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Exclusive: 'मैं अपने हनीमून फेज में हूं', बोलीं पूजा भट्ट, बताया एल्विश के साथ अब कैसा है रिश्ता

आजतक से पूजा भट्ट ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस बातचीत में पूजा भट्ट ने बताया कि उन्होंने 'बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ' सीरीज को क्यों चुना, उनकी फिल्म 'सना' भारत में कब रिलीज होगी और साथ ही उन्होंने बिग बॉस ओटीटी 2 फेम एल्विश यादव और उनके विवादों को लेकर भी बात की.

पूजा भट्ट पूजा भट्ट
पल्लवी
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST

पूजा भट्ट बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेसेज में से एक हैं. उनकी नई सीरीज 'बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ' इस हफ्ते अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है. इस सीरीज में पूजा भट्ट को एक गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल की सख्त प्रिंसिपल के रोल में देखा जा रहा है. पूजा अपनी परफॉरमेंस के लिए खूब तारीफें बटोर रही हैं. इस बीच उन्होंने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस बातचीत में पूजा भट्ट ने बताया कि उन्होंने 'बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ' सीरीज को क्यों चुना, उनकी फिल्म 'सना' भारत में कब रिलीज होगी और साथ ही उन्होंने बिग बॉस ओटीटी 2 फेम एल्विश यादव और उनके विवादों को लेकर भी बात की.

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कैसा लगा नए टैलेंट के साथ काम करके?

जी देखिए, मेरी फितरत में ये हैं, भट्ट साहब ने मुझे हमेशा से कहा था कि इंडस्ट्री में सिर्फ नए लोगों की नहीं नए नजरिए की जरूरत है. मुझे लगता है कि ये बहुत जरूरी है. एक बार आप टाइपकास्ट हो जाते हैं, फिर लोग आपको किसी दूसरे रोल में देखते ही नहीं हैं, जबतक कोई आपको नए रोल में पेश करता है. लोग नए लोगों के बारे में बात करते हैं, लेकिन नए लोगों को इतना चांस नहीं मिलता है, क्योंकि लोगों के पास इतना समय नहीं हैं कि वो नए लोगों को ट्रेन्ड कर पाएं. वो कोशिश करते हैं कि आप सीख लें पहले और फिर हम काम शुरू करें. लेकिन इस शो के लिए उन्होंने 4000 लड़कियों के ऑडिशन लिए थे. इतने सारे लोगों में से एक उन्होंने अलग-अलग लड़कियों को चुना है. एक लड़की है वो पुणे की है, एक अमृतसर की है. वो कूकी कटर चीज नहीं की गई है कि आप यहां आओ और फिर सबको एक ही लुक और आदतें दें. हर एक की अपनी पर्सनैलिटी अपनी खासियत है, जो राइटर ने, डायरेक्टर ने जोड़कर आपके सामने पेश किया है.

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ये जो दुनिया है गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल, ये किसी ने एक्सप्लोर नहीं की है. ये सारे जो मेकर्स हैं न सुधांशु (सरिया), नित्या (मेहरा) ये सब बोर्डिंग स्कूल के बच्चे हैं. उनके लिए बहुत पर्सनल जर्नी है ये. ये उनकी दुनिया है, जिससे वो बने है और उसी को वो पर्दे पर उतारना चाहते थे. और उसके अलावा वो जानते थे कि जिस एज ग्रुप के बारे में आप बात कर रहे हैं, जिनके दिल में आप जा रहे हैं, उसे बहुत जिम्मेदारी के साथ निभाना होता है. शो की अप्रोच छोटी नहीं है. नॉर्मली जो होता है कि लोग शॉक वैल्यू के लिए टीनएजर्स को ज्यादा सेक्शुअल करते हैं या फिर उन्हें बेवकूफ दिखाते हैं. लेकिन एक आज की भाषा में उन्हें दिखाना कि हां हमारे बच्चे ऐसा सोचते हैं, ये सब महसूस करते हैं, उनके स्ट्रगल ये होते हैं. कोई अपनी फैमिली को लेकर परेशान होता है, कोई अपनी सेक्शुअलिटी को लेकर स्ट्रगल करता है, किसी के सपने अलग होते हैं. आखिरी बात ये है कि आपको अपने जैसा होना चाहिए. 

मैं बहुत खुश हूं कि ऐसी जर्नी के साथ मैं जुड़ पा रही हूं, जिसमें मेकर्स का नजरिया अलग है. वो अपनी ऑथेनिक जिंदगी आपके साथ शेयर कर रहे हैं. 

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आप मानती हैं कि इंडस्ट्री में नेपोटिज्म है?

