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'हेराफेरी 3' तो बन जाएगी लेकिन क्या बाबू भैया को न्याय मिलेगा?

पिछले कुछ महीनों में 'हेराफेरी 3' को लेकर काफी चर्चा रही है. फिल्म से अक्षय कुमार के बाहर होने और फिर वापस आने से लेकर, संजय दत्त की कास्टिंग तक ये फिल्म काफी चर्चा में रही है. अब आखिरकार फिल्म बन रही है. हमें लगता है कि 'हेराफेरी' से 'फिर हेराफेरी' तक बाबू भैया के साथ अन्याय हुआ है. कैसे? आइए बताते हैं.

'हेरा फेरी' में परेश रावल (क्रेडिट: सोशल मीडिया) 'हेरा फेरी' में परेश रावल (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
सुबोध मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 21 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

'अनहोनी को होनी करते, होनी को अनहोनी... एक जगह जब जमा हो तीनों' आनंद बक्षी ने ये लाइन वैसे तो 'अमर अकबर एंथनी' (1977) के तीनों लीड किरदारों के लिए लिखी थी. मगर वक्त, हालात और जज्बात इस बात की गवाही देते हैं कि ये लाइन 'हेराफेरी' (2000) के लीड किरदारों राजू, श्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे पर ज्यादा फिट बैठती है.  

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हिंदी कॉमेडी फिल्मों की ये आइकॉनिक तिकड़ी एक बार फिर से जनता को हंसी का फुल डोज देने के लिए तैयार है. आखिरी बार 2006 में रिलीज हुई 'फिर हेरा फेरी' में नजर आई ये तिकड़ी, 'हेराफेरी 3' में फिर से लौट रही है. पिछले कुछ महीनों में 'हेराफेरी 3' को लेकर काफी खबरें और चर्चाएं सामने आती रही हैं. अक्षय कुमार का इस सीक्वल से बाहर होना, फिर वापस लौटना, कास्ट में कार्तिक आर्यन के आने की रिपोर्ट्स और संजय दत्त का नाम कन्फर्म होने की खबरें जनता की नजरों में बनी रहीं. सारे तामझाम के बाद अब 'हेरा फेरी 3' फाइनली बन रही है.

क्रेडिट: सोशल मीडिया

अक्षय कुमार फिर से राजू और सुनील शेट्टी, श्याम के किरदार में लौट रहे हैं. परेश रावल भी एक बार फिर बाबूराव गणपत राव आप्टे उर्फ बाबू भैया बनेंगे ही, लेकिन इस किरदार का फैन होने के नाते हमें एक छोटी सी टेंशन है. और शायद बाबू भैया के तगड़े वाले फैन्स भी इस बात से सहमत होंगे. हमें लगता है कि हेरा फेरी फ्रैंचाइजी की दूसरी फिल्म 'फिर हेराफेरी' में बाबू भैया के साथ न्याय नहीं हुआ. अगर आप सोच रहे हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो आइए बाबू भैया के किरदार की डिटेल्स में चलते हैं... 

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बाबू भैया की 'ऑरिजिन स्टोरी' 
पहली 'हेरा फेरी' फिल्म को बहुत सारे लोगों ने एक बार नहीं, कई-कई बार देखा होगा. राजू (अक्षय कुमार), श्याम (सुनील शेट्टी) और बाबू भैया (परेश रावल) के किरदार पहली बार इसी फिल्म में मिले थे. 'हेरा फेरी' में बाबू भैया की पूरी कहानी है. अपने जिस घर में बाबू भैया ने राजू और श्याम को पनाह दी, वो घर और गैराज उनके पिता ने बहुत कड़ी मेहनत से बनाया था. लेकिन बाबू भैया की मां के बीमार पड़ने पर काफी कर्ज हो गया, जिसे चुकाते चुकाते उनके पिता का निधन हो गया.

बाबू भैया को विरासत में जर्जर होते पुराने घर और अब ग्राहकों को तरसते स्टार गैराज के साथ, पिता का लिया कर्ज भी मिला. 'हेरा फेरी' में हम कर्ज देने वालों को बाबू भैया के घर के बाहर खड़ा होकर कर्ज चुकाने के लिए तकादा करते भी देखते हैं. राजू और श्याम अपनी बेरोजगारी से परेशान लड़के थे और पैसे कमाकर जिंदगी अच्छी बनाना चाहते थे. बाबू भैया का सपना ये था कि वो अपने पिता पर चढ़े कर्ज की पाई-पाई चुकाने के बाद, अपने घर के बाहर कुर्सी डालकर, बिना गर्दन झुकाए बैठना चाहते थे. भले ऐसा सिर्फ एक ही दिन के लिए हो.

क्रेडिट: सोशल मीडिया

इस बैकस्टोरी के साथ दर्शकों को ये यकीन करने की पक्की वजह मिल जाती है कि एक शरीफ सा दिखने वाला आदमी, राजू के उस घिनौने से प्लान में शामिल हो सकता है, जो एक बच्ची को किडनैपिंग से छुड़ाने के लिए दी जा रही फिरौती में कमीशन खाने जैसा है. ये 'ऑरिजिन स्टोरी' न हो तो 'हेरा फेरी' में बाबू राव से पहली मुलाकात में दर्शक बिल्कुल भी नहीं सोच सकते कि वो नैतिकता के लेवल पर इतना भ्रष्ट काम कर सकता है. 

