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आशा पारेख ने बॉलीवुड डांस नंबर्स को बताया खराब, बोलीं- दिल से बुरा लगता है

वेतरन एक्ट्रेस आशा पारेख को लगता है कि आजकल के बॉलीवुड सॉन्ग्स में जिस तरह का डांस दिखाया जा रहा है, वह अजीब है. हर कोई फिल्मों में वेस्टर्न डांस कल्चर को अपनाने की कोशिश में लगा हुआ है. कोई भी इंडियन ट्रडिशन को आगे नहीं बढ़ा रहा है. डांस कम और एरोबिक्स ज्यादा एक्ट्रेसेस फिल्मों में करती नजर आ रही हैं.

आशा पारेख आशा पारेख
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:41 PM IST

वेतरन एक्ट्रेस आशा पारेख आजकल सुर्खियों में आई हुई हैं. कुछ दिनों पहले ही आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. आशा पारेख, एक ट्रेन्ड क्लासिकल डांसर भी हैं. एक इंटरव्यू में आशा पारेख का कहना रहा कि बॉलीवुड अब हमारे इंडियन कल्चर को नहीं दिखाता है. और जब बात आती है डांस की तो वह काफी पिछड़ा हुआ दिखता है. अपने इंडियन रूट्स को लोग भूलते ही जा रहे हैं, बल केवल एक संजय लीला भंसाली हैं जो कुछ अलग काम कर रहे हैं. पुराने गानों के जितने भी रीमिक्स बनाए जा रहे हैं, वह बेहूदा सुनाई देते हैं. 

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आशा पारेख ने एक्टिंग की दुनिया में केवल 10 साल की उम्र में कदम रखा था. फिल्म 'आसमान' से इन्होंने डेब्यू किया था. शमी कपूर के साथ आशा पारेख की जोड़ी खूब हिट हुई थी. साल 1959 में 'दिल देके देखो' में दोनों की जोड़ी बनी थी. इसके बाद अपने करियर के करीब 50 सालों में करीब 95 फिल्में उन्होंने कीं. आशा पारेख की जो बेस्ट फिल्में रहीं, वह हैं 'कारवां', 'कटी पतंग', 'तीसरी मंजिल', 'बहारों के सपने' और 'प्यार का मौसम'. 

आशा पारेख ने कही यह बात
बॉस्टन में एक इवेंट के दौरान आशा पारेख ने कनेक्ट एफएम कनाडा के हिंदी इंटरव्यू में कहा कि हम अपने ही डांस ट्रडिशन भूल चुके हैं. हम वेस्टर्न डांस को कॉपी करने की कोशिश कर रहे हैं. मुझे लगता है कि आप मेरे से अग्री करेंगे, जिस तरह का डांस आजकल हम लोग देख रहे हैं, वह हमारा स्टाइल है ही नहीं. वह हमारा कल्चर है ही नहीं. डांस में हमारा काफी रिच कल्चर और ट्रडिशन रहा है. हर राज्य का अपना एक डांस फॉम है. और हम क्या कर रहे हैं? हम केवल वेस्टर्न डांस स्टाइल्स को कॉपी करने की कोशिश में लगे हुए हैं. कई बारी तो ऐसा लगता है कि हम एरोबिक्स कर रहे हैं. हम डांस नहीं कर रहे. बुरा लगता है. दिल दुखता है. 

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आशा पारेख ने आगे कहा कि संजय लीला भंसाली हमारे कल्चर को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. अपने काम में वह इसे दिखाते भी हैं. जिन गानों का आजकल रीमिक्स बन रहा है, वह बेहूदा सुनाई देता है. पुराने और ओरिजनल गानों की स्वीटनेस को ड्रम्स और बीट्स से खत्म कर दिया जा रहा है. गाने के बोल खो से गए हैं. उनका कोई मतलब ही समझ नहीं आता है. 

 

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