देखिए नेपोटिज्म जो चीज है न ये बहुत थकी हुई बातचीत हो गया है. हम इस चीज में एक बहुत जरूरी बात को भूल रहे हैं और वो है ऑडियंस. ऑडियंस आपको बनाती है और फिर आपको तोड़ देती है. जब आपके परफॉरमेंस लोगों को नहीं छूएंगे लोगों को तो लोग आपको रिजेक्ट करेंगे. आसान होता है लोगों का बोलना कि मुझे चांस नहीं मिल रहा है. मुश्किल होता है लोगों को बोलना कि नहीं शायद मेरे अंदर बात नहीं है इसलिये चांस नहीं मिल रहा है. किसी और को ब्लेम करना बहुत आसान होता है.

अंत में हमको कैमरा के सामने अपना कमाल दिखाना पड़ता है और कैमरा जो है न झूठ नहीं बोलता है. पकड़ लेता है आपको. ये ऑडियंस के साथ सही नहीं है. ऑडियंस आपको तभी स्वीकार करेगी जब आपके अंदर कोई नई बात है. वरना नहीं स्वीकार कर पाएंगे. बहुत सारी फिल्में बनी हैं, जो लोग जाते ही नहीं हैं देखने. और ऐसी फिल्में भी होती है जो अंडरडॉग हैं चल जाती हैं इंडस्ट्री में. इंडस्ट्री वाले कहते हैं कि नहीं चलेगी. पर वो चल जाती है. ये कहता है कि ऑडियंस इंडस्ट्री के लोगों से कहीं आगे है, क्योंकि एक्सपोजर इतना हो गया है. एक बटन दबाकर आप कहीं के भी शो देख सकते हैं. एक जमाने में नहीं था हमारे पास इतना एक्सपोजर.

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मेरी तो पैदाइश हमारे ओटीटी से हुई...

आज ही कोई मुझसे पूछ रहा था कि ओटीटी... मैंने कहा मेरी तो पैदाइश हमारे ओटीटी से हुई न दूरदर्शन. उस जमाने में तो दूरदर्शन ही ओटीटी था. जो हर किसी के घर में बजता था, कुछ भी हो जाए. तो वो एक डिजाइन था भट्ट साहब का. जब उन्होंने डैडी बनाई कि एक लड़की जो अपने पिता की शराब छुड़वाती है. तो मैं चाहूंगा कि ये भारत के हर घर में जाए. उसे ऑडियंस तक दूरदर्शन ने ही तो पहुंचाया. अगर आप मुझे कहते कि पब्लिक स्पेस में सारी मूवी हटा दो और बस दो रखो तो मैं डैडी को रखती और जख्म हो रखती. क्योंकि मुझे लगता है कि ये फिल्में एक एक्टर के तौर पर ही नहीं बल्कि एक औरत के रूप में जरूरी हैं. ये कहानियां हिंदुस्तान के साथ जुड़ी हुई हैं.

49 साल की मह‍िला को 49 साल का किरदार मिलना बड़ी बात 

मैं अपनी जिंदगी में उस मुकाम पर हूं जहां मेरे कोई गोल नहीं हैं. मैं किसी और को कुछ साबित नहीं करना है सिर्फ अपने आप को और मेरी ऑडियंस को जो मुझे 34 सालों से इतना प्यार दे रही है. अगर लोग मुझसे पूछते थे जब मैंने 21 सालों तक खुद को पर्दे से दूर रखा, कि मैं बस हो गया अब मुझे बस फिल्ममेकर रहना है. फिर अलंकृता मेरी जिंदगी में आई और उसने मुझे बॉम्बे बेगम्स दिया. अरे वाह, मुझे एक 49 साल की महिला का रोल करने को मिल रहा है जबकि मैं खुद 49 साल की हूं. मुझे कैमरा के सामने होना पसंद है. मुझे एक औरत और आर्टिस्ट के रूप में फ्री महसूस होता है और मुझे लगता है कि यूथ ऑबसेसेड इंडस्ट्री में आप अपनी उम्र की महिला का किरदार निभा रहे हो ये बहुत ही बड़ी बात है.

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जब बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ मेरे पास आया तो मैंने सोचा था अरे वाह. उस स्कूल में अलग अलग लड़कियां आ रही हैं हिंदुस्तान से. उनके बैकग्राउंड अलग हैं, उनके घर के हालत अलग हैं. वो वहां आकर वो अडल्ट बनती हैं. क्योंकि वहां जो रूल्स चलते हैं वो हर जगह नहीं चलते.

