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एक ही वीकेंड में हुआ 'बेबी जॉन' का बंटाधार, क्या 2024 से ये बड़ा सबक लेगा बॉलीवुड?

'बेबी जॉन' का इस तरह नाकाम होना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा मैसेज लेकर आया है. ये मैसेज जनता दे तो लॉकडाउन के बाद से ही रही है, मगर हिंदी फिल्ममेकर्स इसे ना मानने की जिद पर अड़े नजर आते हैं.

'बेबी जॉन' में वरुण धवन 'बेबी जॉन' में वरुण धवन
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 31 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:30 AM IST

बॉलीवुड स्टार वरुण धवन को बॉलीवुड में 12 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. 2012 में 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से डेब्यू करने वाले वरुण की लेटेस्ट फिल्म 'बेबी जॉन' थिएटर्स में तगड़ा संघर्ष कर रही है. वरुण की ये फिल्म क्रिसमस की छुट्टी के दिन थिएटर्स में रिलीज हुई और इसके हिस्से साल का आखिरी वीकेंड आया जिसमें जनता वैसे भी मजे के मूड में रहती है और मसाला फिल्मों के लिए ये समय अच्छा माना जाता है. 

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ऐसे में धमाकेदार एक्शन और वरुण धवन को पहली बार मास अवतार में लेकर आई ये फिल्म 5 दिन में पूरे 30 करोड़ रुपये भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं कमा सकी है. 'बेबी जॉन' का इस तरह नाकाम होना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा मैसेज लेकर आया है. ये मैसेज जनता दे तो लॉकडाउन के बाद से ही रही है, मगर हिंदी फिल्ममेकर्स इसे ना मानने की जिद पर अड़े नजर आते हैं. हालांकि, तमिल फिल्म 'थेरी' का ऑफिशियल हिंदी रीमेक, 'बेबी जॉन' शायद इंडस्ट्री के लिए शायद एक पक्की वार्निंग साबित हो. 

रीमेक में खत्म होता जनता का इंटरेस्ट
 

लॉकडाउन से पहले तक, बॉलीवुड में हिट फिल्में डिलीवर करने के सबसे पक्के फॉर्मूले में से एक था- रीमेक. साउथ की किसी इंडस्ट्री या हॉलीवुड की किसी बड़ी हिट का राइट खरीदा और उसे हिंदी में रीमेक कर लिया. फिल्म अच्छी होती थी तो चल भी जाती थी. लेकिन इस खेल में सबसे बड़ा रोल था एक अदृश्य दीवार का. 

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दूसरी भाषा से जिस फिल्म को हिंदी में रीमेक किया जाता था, उसे हिंदी जनता ने कम देखा होता था. जैसे शाहिद कपूर की सुपरहिट 'कबीर सिंह' का उदाहरण देखिए. ये विजय देवेराकोंडा की तेलुगू फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' का हिंदी रीमेक थी. हिंदी में बहुतायत जनता ने ये फिल्म नहीं देखी थी. इसलिए जब हिंदी में रीमेक होकर, शाहिद कपूर के साथ ये कहानी 'कबीर सिंह' के टाइटल से आई, तो थिएटर्स में जनता ने जबरदस्त प्यार लुटाया. लॉकडाउन में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की पॉपुलैरिटी ने जनता को साउथ ही नहीं, दुनिया भर की फिल्में देखने की सीधी खिड़की उपलब्ध करवा दी. 

'कबीर सिंह' वाले शाहिद ही जब तेलुगू फिल्म 'जर्सी' का हिंदी रीमेक, 'जर्सी' नाम से ही लेकर आए तो यही दिक्कत सामने आई. ऑरिजिनल तेलुगू फिल्म, नानी स्टारर 'जर्सी' अपनी इमोशनल कहानी और पारिवारिक होने के कारण ओटीटी पर खूब देखी गई थी, चाहे साउथ हो या नॉर्थ. ऑरिजिनल फिल्म थिएटर्स में रिलीज हुई थी 2019 में, ओटीटी पर आई 2020 में और इसका हिंदी रीमेक थिएटर्स में रिलीज हुआ 2022 में. 