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एक सुपर स्मार्ट किरदार- बाबू राव 
'हेरा फेरी' उस दौर की फिल्म है जब भारत में इंटरनेट आज की तरह हर हाथ-हर घर में नहीं था. मगर आज इंटरनेट के संसार में सांस ले रही आबादी में, बहुसंख्यकों का दर्जा रखने वाले 'मीम-कार समुदाय' में बाबू राव गणपत राव आप्टे की पॉपुलैरिटी अप्रतिम है. पूरी 'हेरा फेरी' फ्रैंचाइजी से लोगों ने जितने मीम्स बनाए हैं, उनमें सबसे ज्यादा बाबू भैया पर बने हैं. ऐसा दावा एक 'इंटरनेशनल सर्वे' में नहीं किया गया है, मगर पिछले कई सालों से मीम की दुनिया में दिलचस्पी रखने से ये फीलिंग जरूर आती है! 

बाबू भैया की इस पॉपुलैरिटी का सबसे बड़ा कारण है उनकी हाजिरजवाबी और किसी भी सिचुएशन में चौकस रहना. इस बात को समझने के लिए पहली 'हेरा फेरी' फिल्म में उनके पहले सीक्वेंस से शुरू कर सकते हैं. 'देवी प्रसाद' को पूछते लोगों के कॉल आने पर बाबू भैया का रिस्पॉन्स याद कीजिए. पहले कॉलर को वो इतना कहकर निपटा देते हैं कि नंबर देखकर डायल कर. लेकिन दूसरा कॉल आते ही उनके अंदर का धारदार व्यंग्यकार जाग जाता है. इस बार वो देवी प्रसाद को पूछ रहे व्यक्ति से कहते हैं- 'वो तो 10 मिनट पहले ही चल बसे!'

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रहने का ठिकाना खोज रहे श्याम को, बाबू भैया 3000 रुपये किराया बताते हैं. मजबूरी गिनाते श्याम से वो 'एक टाइम पीने का इंतजाम' यानी 200 रुपये में मामला फाइनल करते हैं. लेकिन किराया लेते जरूर हैं क्योंकि उन्होंने 'किराया नहीं लिया तो कल को वो समझेगा कि मकान का मालिक वही है!' ये याद रखना जरूरी है कि 'मोहिनी थिएटर' वाले ने किराया नहीं दिया तो बाबू भैया ने उनका सामान ही रखवा लिया था. श्याम का साइन किया हुआ ब्लैंक पेपर अनुराधा को देने के बाद, राजू को पड़ा 'बाबू राव का स्टाइल' वाला झन्नाटेदार थप्पड़ तो आपको याद ही होगा.    

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अगर अब भी आपको बाबू भैया की स्मार्टनेस पर शक है तो 'हेरा फेरी' से कुछ और फैक्ट्स देखिए- डबल एम ए कर चुके श्याम और खुद को चालाकी का पहाड़ समझने वाले राजू के होते हुए भी, बाबू भैया ने सबसे पहले ये गुत्थी सुलझाई कि देवी प्रसाद को पूछते लोग, उन्हें क्यों कॉल करते हैं. क्योंकि टेलीफोन डायरेक्टरी में स्टार फिशरीज और स्टार गैराज के नंबर अलटी-पलटी होकर छपे हैं! 

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पहला प्लान फेल होने के बाद, दूसरी बार 'बाजीगर' जैसे हैट और मास्क वाले कॉस्टयूम पहनकर जाने का आईडिया बाबू भैया का ही था. देवी प्रसाद से मिली फिरौती को कबीर के साथ एक्सचेंज करते वक्त जब पुलिस और खड़ग सिंह रायता फैला देते हैं, तो बाबू भैया ही सबसे एक्टिव होकर कहते हैं कि पैसे अभी ही बांट लेना ठीक रहेगा. राजू ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया और अंत में मामला बिगड़ ही गया! और 'हेरा फेरी' के एकदम अंत में जब देवी प्रसाद पुलिस के चंगुल से तीनों को बचा लेते हैं तो सबसे पहले बाबू भैया ही पुलिस से हथकड़ी खोलने को कहते हैं.  

'फिर हेरा फेरी' में हुआ अन्याय!
फ्रैंचाइजी दूसरी फिल्म की शुरुआत में नाना पाटेकर की आवाज में नैरेशन सुनाई देता है. बताया जाता है कि पैसा आने के बाद राजू ने अपनी मां को खो दिया और श्याम की लव इंटरेस्ट अनुराधा एक एक्सीडेंट में चल बसी. बाबू भैया के बारे में आप सुनते हैं- 'उनके पास खोने को कुछ नहीं था, तो उन्होंने अपना दिमाग खो दिया.' हमारी राय में ये बाबू भैया के साथ अन्याय था. राजू और श्याम के पुरानी संपत्ति भले कुछ नहीं थी, लेकिन बाबू भैया के पास खोने को अपना पुश्तैनी घर और स्टार गैराज था. 