मैं तो बंबई में बड़ी हुई हूं. बंबई में जब मैं बड़ी हो रही थी तो हम एक दूसरे को पूछते नहीं थे कि आपकी फैमिली में कितने पैसे हैं. आपका धर्म और जात क्या है. मैं बांद्रा की लड़की हूं, जहां सब बराबर थे. आपकी समझदारी आपको आगे बढ़ाती थी, आपका मजाकिया अंदाज, आप एक इंसान के रूप में कितने कूल हैं उससे आप आगे बढ़ते थे. इस बात से नहीं कि कौन सा डिजाइनर टैग पहन रहे हैं. असल में पैसे दिखाने वाले लोगों को बुरा माना जाता था कि अपने पैसे आप अपनी पीछे की जेब में रखें. ये यहां नहीं रहेगा. तो ऐसे माहौल में मैं बड़ी हुई हूं. मैं एक पारसी स्कूल में गई थी, जहां पर बैग पर लिखा होता था- ‘काम ही पूजा है’. वो है मेरा मंत्रा. 

बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ का सीजन 2 भी आएगा?

मैं उम्मीद करती हूं कि शो का सीजन 2 आए. लेकिन ये बात ऑडियंस पर निर्भर करती है. मैं नित्या (मेहरा) से बात कर रही थी. हमने एक बच्चा दुनिया को दे दिया है. अब वो चलना सीखता है या फिर जाता है, ये हमारे कंट्रोल में नहीं है. ये अब हमारा नहीं रहा है. मैं इसकी उम्मीद कर रही हूं क्योंकि मुझे इन सभी लोगों के साथ दोबारा काम करने में खुशी होगी. ऊटी मेरा सबसे फेवरेट लोकेशन है. मैंने बतौर एक्टर जब शुरू की थी, उस जमाने में हम कश्मीर तो जाते नहीं थे. तो ऊटी हमारे लिए एक इग्जॉटिक लोकेशन हुआ करती थी. सड़क, दिल है के मानता नहीं, आसमान, आशिकी सारी भट्ट मूवीज वहीं शूट हुई है. मैं 2022 के नंवबर या दिसंबर में बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ की शूटिंग कर रही थी और मैं बाहर आई. किसी फैन ने मुझे फोटो भेजा था कि मैम सड़क के 33-34 साल हो गए हैं. और मैंने सोचा कि यार क्या बात है मैंने 19 साल की उम्र में सड़क यहां शूट की थी और अब 50 की उम्र में मैं यहां वापस गई. तो वो बहुत अच्छा पल था. मैं बहुत लकी हूं कि मुझे ऐसे स्ट्रॉन्ग रोल्स मिल रहे हैं. उम्मीद करती हूं कि मुझे आगे भी ये मिलते रहें.

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मेरा हनीमून फेज चल रहा है, क्यों बोलीं पूजा? 

मैं अपने हनीमून फेज में हूं और इसे एन्जॉय कर रही हूं. एक्टिंग मेरा हनीमून फेज है. कोई टेंशन नहीं है सेट पर आ जाओ, डायलॉग्स कहां हैं. लाइंस रटो, जैसे स्कूल में हो, मजे करो यार. फिर जाकर कैमरा के सामने खुल जाओ. इमोशनली खुद को दिखाओ और फिर घर आ जाओ. बढ़िया है. ये बहुत अच्छा फेज है. मैं इसे बहुत एन्जॉय कर रही हूं.

सना फिल्म कब रिलीज होगी, काम का अनुभव कैसा रहा?

सना को अभी इटली में प्रीमियर किया गया था. ये नेशनल पेनोरामा के लिए चुनी गई थी, जो सना जैसी फिल्म के लिए बहुत बड़ी बात है. सना बहुत ही पर्सनल फिल्म है. ये एक यंग-चुलबुल कॉर्पोरेट में काम करने वाली लड़की की कहानी है. राधिका मदान ने सना में जो परफॉरमेंस दी है वो कमाल है. उसने इमोशनल नेकेड परफॉरमेंस दी है. उनकी उम्र में ऐसा काम इतनी ईमानदारी के साथ करना बड़ी बात है. मैंने जब स्क्रिप्ट देखी, सुधांशु (सरिया) ने मुझे स्क्रिप्ट भेजी थी. उसे लगा होगा कि मैं पूजा भट्ट के साथ चांस ले रहा हूं, पता नहीं वो करेगी भी नहीं. पर मुझे स्क्रिप्ट इतनी अच्छी लगी, कहानी इतनी पसंद आई कि मैंने कहा कि मुझे इस फिल्म के साथ जोड़ना है अपने आप को. मेरा दो दिन का रोल था उसमें. मेरा काम दो दिन में खत्म हो गया. लेकिन वो इतना बढ़िया एक्सपीरिएंस था. 

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बिग बॉस का हिस्सा बनकर आपको मजा आया? क्या आप किसी और शो में जाने के बारे में सोच रही हैं.

