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अनुराग कश्यप के बाद हंसल मेहता हुए परेशान, बोले- 'स्टार्स के बजाए एक्टर्स पर करो खर्च'

फिल्ममेकर हंसल मेहता ने अपने एक्स अकाउंट पर बॉलीवुड के खत्म होने पर अपनी राय रखी है. उनका मानना है कि हिंदी सिनेमा को एक रीसेट की जरूरत है. इंडस्ट्री खत्म नहीं हो रही है. उन्हें बस एक्टर्स और यंग टैलेंंट में पैसा खर्च करने की जरूरत है, ना कि स्टार्स पर.

हंसल मेहता हंसल मेहता
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 11 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST

बॉलीवुड में पिछले काफी समय से एक मुद्दा चल रहा है जिसपर हर तरफ से रिएक्शन्स आ रहे हैं. जब से साउथ सिनेमा का दबदबा बढ़ा है, तभी से फैंस बॉलीवुड की फिल्मों को कम तवज्जो देने लगे हैं. ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि हिंदी सिनेमा खत्म हो रहा है. फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने कुछ समय पहले एक ट्वीट भी किया था जिसमें उन्होंने हिंदी सिनेमा के अंत का कारण न्यू कमर्स को बताया था. अब इस विवाद में डायरेक्टर हंसल मेहता भी जुड़ गए हैं.

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हंसल मेहता ने रखी हिंदी सिनेमा के खत्म होने पर अपनी राय

हंसल ने विवेक अग्निहोत्री की बातों को पूरी तरह से खारिज कर अपनी राय रखी है. उन्होंने इंडस्ट्री में आ रहे नए एक्टर्स की तारीफ की है जो अपने काम से अपनी पहचान बनाने की काबिलियत रखते हैं. डायरेक्टर ने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर एक लंबे पोस्ट में लिखा, 'हिंदी सिनेमा को रीसेट करने की जरूरत है. वो लोग जो ऐसा मानकर चल रहे हैं कि बॉलीवुड खत्म हो चुका है, रुक जाओ. इंडस्ट्री नहीं मर रही है. वो नाकाम होने का इंतजार कर रही है. दिक्कत ये नहीं है कि ऑडियंस अपना इंट्रेस्ट नहीं दिखा रही, बल्कि वो इनवेस्टमेंट है जिसे एक सुरक्षित, रीसाइकल्ड ढांचे में डाला जा रहा है.'

डायरेक्टर ने आगे ये भी कहा कि हिंदी सिनेमा का फ्यूचर टैलेंटेड एक्टर्स और डायरेक्टर्स के हाथों में है. जो ऑडियंस को सरप्राइज कर सकें. 'हिंदी सिनेमा का फ्यूचर रॉ टैलेंट पर दांव लगाकर, बेबाक स्टोरीटेलिंग, और डायरेक्टर्स पर टिका है जो एक स्क्रिप्ट को उठा सकें और सभी को चौंका देने के इरादे से उसे बना सकें. पिछले कुछ सालों में ये बात साबित हुई है कि स्टार्स ऑडियंस को लेकर नहीं आ रहे हैं, फिल्ममेकर का कंविक्शन उन्हें थिएटर्स लेकर आ रहा है. नई पीढ़ी के एक्टर्स, फिल्ममेकर्स और राइटर्स इस गेम को बदलने के लिए तैयार हैं.'

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हंसल मेहता का ट्वीट

हंसल मेहता ने पेड पब्लिसिटी करने वालों को घेरा

हंसल मेहता का आगे ये कहना है कि प्रोड्यूसर्स को फिल्ममेकर्स के विजन पर भरोसा करके एक दांव लगाना पड़ेगा. उन्हें नई कहानियों को सहारा देना पड़ेगा तभी जाकर हिंदी सिनेमा में बदलाव आएगा. 'लेकिन ये सब तभी होगा जब प्रोड्यूसर्स का एक विजन होगा, प्लेटफॉर्म्स जो नंबर्स के बदले कहानियों पर भरोसा दिखाएं और वो डायरेक्टर्स जो एक जैसी कहानियों के बदले नई कहानियों की मांग करेंगे. इसके लिए एक मजबूत फाइनेंशियल अनुशासन, कमाल की प्रदर्शनिए रणनीति, और मार्केटिंग जिसे ध्यान से प्लान और सोचा गया हो. ना कि वही चल रही पेड पब्लिसिटी जो इन पब्लिसिटी करने वालों को अमीर और इंडस्ट्री को गरीब बना रही है.'

डायरेक्टर ने आगे अपने पोस्ट में कुछ टैलेंटेड मेल एक्टर्स के नाम का भी जिक्र किया जिन्होंने अपनी परफॉरमेंस से उन्हें इंप्रेस किया है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि वो बहुत जल्द अलग से फीमेल एक्ट्रेसेज के नाम की लिस्ट भी शेयर करेंगे. हंसल मेहता ने अपने पोस्ट में आदर्श गौरव, वेदांग रैना, ईशान खट्टर, जहान कपूर, आदित्य रावल, स्पर्श श्रीवास्तव, अभय वर्मा, लक्ष्य, और राघव जुयाल जैसे एक्टर्स का नाम लिखा. उन्होंने उनके नाम के साथ उनके काम और स्क्रीन प्रेजेंस की भी तारीफ की. 

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हंसल का कहना स्टार्स पर नहीं, एक्टर्स पर करें खर्च

हंसल मेहता का मानना स्टार्स के बजाए एक्टर्स पर करें खर्च

अंत में हंसल मेहता ने इंडस्ट्री से क्या चीज गायब है उसका भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, 'क्या चीज गायब है? इंतजार, इनवेस्टमेंट और भरोसा. 

1. प्रोड्यूसर्स आगे का सोचें. वीकेंड बॉक्स ऑफिस के नंबर्स का पीछा करना छोड़ें और नए टैलेंट को बनाना शुरू करें ताकि ऑडियंस एकबार फिर सालों बाद थिएटर्स में आ सकें.
2. प्लेटफॉर्म्स आपके पास डेटा है. अब टैलेंट में थोड़ा भरोसा भी दिखाओ. एक्टर्स को सपोर्ट करना शुरू करो, ना कि व्यूअर्स.
3. डायरेक्टर्स एक्टर को रोल के लिए कास्ट करो, ना कि स्किल या गहराई के लिए. ना सिर्फ पहचान के लिए. ऑडियंस कुछ नया देखने, और जिंदा कर देने वाली परफॉरमेंस देखने की भूखी है. 

हिंदी सिनेमा को बचाव की नहीं, बल्कि अपनी जरूरतों को बदलने की जरूरत है. जिसका फॉर्मुला सिंपल है, कि आप एक्टर्स में खर्चा करो ना कि स्टार्स पर. बिना डरे लिखो और एक कनविक्शन के साथ डायरेक्ट करो.'

हंसल मेहता से पहले डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने भी बॉलीवुड के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि इंडस्ट्री में सब 500-600 करोड़ रुपये की फिल्म बनाना चाहते हैं. जिससे कहानी या कंटेंट पर कोई ध्यान नहीं देता. इसी कारण से वो मुंबई छोड़कर साउथ में चले गए हैं क्योंकि उन्हें वहां कंटेंट बेस्ड काम करने में आसानी लगती है. 

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