
जिस दिन का इंतजार इंडियन सिनेमा फैन्स बेसब्री से कर रहे थे, वो अब बस कुछ ही दिन दूर है. हॉलीवुड के तमाम शानदार एपिक शोज और फिल्में देखने वाली जनता को हमेशा ये शिकायत रहती थी कि भारत के महाकाव्यों, जैसे रामायण और महाभारत पर कोई हॉलीवुड टाइप, ग्रैंड स्केल की फिल्म क्यों नहीं बनाता! अजय देवगन की 'तानाजी' में लोगों ने देखा था कि डायरेक्टर ओम राउत की पकड़ VFX, CGI जैसी टेक्निकल चीजों पर बहुत मजबूत है. इसलिए जब ओम राउत ने रामायण पर बेस्ड फिल्म 'आदिपुरुष' अनाउंस की, तो इंडियन सिनेमा फैन्स की एक्साइटमेंट का पारा अलग लेवल पर पहुंच गया.
फिर इस प्रोजेक्ट में 'बाहुबली' स्टार प्रभास का, भगवान राम के रोल में नजर आना भी माहौल जोरदार बनाने की एक वजह बना. ऊपर से मेकर्स ने अनाउंस किया कि सिनेमा की मॉडर्न तकनीकों के साथ 'आदिपुरुष' को एक बहुत भव्य फिल्म बनाया जाएगा और इसके लिए 500 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. ये सबकुछ जोड़ने के बाद हर दर्शक के दिमाग में फिल्म का एक खाका बना, जो 'आदिपुरुष' के टीजर तो नहीं, लेकिन पिछले एक महीने में आए दोनों ट्रेलर्स में काफी हद तक नजर आ रहा है. भारतीय महाकाव्यों में से एक, रामायण का ओम राउत वर्जन आखिरकार आज के मॉडर्न सिनेमेटिक विजन के साथ बड़ी स्क्रीन पर उतरने के लिए तैयार है.
'आदिपुरुष' की रिलीज में अब बस गिनती के 3 दिन बाकी हैं और जनता एक नए सिनेमेटिक दुनिया में खो जाने के लिए तैयार है. मगर आज से 35 साल पहले भी टीवी पर रामायण का अनोखा संसार क्रिएट हुआ था. जी हां, यहां बात दूरदर्शन के उसी 'रामायण' सीरियल की हो रही है जो आज भी एक पूरी जेनरेशन के बचपन से जुड़ी यादों में शामिल है. रामानंद सागर का वही 'रामायण' सीरियल जिसमें राम-सीता बनने वाले अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को लोग भगवान की तरह पूजने लगे थे. अरुण-दीपिका का बाहर निकलना हराम था क्योंकि वो जहां जाते लोग उन्हें घेर लेते, चरण छूने लगते और आशीर्वाद मांगते. लेकिन दर्शकों के दीवानेपन से इतर, 'रामायण' से 'आदिपुरुष' तक आते-आते स्क्रीन पर राम कथा का संसार बहुत बदल चुका है.
बदली तकनीक तो बदला विजन
'रामायण' के राइटर-डायरेक्टर रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने अपने पिता पर एक किताब लिखी थी. इस किताब में उन्होंने 'रामायण' बनाने में आए चैलेंज का जिक्र करते हुए बताया था कि 80s के दौर में, जब तकनीक आज जितनी एडवांस नहीं थी, तो उन्होंने सीरियल कैसे तैयार किया था.
राम कथा के सोर्स में बाल्मीकि रामायण की बात हो, या तुलसीदास की रामचरितमानस की, या फिर देशभर में मिलने वाले रामायण के सैकड़ों अलग-अलग वर्जन की, एक बात तय है- इस कथा का अपना एक विजन है. एक ऐसा विजन जिसमें अद्भुत शक्तियां हैं, विशाल व्यक्तित्व के लोग हैं और विनाशकारी किरदारों की भी भरमार है. राम कथा की इस विराट आभा को स्क्रीन पर उतारने के लिए क्रिएटिविटी और विजन का सबसे बेस्ट लेवल भी शायद छोटा पड़ने लगे. लेकिन आज तकनीक के कमाल से केवल दिमाग में सोची गई एक रियलिटी को स्क्रीन पर उतारना कितना आसान है, 'आदिपुरुष' की राम कथा में हनुमान का वायु की गति से उड़ना इसकी मिसाल है.
