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IC 814 से पहले भी कंधार हाईजैक पर बन चुकी हैं फिल्में, अब तक क्यों नहीं हुआ विवाद?

डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई और इसपर विवाद छिड़ गया. ऐसे में दो दिलचस्प सवाल उठते हैं- क्या 1999 की कंधार हाईजैकिंग पर पहले कोई फिल्म नहीं बनी? अगर बनी है तो उनपर विवाद क्यों नहीं हुआ? आइए बताते हैं इन सवालों का जवाब...

IC 814: The Kandahar Hijack (Photo: Netflix) IC 814: The Kandahar Hijack (Photo: Netflix)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST

डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई. अगले दिन से ही शो को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया. 'IC 814' को लेकर सोशल मीडिया पर जनता दो चीजों से नाराज दिखी- हाईजैकर्स के रियल नाम छुपाकर उनके हिंदू कोड-नेम दिखाए गए और शो में आतंकियों को सॉफ्ट और सेंसिटिव, जबकि भारतीय अधिकारियों को कन्फ्यूज और अपने काम में ढीला दिखाया गया. 

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विवाद इतना बढ़ गया कि 5 दिन के अंदर नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट चीफ मोनिका शेरगिल को सूचना प्रसारण मंत्रालय में जवाब देना पड़ा, शो का डिस्क्लेमर बदलना पड़ा और ये भरोसा दिलाना पड़ा कि उनका ओटीटी प्लेटफॉर्म आगे भी चीजों का ध्यान रखेगा. ऐसे में दो दिलचस्प सवाल उठते हैं- क्या 1999 की कंधार हाईजैकिंग पर पहले कोई फिल्म नहीं बनी? अगर बनी है तो उनपर विवाद क्यों नहीं हुआ? आइए बताते हैं इन सवालों का जवाब...

'IC 814' में एक सीन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

कंधार हाईजैक पर बन चुकी हैं ये फिल्में
1999 में काठमांडू, नेपाल से भारत में दिल्ली जाने के लिए निकली इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट IC 814को हाईजैक कर लिया गया. इसे कई जगह रोकते-रोकते आखिरकार कंधार ले जाया गया जहां उस समय तालिबान का राज था. भारत से कुछ अधिकारियों की टीम कंधार गई, हाईजैकर्स से नेगोशिएशन चला और भारत की जेलों में बंद 3 आतंकवादियों के बदले हाईजैक हुए प्लेन और यात्रियों को छोड़ा गया. 

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ये घटना, जिसे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल (जो खुद भी भी नेगोशिएशन टीम का हिस्सा थे) 'डिप्लोमेटिक फेलियर' बता चुके हैं, इनडायरेक्ट तरीके से कई बार फिल्मों में नजर आ चुकी है. लेकिन रियल कहानी से 'हाईजैक फ्लाइट के लोगों की जान के बदले आतंकियों को छुड़ाने की डिमांड' वाला हिस्सा ही उधार लिया जाता रहा. इस हिस्से पर आगे की कहानी फिक्शन के जरिए रची जाती रही.

'जमीन' फिल्म पोस्टर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

बॉलीवुड के बड़े डायरेक्टर्स में से एक रोहित शेट्टी ने जिस फिल्म 'जमीन' (2003) से डेब्यू किया था, वो इसी घटना से इंस्पायर थी. अजय देवगन और अभिषेक बच्चन स्टारर इस फिल्म के क्लाइमेक्स में, रिहा किए जा रहे आतंकी को हीरो दोबारा पकड़ लेते हैं. यानी जो बात रियल घटना में नहीं हुई और होती तो देश का सीना चौड़ा हो जाता, वो फिल्म ने होती हुई दिखा दी. हालांकि, फिल्म तब भी नहीं चली थी और इसी फ्लॉप की भरपाई करने के लिए रोहित ने बाद में अजय देवगन के साथ खूब फिल्में कीं.

'हाईजैक' फिल्म पोस्टर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

2008 में आई शाइनी आहूजा और ईशा देओल की 'हाईजैक' का प्लॉट भी बहुत ढीले-ढाले तरीके से IC 814 की हाईजैकिंग पर था. इसमें भी हीरो लास्ट में अकेले ही सारे आतंकियों को निपटा देता है. ये फिल्म भी कोई खास कमाल नहीं कर पाई थी. 

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2010 में आई मलयालम फिल्म 'कंधार' में, मलयालम इंडस्ट्री के आइकॉन मोहनलाल एक NSG कमांडो थे. उनकी टीम, दिल्ली में फ्यूल भरने उतरी फ्लाइट में घुसने में कामयाब हो जाती है और अंत में अंदर घुसे आतंकियों को मार देती है. हालांकि, उनका उनका एक साथी मारा जाता है, जिसके पिता के रोल में अमिताभ बच्चन ने कैमियो किया था. इस फिल्म को भी जबरदस्त नेगेटिव रिव्यू मिले और फ्लॉप हो गई. 