हां मुझे मजा आया क्योंकि ये बहुत अलग एक्सपीरिएंस था. एकदम अलग माइंडसेट, एकदम अलग फ्रीक्वेन्सी और उस फ्रीक्वेन्सी में अपने आप को अपने पास रखना और खो ना जाना बहुत जरूरी होता. क्योंकि क्या होता है कि जब आप दुनिया से कट जाते हो तो आप अपने दोस्तों से परिवार से एक पल पीछे जाकर पूछ नहीं सकते हो कि यार मैं सही लाइन पर हूं या नहीं. आप उस मोमेंट में है, आपके आसपास 222 कैमरा है तो आप छुप नहीं सकते हो. तो वो शो आपको रिवील करता है. वो शो आपको कुछ और बनाता नहीं है. जो अंदर है न वो निकलता है वहां पर. मेरे लिए खुद को न खोना जरूरी था. मैं कुछ भी करने को तैयार हूं अगर मेरा दिल कहता है तो. मैंने प्लान नहीं किया था कि मैं बिग बॉस करूंगी. मुझे जब बिग बॉस ऑफर हुआ था तो मुझे 90 पर्सेन्ट लोगों ने कहा था कि आप नहीं जा सकते हैं. आपके जैसे लोगों के लिए ये नहीं बनाया है. लोग जाते हैं इसमें और चीखते-चिल्लाते हैं. तो मैंने कहा कि मैं जाऊंगी. जरूरी नहीं है कि लोग चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं तो आप भी वही करो. आप अपना स्टैंड लें. आप अपनी बात कहें. हर चीज का तरीका है. मैंने उसे चैलेंज की तरह लिया. मैंने सोचा लोग मुझसे उम्मीद नहीं कर रहे हैं तो मैं ये करूंगी. मेरा एक्सपीरिएंस बहुत बढ़िया था. इसने मुझे स्ट्रॉन्ग बना दिया.

आपकी एल्विश से बात होती है?

हम एक दूसरे को सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं. मुझे एक बार में वो लड़का पसंद आ गया था. लोग सोच रहे थे कि हम दोनों की नहीं बनेगी. वो बहुत अच्छा है. जब वो घर में आए थे तो उस घर में इतने दिनों में पहली बार एक आइडिया डिस्कस किया मैंने उसके साथ. वरना इतने दिनों में लोग डिस्कस कर रहे थे. फर्क ये था. पहले दिन जब वो मुझे मिला था तो उसने एक शो लिखा था गुड़गांव वो हमने डिस्कस किया था. इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या बात करते हैं. बड़ी बात है सन्नाटा शेयर करना किसी के साथ में. एल्विश और मेरे बीच में बहुत सारे कम्फर्टेबल साइलन्स हैं. जहां मैं और वो साथ बैठ सकते हैं और हमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है. वो बहुत ब्राइट लड़का है.

आप एल्विश से जुड़ी न्यूज फॉलो करती हैं?

हां, मैं न्यूज फॉलो करती हूं, लेकिन बस उतनी जितनी की जानी चाहिए. मैं यहां बैठकर उसकी जिंदगी पर जजमेंट नहीं दे सकती हूं. मैं एक इंसान पर अपनी जजमेंट उसी हिसाब से देख सकती हूं जिस हिसाब से मैं उसे जानती हूं और जब मैं उसे जानती थी. वो मेरे साथ बहुत-बहुत अच्छा और दयालु था. वो मुझे समझता था और मैं उसे समझती थी. उसके बाद मुझे लगता है कि हमें अपनी जिंदगी के उतार चढ़ाव से गुजरना होता है. मुश्किलों से हम सीखते हैं. वो समझदार लड़का है. चीजों को सुलझा लेगा. मैं उसके पेरेंट्स से मिली हूं. मैं उसके पिता और मां को अडमायर करती हूं. वो बहुत सॉलिड लोगों से आया है. हम खुद अपनी गलती करते हैं और फिर उससे सीखते हैं. मैं किसी पर जजमेंट पास नहीं कर सकती कि वो क्या कर रहा है या क्या नहीं कर रहा. मेरा उससे कोई बुरा रिश्ता नहीं है और मैं हमेशा उसका अच्छा ही चाहती हूं. मैं समझती हूं कि उसकी एक साइड है जो बहुत सेंसटिव है. एक साइड है जो बहुत इमोशनल है. और मुझे लगता है कि ये उसकी ताकत है. 

मेरा प्यार उसके लिए नहीं बदलेगा. मैं उन लोगों में से नहीं हूं कि फ्रेंड कर लिया अनफ्रेंड कर लिया. जब कोई अच्छा लगता है तो अच्छा लगता है. बस कहानी खत्म. 

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