
Khakee: The Bihar Chapter की इन दिनों जबरदस्त चर्चा है. सीरीज में विलेन चंदन महतो का किरदार निभा रहे अविनाश तिवारी के दमदार परफॉर्मेंस को लोगों के बीच काफी सराहा जा रहा है. खुद बिहार से ताल्लुक रखने वाले अविनाश हमसे एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में बिहार के प्रोजेक्शन पर दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
शो को मिल रहे रिस्पॉन्स पर अविनाश कहते हैं, इस सीरीज में बिहार की कास्ट पॉलिटिक्स को बहुत ही खूबसूरती से प्रोजेक्ट किया गया है. दावा है जिस तरह से इसमें पुलिस की फंक्शनिंग दिखाई गई है, वो दिल्ली क्राइम के बाद इसमें बेहतरीन तरीके से देखने को मिलेगा. इसमें सबसे बड़ी खास बात यह है कि मैं काम कर रहा हूं, जो नायाब बात हैं. मेरा दावा है, लोगों को सीरीज बहुत पसंद आएगी. रिस्पॉन्स भी काफी पॉजिटिव मिल रहा है.
बिहार को दिखाया जाता है निगेटिव?
एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में अक्सर बिहार का प्रोजेक्शन निगेटिव रहा है, जिसकी वजह से बिहारियों को लेकर लोगों की धारणाएं भी बनी हैं. इस बात से अविनाश खुद भी वाकिफ रखते हैं. इसपर विस्तार से वे कहते हैं, हां, इसमें थोड़ी सच्चाई तो है. मुझे लगता है, मैं जिस इंडस्ट्री से ताल्लुक रखता हूं, कई एक्टर्स से मुलाकात होती रहती है, जो यूपी, बिहार से हैं. मैंने महसूस किया है, कि वो बिहार से हैं, ये बोलना नहीं चाहते हैं. वो इसलिए भी है क्योंकि हमारी इंडस्ट्री ग्लैमरस मानी जाती है. शो-शा बहुत ज्यादा है और हम लोग बहुत ही सादगी वाले जगह से आते हैं. लोगों का हमारे प्रति यही धारणा है कि हम बड़े गरीब देहाती किस्म के हैं. हम खुद इसको नकार भी तो नहीं सकते हैं. हालांकि हमें जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योंकि जो स्टेट का हाल है, उसे अनदेखा तो नहीं कर सकते हैं. न जीडीपी सही है, लिट्रेसी के नाम पर कॉलेज ढंग के नहीं हैं, हम कई मायनों में पीछे हैं.
प्रदेश में हो सुधार
अविनाश आगे कहते हैं, आजकल देश में नेशनलिज्म की जो भावना जगी है, पूरा देश एकसाथ हो रहा है, तो ऐसे में बाकि लोग भी आगे बढ़कर जिम्मेदारी लें कि हर प्रदेश को सुधारें. जबतक देश नहीं जागेगा, तब तक ये चीजें नहीं बदलने वाली हैं. रही बात हमारे शो की, तो यहां बिहार की छवि को बदलने में कुछ नहीं करता है लेकिन हां, जो सिस्टम चल रहा है, उसपर सवाल जरूर उठाता है. मुझे उम्मीद है कि इस पर और चर्चा हो और इस सवाल को उठाया जाए. बिहार के यूथ को जागना होगा और सवाल करना होगा कि हम क्यों ऐसी स्थिती में हैं. क्या हम डिर्जव करते हैं.
मैं आगे उम्मीद करता हूं, पंकज त्रिपाठी, मनोज सर और मैं खुद को जोड़ सकूं, तो आगे चलकर हम नए बिहार का रूप बनें. जहां लोग इंस्पायर्ड महसूस करें कि हम किसी भी स्टेज पर जाकर गर्व से कह सकें कि हम बिहारी हैं. हमें इस माइंडसेट से निकलने की जरूरत है कि बिहार में गरीबी, अनपढ़ता और क्राइम है. आप मेरे शब्दों को लिख लें, कि बिहार स्टेट में ही वो काबिलियत है कि पूरे देश को बदल सकता है. मैं बस उसी निखरते बिहार का इंतजार कर रहा हूं. मुझे आज भी लोग हैरानी से पूछते हैं कि तुम बिहार से हो, लगते तो नहीं हो.. मैं उन्हें यही जवाब देता हूं कि प्लीज बताएं कि बिहार वालों के चार पंख या चार नाक होती हैं, जिससे वो अलग हो जाते हैं.