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'फ्लॉप होती 'कुर्बानी' तो बिक जाता घर, जुनूनी थे पिता फिरोज', बोले फरदीन खान

इंडिया टुडे के साथ बातचीत में फरदीन ने बताया कि जिस तरह से कहानियों में पिता फिरोज ने फीमेल कैरेक्टर्स को दिखाया है, हर कोई जिसने उन फिल्मों को देखा है, हमेशा महसूस करता है कि वो अपने समय से आगे थीं. साथ ही बताया कि

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aajtak.in
  • मुंबई,
  • 14 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST

फरदीन खान ने 14 साल बाद संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हीरामंडी' से कमबैक किया था. हाल ही में फरदीन अक्षय कुमार स्टारर 'खेल खेल में' फिल्म में देखा गया था. उन्हें फैंस खूब पसंद भी कर रहे हैं. इसका सारा क्रेडिट फरदीन अपने पिता दिवंगत एक्टर फिरोज खान को देते हैं. एक्टर के मुताबिक उनकी लेगेसी किसी से मैच करने लायक नहीं है. उनका औरा ही अलग था. इसी के साथ उन्होंने बताया कि फिरोज की बनाई फिल्म 'कुर्बानी' अगर नहीं चलती तो उनकी पूरी फैमिली सड़क पर आ जाती.  

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राज कपूर, मनोज कुमार के बाद फिरोज खान...

इंडिया टुडे के साथ बातचीत में फरदीन ने बताया कि जिस तरह से कहानियों में पिता फिरोज ने फीमेल कैरेक्टर्स को दिखाया है, हर कोई जिसने उन फिल्मों को देखा है, हमेशा महसूस करता है कि वो अपने समय से आगे थीं. एक एक्टर के रूप में भी वो शुरुआत अपने आखिरी नाम से शुरुआत करते हैं. वो एक अलग दौर था और उनका अपना एक बहुत ही मजबूत व्यक्तित्व था और उन्होंने इसे पूरी तरह से बेबाकी से अपनाया था.

इसी के साथ फरदीन ने अपने दिवंगत पिता फिरोज खान के स्ट्रगल के बारे में बात की और कहा, "मेरे पिता के भी अपने स्ट्रगल का सामना किया. डायरेक्टर बनने के बाद ही उन्होंने खुद को एक एक्टर के रूप में पेश किया. जैसा कि वो चाहते थे, क्योंकि उन्हें हमेशा लगता था कि जिन लोगों के साथ उन्होंने काम किया, वो उन्हें वैसा नहीं दिखा पाए जैसा वो खुद को एक एक्टर के रूप में देखते थे. उस समय बहुत सारे एक्टर्स या मेकर्स नहीं थे. हमारे पास बस मिस्टर राज कपूर, मिस्टर मनोज कुमार थे और फिर मेरे पिता ही सफल हुए. मैं उनकी विरासत के बारे में बहुत नहीं सोचता, क्योंकि मैं इसके साथ बड़ा हुआ हूं. मैंने इससे बहुत कुछ सीखा है, लेकिन ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि ये बहुत मुश्किल है क्योंकि आप कभी भी माप नहीं सकते. 

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फिल्म के लिए गिरवी रख दिया था घर...

इसी के साथ फरदीन ने बताया कि फिरोज फिल्म मेकिंग को लेकर इतने पैशनेट थे कि अपना घर तक गिरवी रख दिया था. फरदीन ने कहा- मेरे पिता ने मुझ पर कभी कुछ नहीं थोपा. अगर कुछ भी था, तो उन्होंने हमेशा मुझे खुद को खोजने और अपना खुद का व्यक्तित्व बनाने के लिए प्रेज किया. यहां तक कि भूमिकाओं का चुनाव भी मैंने खुद किया. उन्होंने मुझे अपने फैसले खुद लेने और अपनी गलतियों से सीखने के लिए आगे बढ़ाया. उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है, वो दिन बहुत अलग थे. उस समय एक फिल्म बनाने के लिए मेरे पिताजी ने अपना सबकुछ झोंक दिया था. उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर कुर्बानी नहीं चलती तो हम सड़कों पर होते. हमारे पास पैसे भी नहीं बचे थे, हमारा घर गिरवी रख दिया गया था. उनके लिए, ये सिर्फ पैसे कमाने के बारे में नहीं था. ये फिल्म बनाने के लिए उनका पैशन और जुनून था जिसने उन्हें आगे बढ़ाया.

साथ ही फरदीन ने आगे कहा- जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा हूं, मुझे लगता है कि मैं अभी इससे और सीख रहा हूं. पहले मैं उनकी इंटेलिजेंस को समझने और उनके सफर को समझने के लिए बहुत छोटा था. हालांकि मैंने इसे खुद देखा. मेरे पिता ने मुझे जो बातें बताईं, वो उनके जीवन के अनुभव से आई थीं, तब मैंने उन सभी बातों को इतनी गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन हां, मैं अभी उनकी सीख को लागू करता हूं.
 

इनपुट: Hesha Chimah

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