
भाई-बहन के रिश्ते पर बने सबसे प्यारे गानों में से एक 'फूलों का तारों का सबका कहना है.' हिंदी सिनेमा में हिप्पी कल्चर का एंथम बन जाने जाने वाला 'दम मारो दम'. एक ऐसा फीमेल कैरेक्टर जिसने हिंदी फिल्मों की हिरोइन को कूल और स्टाइलिश बना दिया और इसे निभाने वालीं जीनत अमान. सिनेमा लेजेंड देव आनंद ने एक ही फिल्म से ये तीनों कमाल की चीजें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को दीं.
1971 में देव साहब की 'हरे रामा हरे कृष्णा' थिएटर्स में रिलीज हुई तो थिएटर्स में बहुत सारे लोग इसके गानों से हमेशा के लिए प्यार में पड़ गए. लेकिन बहुत सारे लोग इस बात से खफा भी थे कि उन्होंने स्क्रीन पर एक ऐसी हिरोइन दिखा दी, जिसका फैशन, स्टाइल और लहजा सबकुछ बहुए वेस्टर्न है. ऊपर से वो नशे में धुत रहती है. लेकिन इस रोल को निभाने वाली जीनत अमान ऐसी पॉपुलर हुईं कि आने वाले सालों में वो इंडस्ट्री की लीडिंग एक्ट्रेस बन गईं. ऐसा कहा जाता है कि किरदार ये पहली चीज था, जहां से देव आनंद ने 'हरे रामा हरे कृष्णा' फिल्म का आईडिया शुरू किया था.
रियल लड़की को देखकर बना था जेनिस का किरदार
जीनत अमान ने जेनिस का जो किरदार निभाया, कहा जाता है कि उसका आईडिया देव साहब को असल जिंदगी में सिगरेट पी रही एक हिप्पी लड़की को देखकर आया था. किस्सों में बताया जाता है कि देव आनंद अपनी फिल्म 'प्रेम पुजारी' के लिए नेपाल में काठमांडू पहुंचे थे. जहां उन्होंने एक हिप्पी लड़की को देखा, जो विदेशियों के बीच थी, लेकिन देखने में विदेशी कतई नहीं लग रही थी.
देव साहब ने इस लड़की से मुलाकात की तो पता चला कि उसका असली नाम जसबीर है, मगर उसे लोग जेनिस के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि लड़की असल में अपने घर से भाग कर वहां आई थी इसलिए वो अपनी पहचान छुपाती थी. बस, यहीं से देव साहब को अपनी अगली फिल्म के लिए कहानी मिली और उन्होंने तय किया कि ये किरदार उनकी फिल्म का सेन्ट्रल कैरेक्टर बनेगा.
इसी फिल्म का नाम रखा गया 'हरे रामा हरे कृष्णा'. लेकिन अगली बड़ी मुश्किल ये थी कि 70 के दशक में ऐसा बोल्ड और वेस्टर्न किरदार निभाने के लिए राजी कौन होगा. ऊपर से देव साहब को जेनिस के रोल में एक ऐसी एक्ट्रेस चाहिए थी जो दिखे तो भारतीय, मगर रहन सहन वेस्टर्न हो.
देव आनंद की बहन बनने को नहीं राजी थीं एक्ट्रेसेज
'हरे रामा हरे कृष्णा' में जेनिस का किरदार निभाना एक चैलेंज तो था ही. एक तरफ इस वेस्टर्न और बोल्ड रोल को निभाने के बाद जनता से बुरा रिएक्शन मिल सकता था. दूसरी तरफ सबसे बड़ी टेंशन ये थी कि स्क्रीन पर देव आनंद की बहन बनना था. ट्रेडिशनल सोच पर चल रही फिल्म इंडस्ट्री में इसका सीधा मतलब ये था कि फिर एक्ट्रेस को ऐसे ही किरदार ऑफर होने लगेंगे.
बताया जाता है कि देव साहब ने पहले ये किरदार मुमताज को ऑफर किया. लेकिन उन्होंने प्रशांत (देव आनंद) की बहन का किरदार निभाने की बजाय, उसकी लव इंटरेस्ट शांति का किरदार निभाने में दिलचस्पी दिखाई. लोग उन्हें कहते रहे कि कहानी भाई-बहन की है और जेनिस का रोल ज्यादा बड़ा है, लेकिन मुमताज नहीं मानीं.
मुमताज के बाद ये किरदार जहीदा को ऑफर किया गया, जिन्हें देव आनंद की खोज भी कहा जाता था. लेकिन बताया जाता है कि उन्हें भी करियर की शुरुआत में हीरो की बहन का किरदार निभाना अच्छा आईडिया नहीं लगा. कास्टिंग के इस फेर में फंसे देव साहब एक पार्टी में गए जहां उन्होंने जीनत अमान को देखा. बाद के एक इंटरव्यू में जीनत ने बताया कि उन्होंने पार्टी में मिनी स्कर्ट के साथ बूट्स पहने थे और स्मोक कर रही थीं. उनका एटीट्यूड देखकर देव साहब को लगा कि उन्हें उनकी जेनिस मिल गई.
जीनत ने बताया कि उनकी हिंदी भी बहुत खराब थी इसलिए देव आनंद ने उनका स्क्रीन टेस्ट इंग्लिश में ही लिया था. फिल्म के लिए फाइनल होने के बाद जीनत ने अपनी हिंदी पर काम किया और फिल्म शूट की. 'हरे रामा हरे कृष्णा' से पहले भी जीनत तीन फिल्मों में काम कर चुकी थीं, लेकिन जेनिस के किरदार ने उन्हें एक तरह से लॉन्च कर दिया. 'दम मारो दम' गाना जीनत की पहचान बन गया और यहां से उनके करियर ने जो रफ्तार पकड़ी, वो 15 साल जोरदार बनी रही.