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'छावा के टॉर्चर सीन में दर्द कम दिखाया गया, असली दर्द लोगों से बर्दाश्त नहीं होता' बोले विनीत

एक्टर विनीत कुमार सिंह जिन्होंने छावा में कवि कलश का किरदार निभाया था, हाल ही में एक इंटरव्यू में फिल्म में दिखाए गए टॉर्चर सीन्स पर बात करते हैं. उन्होंने कहा है कि फिल्म में जो टॉर्चर सीन दिखाए गए हैं उसे थोड़ा कम असरदार और क्रूर बनाया गया है.

छावा, विनीत कुमार सिंह छावा, विनीत कुमार सिंह
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 6:30 AM IST

विक्की कौशल, रश्मिका मंदाना और अक्षय खन्ना स्टारर फिल्म 'छावा' हर किसी के दिल पर राज कर रही है. फिल्म की कहानी जिस तरह से लोगों की भावनाओं को छू रही है उसे देखकर हर कोई दंग है. लेकिन इन सबके बीच एक और एक्टर तारीफें लूट रहा है जिसने फिल्म में अपने किरदार से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया है. एक्टर विनीत कुमार सिंह इन दिनों अपने किरदार 'कवि कलश' के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं.

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'छावा' में टॉर्चर सीन्स को दिखाया गया कम असरदार

लोग उन्हें हर जगह पहचान रहे हैं और उनके काम की सराहना कर रहे हैं. फिल्म के क्लाइमैक्स में जिस तरह विक्की और विनीत के किरदार की जुगलबंदी दिखाई जाती है वो देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई हैं. अब एक इंटरव्यू में भी विनीत ने अपने किरदार को मिल रहे प्यार पर बात की है. साथ ही उन्होंने फिल्म में दिखाए गए सीन्स पर भी बात की. विनीत ने छावा में दिखाए गए अत्याचार वाले सीन्स पर कमेंट किया है.

उनका मानना है कि फिल्म के मेकर्स ने उन सीन्स को हकीकत के मुकाबले कम असरदार और भयानक दिखाया है. एक्टर ने कहा, 'फिल्म का शूट शुरू करने से पहले मैं संभाजी महाराज और कवि कलश के समाधी स्थल पर गया था. मैंने वहां आधा दिन गुजारा. मैं उनकी समाधी के पास ही बहुत वक्त तक बैठा था. मैंने वहां बहुत लोगों से बातें की, कुछ पुराने लोग जो वहां काफी समय से रह रहे थे. उन्होंने मुझे कई सारी कहानियां सुनाई.'

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'तो जो अत्याचार उस दौरान होता था, लोगों ने छावा में उसका सिर्फ एक हिस्सा देखा है और वो भी थोड़ा कम ही दिखाया गया. एक महीने से ज्यादा वक्त तक आप किसी के साथ अत्याचार कर रहे हो, अगर आप उसको शूट करोगे तो आप समझ रहे हो आपको क्या देखने को मिलेगा? मैं एक डॉक्टर रहा हूं और मैंने लोगों को बहुत गंभीर एक्सीडेंट के बाद इमरजेंसी वार्ड में आते देखा है. जब हम उनके घाव पर एंटीसेप्टिक लगाते हैं, लोग बाप-बाप चिल्लाते हैं, नानी याद आ जाती है. एक फ्रैक्चर ठीक करने में लोग दर्द के मारे चीखने लगते हैं.'

स्क्रिप्ट को हां करने के बाद सिर्फ डायरेक्टर की सुनते हैं विनीत

विनीत का आगे कहना है कि वो जब फिल्म साइन कर लेते हैं तब सिर्फ डायरेक्टर की सुनते हैं. वो अपने पास से सिर्फ थोड़ा सा ही सीन में इम्प्रोवाइज करते हैं. 'छावा में आप देखो, खुले घावों पर नमक रगड़ा जा रहा है. आप जाइए और लोगों से मिलिए वो आपको ऐसी कई सारी कहानियां सुनाएंगे. मैं गया था वहां फिल्म शुरू होने से पहले उनका आशीर्वाद लेने. बतौर एक्टर एक बार स्क्रिप्ट सुनने के बाद अगर मैं डायरेक्टर को हां बोल देता हूं, तब मैं सिर्फ उसकी सुनता हूं. फिर मैं सिर्फ कुछ हद तक जो लिखा है उसे इम्प्रोवाइज करता हूं.'

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'छावा' के आखिरी कुछ 30 मिनट में ऑडियंस को जो देखने मिलता है वो आमतौर पर बड़े पर्दे पर दिखाया जाना आसान नहीं होता. जिस तरह से डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने फिल्म में औरंगजेब द्वारा संभाजी महाराज पर हुए अत्याचार को दिखाया. उसे देखकर हर कोई अपनी नजरें छुपा चुका था. विनीत कुमार सिंह का कहना कुछ हद तक इस बात पर भी ध्यान डाल रहा है कि अगर 'छावा' में टॉर्चर वाले सीन्स थोड़े और क्रूर तरीके से दिखाए जाते, तो शायद लोग उसे देख नहीं पाते. 

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