नोट कीजिए, ओटीटी पर ऑरिजिनल फिल्म आने और थिएटर्स में रीमेक के रिलीज होने में उन्हीं महीनों का गैप है, जिनमें इंडियन जनता ने ओटीटी पर जमकर कंटेंट कंज्यूम किया है. शाहिद का 'जर्सी' रीमेक थिएटर्स में आया और फ्लॉप हो गया. लोगों ने दोष दिया यश की विस्फोटक फिल्म 'KGF 2' को. जैसे आज 'बेबी जॉन' के ना चलने के पीछे लोग 'पुष्पा 2' को वजह बता रहे हैं. 

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दरअसल, इंडस्ट्री ने इस बात को समझने में लंबा वक्त लगा दिया कि अब जनता 'रीमेक' शब्द से भागने लगी है. लॉकडाउन के बाद से 'बच्चन पांडे', 'सेल्फी', 'तड़प', 'शहजादा', 'थैंक गॉड' और विक्रम वेदा जैसे बड़े रीमेक पहले ही थिएटर्स में फ्लॉप हो चुके थे. मगर 2024 में अक्षय कुमार जैसे बड़े स्टार की फिल्म 'सरफिरा' फिर से जनता का मूड आजमाने निकली. ये तमिल स्टार सूर्या की उस फिल्म का रीमेक थी जो रिलीज ही सीधा ओटीटी पर हुई थी- सोरारई पोटरू. 

लॉकडाउन के वक्त ओटीटी पर सबसे ज्यादा देखी गई फिल्मों में से एक का रीमेक बनाना किसी भी लॉजिक से फायदेमंद नहीं साबित होने वाला था. क्योंकि ओटीटी पर फिल्म को अलग-अलग भाषाओं में देखने का ऑप्शन होता है और उसकी ऑडियंस लिमिटेड नहीं होती. 'सरफिरा' का हाल वही हुआ जिसकी उम्मीद थी. 

रीमेक नहीं 'एडाप्टेशन' 
'बेबी जॉन' के प्रोड्यूसर एटली को शायद फिल्म के प्रमोशंस के बीच में इस बात का एहसास हो गया था कि 'रीमेक' शब्द अब हिंदी ऑडियंस को फिल्म से दूर भगा देता है. तो उन्होंने कहना शुरू किया कि ये 'थेरी' का रीमेक नहीं, 'एडाप्टेशन' है और उन्होंने कहानी में कुछ बदलाव किए हैं. उनकी बात सच भी है, 'बेबी जॉन' के प्लॉट में 'थेरी' के मुकाबले कुछ नई चीजें भी हैं, लेकिन ये बदलाव बहुत ज्यादा नहीं हैं. फिर भी जनता ने 'बेबी जॉन' को मौक़ा ही नहीं दिया क्योंकि एक तो रीमेक शब्द इसके साथ शुरुआत में ही चिपक चुका था. ऊपर से फिल्म बनी भी बहुत खराब, जिसका सबूत तमाम रिव्यू हैं.

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ऊपर से 'थेरी' का हिंदी डब वर्जन, टीवी के हिंदी फिल्म चैनल्स पर लगातार चलती रहने वाली फिल्मों में से एक रहा है और इसकी कहानी लोगों को रट चुकी है. हिंदी डब फिल्में दिखाने वाले गोल्डमाइन के यूट्यूब चैनल पर, 'थेरी' के हिंदी डब वर्जन पर 43 मिलियन से ज्यादा व्यूज हैं. ऐसे में इस फिल्म का हिंदी रीमेक बनाना शायद ही समझदारी कही जाए. 

लॉकडाउन के बाद से बॉलीवुड में बने अधिकतर रीमेक फ्लॉप ही हुए हैं. 2024 में 'सरफिरा' और अब 'बेबी जॉन' का फेलियर शायद 2025 के लिए मेकर्स को अच्छे से ये मंत्र रटा दे कि 'रीमेक नहीं बनाना है.' 

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