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हमने अभी ऊपर ही बताया है कि कैसे बाबू भैया पहली फिल्म में बहुत स्मार्ट थे. लेकिन दूसरी फिल्म में इस किरदार को बहुत बेवकूफी भरा दिखाने की कोशिश की गई. एक सीन में तो बाबू भैया स्वीमिंग पूल से लोटा भर-भर के, बाहर बैठकर नहा रहे हैं. जबकि पहली ही फिल्म के एक गाने में बाबू भैया ख़्वाब देखते हुए राजू और श्याम के साथ विदेश में वाटर राइड और पूल के मजे लेते दिखे थे.

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'हेरा फेरी' के डायरेक्टर प्रियदर्शन थे और राइटर नीरज वोरा. 'फिर हेरा फेरी' को प्रियदर्शन ने डायरेक्ट करने से इनकार किया तो इस बार डायरेक्टर भी नीरज वोरा को ही बना दिया गया. बॉलीवुड से ऐसे किस्से भी खूब सुनने को मिलते हैं जब फाइनल फिल्म डायरेक्टर या राइटर से ज्यादा प्रोड्यूसर की राय के हिसाब से बनकर निकली. 'फिर हेरा फेरी' किसका फाइनल प्रोडक्ट था, पता नहीं. मगर पहली फिल्म में जनता को अपनी चौकसी से इम्प्रेस करने वाले बाबू राव को, दूसरी फिल्म में 'सीक्रेट' का 'सिगरेट' सुनाई देना बेहद निचले स्तर का ह्यूमर था.

'फिर हेरा फेरी' में बाबू राव का किरदार इस तरह लिखा गया था कि वो पहली फिल्म के अपने बेस्ट मोमेंट्स को ही दोहराता दिख रहा था. बाबू भैया ने 'हेरा फेरी' में सिर्फ एक जगह अपनी आवाज पतली करते हुए राजो को 'तू जा रे' कहा था. मगर दूसरी फिल्म में उनका किरदार पूरी स्टोरी में इसी अंदाज में बोलता दिखा. 

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बदलते डायरेक्टर, बदलते अंदाज 

नीरज वोरा अब हमारे बीच नहीं हैं. अक्टूबर 2016 में एक हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के बाद वो काई महीने कोमा में थे और दिसंबर 2017 में उन्होंने आखिरी सांस ली. रिपोर्ट्स में सामने आया कि ये सब होने से पहले नीरज 'हेरा फेरी 3' की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे. 'हेरा फेरी 3' के डायरेक्टर अब फरहाद सामजी हैं और स्क्रिप्ट में, कहानी में क्या कुछ है ये अभी किसी को नहीं पता. लेकिन उधर ट्विटर पर अभी से फरहाद को लेकर जनता बिफरी पड़ी है. फरहाद ने 'हाउसफुल' फ्रैंचाइजी में तीसरी और चौथी फिल्में डायरेक्ट की हैं. उन्होंने अक्षय की ही 'बच्चन पांडे' भी डायरेक्ट की हैं.

फरहाद का ओटीटी शो 'पॉप कौन?' भी हाल ही में रिलीज हुआ है. उनकी लिखी और डायरेक्ट की हुई फिल्मों को दर्शकों और क्रिटिक्स ने कुछ खास नहीं माना है. 'हाउसफुल 3' और 'हाउसफुल 4' भले बॉक्स ऑफिस पर ठीकठाक चली हों, मगर 2022 में उनके डायरेक्शन में बनी 'बच्चन पांडे' बुरी तरह फ्लॉप थी. उनका कॉमेडी स्टाइल भी लोगों को कुछ खास नहीं पसंद आता. फरहाद की फिल्मों में कॉमेडी सिचुएशन मजेदार होने से नहीं निकलती, बल्कि किरदार बेवकूफाना हरकतें करते ज्यादा दिखते हैं.

क्रेडिट: सोशल मीडिया

आज के दौर में जब तमाम स्टैंड अप कॉमेडियन्स एक से बढ़कर एक एक्ट ला रहे हैं और सिचुएशनल कॉमेडी का सीन शानदार होता जा रहा है, तब फरहाद की कॉमेडी किरदारों के अपीयरेंस पर ज्यादा डिपेंड करती है. सर्कस के जोकर की तरह हरकतें करते किरदारों में अपने फेवरेट एक्टर्स को देखना किसी भी सिनेमा दर्शक के लिए एक अच्छा अनुभव नहीं होता, जब तक कि किरदार ही जोकर का न हो! 

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'हेरा फेरी' के बाद 'फिर हेराफेरी' में फिल्म के लीड किरदारों, खासकर बाबू भैया को लिखने और प्रेजेंट करने में बहुत हल्कापन नजर आया. अब शायद डिटेल में पढ़ने के बाद आप के मन में भी यही सवाल उठेगा कि 'हेरा फेरी 3' में बाबू भैया के साथ न्याय होगा या नहीं? 

 

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