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'इंडस्ट्री में कभी नहीं देखा धर्म को लेकर भेदभाव', हुमा कुरैशी का बयान

हुमा से पूछा गया कि आपने हिस्ट्री पढ़ी है. देश में पोलराइजेशन बहुत ज्यादा हो गया है, जगह-जगह हिंदू-मुस्लिम के बारे में चर्चा होती है और मुद्दा बनता है. जब दिल्ली की एक मुस्लिम लड़की बॉलीवुड में गई तो क्या आपको ऐसा लगा कि आपके धर्म के हिसाब से कोई भेदभाव हुआ?

हुमा कुरैशी हुमा कुरैशी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी किसी परिचय की मोजताज नहीं. उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में आए एक दशक से ज्यादा हो चुका है. न जाने कितनी फिल्में हुमा कर चुकी हैं. और देखा जाए तो एक्ट्रेस ने अपनी हर फिल्म के साथ दर्शकों के दिलों में खास जगह ही बनाई है. आजकल हुमा अपनी फिल्म 'तरला' को लेकर सुर्खियों में आई हुई हैं. हाल ही में एक्ट्रेस 'ब्लैक एंड व्हाइट' शो में अपनी पर्सनल, प्रोफेशनल, हिंदू-मुस्लिम भेदभाव पर बात करती दिखीं. साथ ही उन्होंने कुछ करियर एडवाइस भी दी. 

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हुमा ने कही यह बात

हुमा से पूछा गया कि आपने हिस्ट्री पढ़ी है. देश में पोलराइजेशन बहुत ज्यादा हो गया है, जगह-जगह हिंदू-मुस्लिम के बारे में चर्चा होती है और मुद्दा बनता है. जब दिल्ली की एक मुस्लिम लड़की बॉलीवुड में गई तो क्या आपको ऐसा लगा कि आपके धर्म के हिसाब से कोई भेदभाव हुआ. आपके लिए कुछ स्थितियां मुश्किल रहीं? हुमा ने कहा कि मेरे हिसाब से बॉलीवुड बहुत सेक्युलर जगह है. मुझे न तो कभी महिला या मुस्लिम होने को लेकर कभी स्टीरियोटाइप नहीं झेला. ऐसा कभी नहीं हुआ कि मेरा एक मुस्लिम नाम है, उसके लिए मुझे किसी फिल्म में कास्ट किया गया या नहीं किया गया. मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ. मुझे पूरे देश से लोगों का बहुत प्यार मिला. लोगों ने कभी मेरा नाम देखकर मुझे पसंद नहीं किया. मेरा काम देखकर किया. रही बात पोलराइजेशन की तो हम तो यह चीज सिर्फ न्यूज पर ही देखते हैं कि देश बंट रहा है. 

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"मैं अपने पर्सनल एक्स्पीरियंस की बात करें तो मैं दिल्ली में पली-बढ़ी. एक मुसलमान घर में पैदा हुई. पर जहां हम रहते थे, वहां आसपास सभी पंजाबी थे तो मैं दिल से पंजाबी हूं पर खून मेरा मुसलमान का है. जब मैं मुंबई शिफ्ट हुई तो वहां भी मैंने कभी धर्म को लेकर भेदभाव नहीं झेला. मैंने कभी हिंदू-मुस्लिम वाली चीजें न अपने घर में देखीं और न वहां जहां मैं रही."

हुमा जवाब दे ही रही थीं कि उन्हें बीच में रोककर कहा गया कि यह सवाल उनसे इसलिए पूछा गया, क्योंकि हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे तो वहां उनसे सवाल किया गया कि भारत में मुस्लिम्स के अधिकार सुरक्षित नहीं. तो आपको मीडियाकर्मी का यह सवाल करना कितना सही लगता है, क्योंकि आप खुद एक मुस्लिम हैं. इसपर हुमा कहती हैं कि मैं अगर अपना पर्सनल एक्स्पीरियंस बताऊं तो मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं, जहां मैं परिवार को लेकर सुरक्षित महसूस करती हूं. अगर आप किसी एक इकोनॉमिक क्लास से आते हैं तो कुछ चीजें आपके लिए आसान हो जाती हैं, इसका मतलब यह नहीं कि कुछ लोगों के साथ गलत नहीं हो रहा है. पर मुझे लगता है कि सवाल तो पूछना चाहिए और हर सरकार को जवाब देना भी चाहिए. पर्सनल एक्स्पीरियंस से बताऊं तो मुझे कभी महसूस नहीं हुआ कि मैं मुस्लिम हूं और मुझे एक तरह से ही बर्ताव करना है. 

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