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गंगूबाई फिल्म के सिनेमैटोग्राफर सुदीप चैटर्जी और संजय लीला भंसाली की जबदस्त जुगलंबदी रही है. सुदीप ने aajtak.in से बातचीत में फिल्म की शूटिंग से जुड़े कई दिलचस्प किस्से शेयर किए. सुदीप ने बताया कि गंगूबाई फिल्म की पूरी शूटिंग लाइट्स में हुई है. लोकेशन के लिए कहीं बाहर भी नहीं जाना पड़ा था.
सुदीप बताते हैं कि संजय ने कहा था कि फिल्म में कमाठीपुरा के रेडलाइट एरिया को ऐसे प्रोजेक्ट करना है कि रियल तो लगे लेकिन उसकी गंदगी समझ न आए. मतलब कमाठीपुरा को एक डिग्नीफाइड तरीके से हमें स्क्रीन पर दर्शाना था. दरअसल वो कैरेक्टर को डिग्निटी देना चाहते थे. यहां से मेरा चैलेंज शुरू हुआ. ऐसी जगह में डिग्निटी को पर्दे पर कैसे ट्रांसमिट किया जाए. मैंने इस दौरान कई दफा स्क्रिप्ट पढ़ी. कई सीन में आलिया को लो एंगल से शूट किया, जहां वो पावरफुल दिख सकें.
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उन्होंने कहा कि दूसरा सबसे बड़ा टेक्निकल चैलेंज यह था कि फिल्म में बहुत से आउटडोर शूट की डिमांड थी. मोहल्ला, गली, दोपहर के सीन्स, ये सभी हमें इनडोर शूट करने पड़े थे. दरअसल लॉकडाउन के वक्त हमें सेट को प्रोटेक्ट करने का चैलेंज था. हमने पूरे सेट को कवर किया था. शूटिंग की शुरुआत भी बारिश के मौसम के बीच में हुई थी. हमने पूरी फिल्म में आर्टिफिशियल लाइट्स का इस्तेमाल किया. जितने भी दोपहर के सीन्स शूट हुए हैं, वो सभी आर्टिफिशियल लाइट्स के बीच में ही सेट के अंदर किए गए हैं. पूरे सेट को लाइट से सजाना एक बड़ा टास्क होता है. पूरी फिल्म इनडोर शूट हुई है, आर्टिफिशियल लाइट्स के सहारे. मैं मानता हूं कि इतने बड़े सेट पर पूरे लाइट्स के सहारे शूट करने का एक्स्पीरियंस शायद ही इंडिया की किसी फिल्म में हुआ हो. हम पहले थे, जिन्होंने इस चैलेंज को एक्सेप्ट किया. केवल लाइट्स के पीछे करोड़ों खर्च हुए थे.
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सुदीप लंबे समय से संजय लीला भंसाली संग काम करते रहे हैं. भंसाली संग अपनी क्रिएटिव ट्यूनिंग पर सुदीप कहते हैं, मेरे और संजय की बॉन्डिंग में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है. गंगूबाई हमारी चौथी फिल्म थी और पांचवीं हम हीरामंडी शूट कर रहे हैं. हमारी रिलेशनशिप अंडरस्टैंडिंग पर ही आधारित है. कई बार हम बिना कुछ कहे ही एक दूसरे की बात समझ जाते हैं. पहले कई चीजें वो समझाया करते थे, लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ती, मैं समझ जाता हूं. मैं जब भी सुनता हूं कि संजय एक स्ट्रिक्ट डायरेक्टर हैं, तो मुझे हैरानी होती है. क्योंकि मैंने अबतक जितने भी डायरेक्टर्स के साथ काम किया है, उसमें सबसे अच्छा एक्स्पीरियंस संजय के साथ ही रहा है. संजय के साथ काम करना एक एडिक्शन की तरह है. मैं तो उनके साथ करने के लिए कोई भी प्रोजेक्ट छोड़ सकता हूं.