने में लगे हुए हैं. इसमें कोई सफल हुआ, तो कोई फेल. इस पर बात करते हुए अनुराग कश्यप से पूछा गया कि नए फिल्ममेकर्स को मशविरा देना हो तो क्या आप यह कहेंगे कि पैन इंडिया अपील वाली फिल्म बनाओ या निहायत लोकल मजमून लेकर कहानी बुनो?
इंडस्ट्री के नये फिल्म मेकर्स को एडवाइस देते हुए वो कहते हैं, मैं बस यही कहूंगा कि ऐसी फिल्म बनाओ जो तुम्हारे अलावा और कोई न बना सके. पैन-इंडिया जैसी कोई फिल्म नहीं होती. रोहित शेट्टी हों, एस.एस. राजमौलि या राजकुमार हीरानी, हर कामयाब डायरेक्टर को इसीलिए सफलता मिलती है, क्योंकि वे वही फिल्म बनाते हैं जो कि बनाना चाहते हैं. उनकी फिल्में पैन-इंडिया हिट होती हैं पर वे पैन-इंडिया फिल्म बनाने नहीं निकलते.
उम्मीद है कि अनुराग कश्यप की ये एडवाइस नये लोगों को आगे बढ़ने में काम आयेगी.
—पोलोमी दास