जिस दौर में 'रामायण' सीरियल बना वो टेक्निकली बहुत लिमिटेड क्रिएटिविटी की इजाजत देता था. फिर भी रामानंद सागर ने उस वक़्त अपने रिसोर्स के हिसाब से बेस्ट वर्जन स्क्रीन पर उतारा. इसीलिए 'रामायण' का हनुमान उड़ता लगता तो था, मगर असल में केवल उसके पीछे का बैकग्राउंड मूव कर रहा था. उस समय स्क्रीन पर एनीमेशन से जटायु का किरदार तैयार करना संभव नहीं था, इसलिए एक एक्टर को गरुड़ का गेटअप पहनाया गया.
'रामायण' के स्पेशल इफेक्ट्स के बारे में प्रेम सागर ने अपनी किताब में लिखा कि उस दौर में कम्प्यूटर नहीं थे, इसलिए बहुत सारे इफेक्ट कैमरा ट्रिक्स की देन हैं. 'रामायण' देखने पर ही पता चलता है कि रियर प्रोजेक्शन का खूब इस्तेमाल हुआ था. यानी एक पर्दे पर बैकग्राउंड में कोई इमेज चल रही है और एक्टर उसके सामने खड़े होकर परफॉर्म कर रहे हैं. 'रामायण' देखने वालों को याद होगा कि क्लाइमेक्स के राम-रावण युद्ध में पीछे लड़ रहे सैनिक अलग से दिखते हैं, ये रियर प्रोजेक्शन का नतीजा था.
कैमरा ग्लास पर होता था खेल
'रामायण' के शूट पर स्पेशल इफेक्ट्स का अधिकतर खेल कैमरे पर हुआ, जिसमें एक बड़ा रोल कैमरा ग्लास पर हुई क्रिएटिविटी का भी था. प्रेम सागर ने ही बताया है कि कई बार रात के शूट में, बादलों का इफेक्ट देने के लिए कैमरे के आगे कॉटन लगा दिया जाता था. सुबह में कोहरे का इफेक्ट दिखाने के लिए कैमरे के आगे धुप-अगरबत्ती जला कर भी शूट किया गया. इसी तरह बहुत सारी चीजों के मिनिएचर यानी छोटे-छोटे मॉडल बनाकर भी इफेक्ट्स पैदा किए गए. जैसे आपको याद आएगा कि 'रामायण' में हनुमान बने दारा सिंह अशोक वाटिका में राक्षसों पर पेड़ उखाड़कर फेंक रहे हैं.
रुस्तम-ए-हिन्द का टाइटल पाने वाले जबराट पहलवान दारा सिंह के हाथ में जो पेड़ दिखता है, उसका तना खुद दारा सिंह के कद से भी छोटा लगता है. कुछ ऐसा ही तब होता है जब हनुमान के संजीवनी लाने वाला सीन आता है. 'रामायण' में हनुमान के हाथों पर रखा पहाड़ काफी कॉम्पैक्ट साइज का लगता है. अब 'आदिपुरुष' का ट्रेलर ही देखिए, उसमें हनुमान एक पूरा पर्वत उठाए उड़ते दिख रहे हैं.
तीरों वाला स्पेशल इफेक्ट
राम कथा में इन बातों का जिक्र मिलता है कि प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण या रावण भी जब अस्त्र-शस्त्र चलाते थे तो भयानक शक्तियां निकलती थीं. 'रामायण' सीरियल में इसे स्क्रीन पर किस तरह दिखाया गया, ये शायद कोई कभी नहीं भूल सकता. कोविड के दौरान जब 'रामायण' का रीटेलेकास्ट हुआ तब इन तीरों के साथ नजर आए स्पेशल इफेक्ट पर कई मीम भी बने. लेकिन अपने समय में रामानंद सागर ने इस इफेक्ट के लिए, तब चल रही बहुत मॉडर्न मशीन से काम किया था.
कम्प्यूटर्स होते नहीं थे, तो एक हॉलीवुड की 'स्टार वॉर्स' जैसी फिल्मों में इस्तेमाल हुई एक मशीन SEG 2000 (SEG- स्पेशल इफेक्ट्स जेनरेटर) से काम लिया गया. इस मशीन में वीडियो एडिट के स्टेज पर इफेक्ट्स लगाना पॉसिबल था. 'रामायण' में योद्धाओं के तीरों की नोक पर होने वाले स्पेशल इफेक्ट इसी से आए थे. आज 'आदिपुरुष' में आपको मोशन कंट्रोल और 3डी मॉडलिंग के जरिए स्क्रीन पर एक ऐसा तीर दिखेगा, जैसे ये स्क्रीन से निकलकर बाहर ही आ जाएगा. लेकिन ये तो मानना पड़ेगा कि बचपन में जिसने भी रामायण देखी, उसके लिए तीरों का ये स्पेशल इफेक्ट लाइफ में देखी एक बहुत कूल चीज था.
शानदार ग्राफिक्स में उलझी एक्यूरेसी का पंगा
'रामायण' की सबसे बड़ी विरासत ये है कि इस शो में लोगों ने पहली बार राम कथा को विजुअल्स में अपनी आंखों से देखा. बहुत से लोग आज भी जब रामायण या रामचरितमानस पढ़ते हैं तो उनकी कॉन्शसनेस में इमेज कुछ वैसी ही बनती हैं जैसी 'रामायण' सीरियल में थी. मतलब उन्हें हनुमान का वही रिप्रेजेंटेशन याद है. ऐसे में पहले 'रामायण' देख चुका व्यक्ति जब 'आदिपुरुष' देखने थिएटर जाएगा तो उसके दिमाग में कई चीजें कनफ्लिक्ट भी पैदा करेंगी.
जैसे कि 'रामायण' में राम, लक्ष्मण और सीता वनवास का समय जिन जंगलों में बिताते हैं, वहां अपनी एक कुटिया बनाते हैं. 'आदिपुरुष' के ट्रेलर में इनका ठिकाना किसी पहाड़ में बनी एक गुफानुमा जगह पर दिखता है. सीता बनीं कृति सेनन, रावण (सैफ अली खान) को भिक्षा देने इसी गुफा टाइप जगह से बाहर आ रही हैं.
'रामायण' सीरियल में जब रावण लक्ष्मण की खींची सीमा रेखा पार नहीं करने की कोशिश करता है तो स्क्रीन पर उस रेखा से कुछ आग टाइप निकलती नजर आती है. लेकिन 'आदिपुरुष' में लक्ष्मण की खींची रेखा जैसे एक पूरा सुरक्षा कवच बना रही है.
इसी तरह 'आदिपुरुष' के ट्रेलर में दिखता है कि सीता हरण के लिए रावण अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग कर रहा है. इन शक्तियों के असर से सीता किसी तरह के पाश में बंधी हुई, अपने आप रावण के पीछे हवा में तैरती हुई सी जा रही हैं. जबकि 'रामायण' में रावण को बाकायदा फिजिकली जोर-जबरदस्ती से, सीता को अपने कंधे पर उठाकर ले जाते हुए दिखाया है.
कंधे पर हनुमान ने भी अपने आराध्य श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण को था. 'रामायण' में दारा सिंह के किरदार के साथ इसे भी स्पेशल इफेक्ट से दिखाया गया था. इसके लिए भी कैमरा ट्रिक का इस्तेमाल किया हुआ लगता है. लेकिन 'आदिपुरुष' में एडवांस तकनीक का ऐसा कमाल कि श्रीराम, उड़ते हुए हनुमान की पीठ पर खड़े होकर युद्ध कर रहे हैं.
पर्दे पर सिनेमेटिक विजन को अचीव करने के लिए तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल 'आदिपुरुष' में किया गया है. 'रामायण' और 'आदिपुरुष' दोनों के मेकर्स ने ही अपनी तरफ से बेहतरीन रिसर्च का दावा किया है. लेकिन राम कथा में बताई गई छवियों का स्क्रीन पर रिप्रेजेंटेशन लोगों को 'रामायण' से ही याद आता रहेगा. 'आदिपुरुष' कितनी एक्यूरेट है ये तो विद्वान ही बता सकते हैं. वरना सोशल मीडिया पर इस काम की जिम्मेदारी बहुत सारे हैंडल्स ने ले ही रखी है. लेकिन आज की तारीख में फिल्म की एक्यूरेसी में संदेह होना काफी बवाल करवाता है.
'आदिपुरुष' यकीनन हर मामले में एक बहुत बेहतरीन विजन लेकर आ रही है, जिसके साथ राम कथा का विराट वर्जन स्क्रीन पर नजर आ रहा है. इतना तय है कि मोशन कैप्चर, एनीमेशन और 3डी जैसी एडवांस फिल्म मेकिंग तकनीकों से लैस 'आदिपुरुष' बड़ी स्क्रीन पर एक कमाल का, शनदार विजुअल एक्सपीरियंस लेकर आने वाली है. लेकिन राम कथा का इमोशनल कनेक्ट और ड्रामा वैल्यू बहुत महत्वपूर्ण चीज है.
'रामायण' सीरियल कोविड के दौर में जब दोबारा टीवी पर लौटा तो फिर से टीआरपी के रिकॉर्ड बने. जबकि आज के हिसाब से इसकी स्पेशल इफेक्ट क्वालिटी बहुत कमजोर है. मगर जनता आज भी 'रामायण' के इमोशनल फैक्टर से प्रभावित होती है. 'आदिपुरुष' का टेक्निकल पक्ष तो बहुत मजबूत नजर आ रहा है, लेकिन ड्रामा में कितना दम है ये इस शुक्रवार थिएटर्स में पता चल ही जाएगा.