'कंधार' फिल्म पोस्टर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

2011 में नागार्जुन की तमिल-तेलुगू में आई फिल्म 'पायनम' में भी स्पेशल फोर्सेज की टीम फ्लाइट के अंदर घुसकर, हाईजैकर्स को मार डालती है. और एक बार फिर से 'कंधार हाईजैकिंग' से इंस्पायर फिल्म फ्लॉप हो गई. 

'पायनम' फिल्म पोस्टर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

अनुभव के शो पर क्यों हुआ विवाद 
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि IC 814 पर जो फिल्में बनीं, उनके प्लॉट का सिर्फ एक हिस्सा ही रियल घटना से इंस्पायर था. चारों फिल्मों के अंत में हाईजैकर्स मारे गए, जो सच तो नहीं था. मगर इन फिल्मों ने सच जैसा कुछ दिखाने का दावा भी नहीं किया था. ये रियल घटना से इंस्पायर एक फिक्शनल एंगल लेकर आई थीं. 

अनुभव सिन्हा की नेटफ्लिक्स सीरीज 'IC 814' का ट्रेलर ये दावा करता हुआ आया कि ये शो 'सत्य घटनाओं पर आधारित' है. शो में खास तौर पर दो किताबों का रेफरेंस दिया गया, जिसमें से एक रियल फ्लाइट के पायलट कैप्टन देवी शरण ने लिखी है और दूसरी, रियल फ्लाइट के केबिन क्रू चीफ अनिल शर्मा ने. 

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शो रिलीज होने से पहले दिए वैरायटी को दिए इंटरव्यू में अनुभव ने कहा कि उन्हें लगता था कि इस घटना के बारे में उन्हें सब पता है. लेकिन ब्रिटिश जर्नलिस्ट एड्रियन लेवी के साथ शो लिखने और इसके लिए रिसर्च करने के दौरान उन्हें लगा कि उन्हें तो कुछ नहीं मालूम था. अनुभव ने कहा, 'मुझे सच में लगता है कि (कंटेंट को) जितना ऑथेंटिक और लोकल बनाया जाए, उतना वो अपीलिंग होता है, क्योंकि ये स्वाद जनता ने कभी नहीं चखा है, मैंने जितना हो सका मैटेरियल के प्रति ईमानदार रहने की कोशिश की.' यानी रिलीज से पहले पूरी तरह ये माहौल बन गया कि 'IC 814' कंधार हाईजैक को पूरी प्रामाणिकता और तथ्यों के साथ दिखाने वाला है.

जबकि 'IC 814' का डिस्क्लेमर कहता है कि ये शो कुछ रियल घटनाओं पर आधारित एक फिक्शन है. इसमें ड्रामेटिक तरीके से दिखाने के लिए जगहों और किरदारों के नाम 'क्रिएटिवली' बदले गए हैं. और ये सीरीज 'प्रामाणिकता या ऐतिहासिक तथ्य दिखाने' का दावा नहीं करती. हालांकि, अपने शो के बीच-बीच में अनुभव असली IC 814 हाईजैकिंग की, मीडिया से बात करते पैसेंजर्स के परिवारों की रियल कैमरा फुटेज इस्तेमाल करते हैं. शो की शुरुआत के डिस्क्लेमर अक्सर जनता स्किप ही करती है और जनता में किसी फिल्म या शो को लेकर बना परसेप्शन फिल्ममेकर्स के बयानों और प्रमोशन के दौरान बने माहौल पर ज्यादा डिपेंड करता है.

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'IC 814' (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

इसलिए ये कहा जा सकता है कि ट्रेलर में 'सत्य घटनाओं पर आधारित' बताने के बाद शो में ली गई 'क्रिएटिव लिबर्टीज' ने ऑडियंस को कन्फ्यूज कर दिया. शो की शुरुआत में या बीच में कहीं, स्क्रीन पर एक राइडर के जरिए आतंकवादियों के रियल नाम बता दिए जाते तो भी विवाद बच से बचा जा सकता था. 'IC 814' को जिन दो किताबों पर आधारित बताया गया है, वो दोनों हाईजैक हुई फ्लाइट के अंदर बैठे लोगों का वर्जन हैं. इसलिए उन्होंने फ्लाइट के अंदर जो दिखाया उसे जनता ने फिर भी मान लिया. 

लेकिन क्राइसिस मैनेजमेंट टीम को जिस तरह कन्फ्यूज दिखाया गया, अगर वो सच में हुआ था तो किस किताब या जानकारी के आधार पर दिखाया गया, ये बताया जा सकता था. शो रिलीज होने के बाद IC 814 के रियल पायलट और केबिन क्रू चीफ ने भी कहा है कि शो में कुछ ऐसी चीजें दिखाई गईं जो रियल में हुई ही नहीं थीं. जबकि शो को इन्हीं दोनों की किताबों पर आधारित बताया गया है. 

इन बयानों ने भी जनता को 'IC 814' पर संदेह करने की वजह दी. अब सूचना प्रसारण मंत्रालय को जवाब देने और डिस्क्लेमर में बदलाव के बाद 'IC 814' तो नेटफ्लिक्स पर बना ही हुआ है, लेकिन अब ये देखना होगा कि शो पर विवाद अभी थमते हैं या ऐसे ही चलते रहते हैं. 

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