Advertisement

रील लाइफ की 'तरला दलाल' र‍ियल में क‍ितनी अच्छी कुक? हुमा कुरैशी ने खोले राज

दिल्ली की जन्मीं हुमा कुरैशी भले ही मुंबई में बस चुकी हैं, लेकिन खाने के मामले में उन्हें आज भी दिल्ली से बेहतर कोई ऑप्शन नहीं लगता है. हुमा इस मुलाकात में अपनी फेवरेट डिश और कुकिंग स्किल पर हमसे बातचीत करती हैं.

हुमा कुरैशी हुमा कुरैशी
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 06 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:05 PM IST

हुमा कुरैशी फिल्म तरला दलाल के किरदार में खुद को आत्मसात कर चुकी हैं. खाने व कुकिंग पर आधारित इस फिल्म की हीरोइन हुमा से हमने उनके पसंदीदा डिश और तमाम तरह की फूड स्टाइल पर बातचीत की है. इसके साथ ही हुमा ने बताया कि वो खाने में क्या-क्या बना लेती हैं. 

एक नॉन वेजिटेरियन पसंद करने वाली लड़की ने तरला फिल्म के लिए हामी कैसे भरी?
- मुझे लगता है, एक्टिंग का यही मजा है. मैं अगर खुद को ही हमेशा परदे पर उतारती रहूं, तो मैं हमेशा दिल्ली की नॉन वेजिटेरियन मुस्लिम लड़की बनी रह जाऊंगी. यही तो एक्टिंग की खूबसूरती है कि जो आप नहीं हो, वो किरदार परदे पर लेकर आ सकते हैं. मैंने इसीलिए इस प्रोफेशन को चुना भी है. 

Advertisement

दिल्ली-मुंबई के लोगों के बीच खाने को लेकर डिबेट चलती रहती है. आप पर्सनली कहां का फूड एंजॉय करती हैं?
-देखिए, दिल्ली का खाना तो वाकई दुनिया का सबसे बेहतरीन खाना है. उसमें कोई दो राय है ही नहीं. हालांकि दोनों शहरों में मैं जगल करती रहती हूं. चूंकि मुंबई अब मेरा घर बन चुका है, फिर भी दिल्ली के खाने का कोई सानी नहीं है. 

मुंबई की कोई स्पेशल डिश, जो आपको टेस्टी लगती है?
-मुझे तो यहां की स्ट्रीट फूड काफी दिलचस्प लगती है. खासकर वड़ा पाव और मिसल पाव मुझे पसंद है. हालांकि जो मराठी खाना घर पर बनता है, वो भी मुझे बहुत पसंद है. पूरनपोली, एक ऐसी टेस्टी डिश है, जो मैं हमेशा खा सकती हूं. 

आप एक रेस्त्रां परिवार से ताल्लुक रखती हैं. आप उसी कल्चर में पली-बढ़ी हैं. इस रोल में कोई मदद मिली?
-हां, काम आया. दिल्ली में पापा का रेस्त्रां बिजनेस है, तो मैं बचपन से देखती आई हूं कि कैसे खाना पकता है. गेस्ट को कैसे सर्व किया जाता है. हालांकि एक जरूरी बात यह है कि पीयूष, जो इस फिल्म के डायरेक्टर हैं, वो मुझे किचन में कंफर्टेबल देखना चाहते थे. मतलब किचन में मेरा रोजमर्रा का काम हो. वो चाहते थे कि मैं एक हाउसवाइफ की तरह सहज होकर काम करूं. सच कहूं, तो खाना बनाना मेरे लिए बहुत बड़ा टास्क है. मैं घर में भी किचन में बहुत कम जाती हूं, तो मेरे लिए यह बहुत चैलेंजिंग था. हालांकि मैंने यहां पापा से ज्यादा अपनी मां से प्रेरणा ली थी. वो जिस सहजता के साथ काम करती हैं, वो कमाल है. मैंने उन्हें ज्यादा कॉपी करने की कोशिश की है. 

Advertisement

अगर मैं जानना चाहूं कि हुमा क्या बेहतर बना लेती हैं. तो कौन सी डिश होगी?
-मैं बुद्धू बहुत अच्छा बना लेती हूं. उसमें मैं एक्सपर्ट हूं. वैसे कुछ-कुछ डिश अच्छे से पका लेती हूं. जैसे दाल, कीमा, कोरमा वो बना लेती हूं. हां, चावल, बिरियानी पकाते वक्त मुझे थोड़ा डर लगता है. चावल के पकने की समझ बिलकुल भी नहीं है. तो वो रिस्क नहीं लेती हूं. 

यह एक विडंबना है न हुमा कि एक्ट्रेस और खाने का संबंध बहुत लिमिटेड होता है. प्रोफेशन की वजह से कई तरह की चीजों से परहेज करना पड़ता है?
-हां, बिलकुल.. मैं खुद भी निजी जिंदगी में बहुत सी चीजों को अवॉइड करती हूं. जब से मैंने चीनी खाना बंद किया है, तब से खुद को ज्यादा एनर्जी से भरा पाती हूं. डबल एक्सएल फिल्म के दौरान भी जब वजन बढ़ाना था, तो उस वक्त भी मैं सबकुछ खा ले रही थी, लेकिन शुगर को बिलकुल भी हाथ नहीं लगाया था. दरअसल शुगर मेरी हेल्थ को जंचता नहीं है. इसके अलावा हर किरदार के अनुसार अपने डायट प्लान्स को बदलती रहती हूं. अगर मोनिका ओह माय डार्लिंग कर रही होती, तो उस वक्त अलग हेल्थ रिजीम था. वहीं तरला में मुझे 20 साल से 60 साल तक के किरदार में ट्रांजिशन करना था, तो वहां मैं एक खास किस्म के डायट में इनवॉल्व थी. मैं एक ऐसे मजेदार स्टेज में हूं, जहां मैं 20 साल भी कर सकती हूं और 60 साल भी आसानी से कर पाऊंगी. यह बहुत ही कूल है. 

Advertisement

फिल्म में एक फेमस डायलॉग है, 'कुछ करना है', आपकी जिंदगी का ऐसा कौन सा पल रहा था, जब आपने कुछ करना है सोचते हुए साहसिक कदम उठाया था?
- मैं कॉलेज कंपलीट करने के बाद समझ चुकी थी कि मुझे एक्ट्रेस बनना है. उस वक्त ही मेरे सामने आर-पार वाली सिचुएशन थी. या तो मैं इस सोच के साथ जिंदगी गुजार देती या फिर मैं अपने सब कंफर्ट जोन छोड़कर मुंबई चली जाती, मैंने कठिन रास्ता चुना और रिजल्ट सबके सामने है. हालांकि यह फैसला आपको अंदर तक डराता भी है, पर हिम्मत तो जुटानी पड़ती ही है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement